तीसरी लहर के लिए रिम्स तैयार, पर रखरखाव पर उठ रहे सवाल
कोरोना की संभावित तीसरी लहर इसी माह आ सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार तीसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक है।
जासं, रांची : कोरोना की संभावित तीसरी लहर इसी माह आ सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार तीसरी लहर पहले से काफी खतरनाक हो सकती है। इस बार बच्चों के अधिक संक्रमित होने की आशंका जतायी जा रही है। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि बड़ों को वैक्सीन लग चुकी है और बच्चों के लिए अभी भी वैक्सीन नहीं आई है। इसके बाद बच्चों में संक्रमण का खतरा सबसे अधिक है। इन सब के बीच सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स ने तैयारी पिछले माह ही शुरू कर दी थी। रिम्स के गायनी वार्ड को अब तीसरी लहर के लिए भी सुरक्षित रखा गया है। बेड की जरूरत पड़ी तो इसका उपयोग किया जाएगा। दूसरी ओर अस्पताल परिसर में स्थित मल्टी स्टोरी पार्किंग में तैयारी तो पूरी की गई है, लेकिन यहां कई चीजें व्यवस्थित नहीं है। यहां तीसरे तल्ले पर बच्चों के लिए बने बेड पर फिलहाल नर्सों को ठहराया जा रहा है। जिसे हटाने पर रिम्स प्रबंधन का कहना है कि उन्हें हटाया जरूर जाएगा, लेकिन जबतक मरीजों की स्थिति स्पष्ट नहीं हो जाती, तब तक वे यहीं पर रहेंगे।
आक्सीजन बेड रखना है सुरक्षित : स्वास्थ्य विभाग के निर्देश के बाद तीसरी लहर की संभावना पर ऑक्सीजन बेड सुरक्षित रखना है। इसके लिए सरकारी अस्पताल में 500 और निजी अस्पतालों में 500 बेड सुरक्षित रखना है। अभी तक रिम्स में 131 बेड और सदर अस्पताल में लगभग 60 बेड सुरक्षित रखे गए हैं। बच्चों के लिए आइसीयू बनकर तैयार, जल्द होगा उद्घाटन : सिविल सर्जन को बेड सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी दी गई है। उन्होंने बताया कि बच्चों के लिए आइसीयू बनकर तैयार है, इसका जल्द उद्घाटन किया जाना है। तब तक जरूरत पड़ने पर मरीजों को इस बेड पर रखकर इलाज किया जाएगा। इधर, रिम्स में पहले से चल रहे बच्चों के लिए 131 बेड, जिसपर कुछ आइसीयू बेड भी हैं। जरूरत के हिसाब से यदि बीमारी गंभीर होती है तो कम से कम 500 आइसीयू बेड की जरूरत पड़ेगी। जिसके लिए कम से कम ऑक्सीजन बेड का जुगाड़ हो पाया है। इसके लिए करीब 110 बेड पार्किंग लॉबी में सुरक्षित हैं। लेकिन इसका रख-रखाव नहीं हो पा रहा है। खुले में रखे होने के कारण गंदे हो रहे है, इस बारिश में कई बेड पर फफूंद भी पड़ रहे हैं।
इतना ही नहीं, रिम्स के इस मल्टी पार्किंग स्थल में लगे दरवाजे भी टूट चुके हैं या कुछ काम नहीं कर रहे। मरीजों के बेड पर चलता है कैरम का गेम :
मरीजों के लिए सुरक्षित रखे गए बेड पर कैरम का खेल चलता है। यहां रखवाली कर रहे कर्मियों के लिए यह कोई मनोरंजन स्थल से कम नहीं है। सभी कोरोना की दूसरी लहर में आए आपदा को भूल गए हैं और रिम्स प्रबंधन द्वारा दी गई व्यवस्था को दुरुस्त करने के बजाए उसी का प्रयोग कर रहे रहे हैं।
रिम्स के अधीक्षक डा विवेक कश्यप बताते हैं कि जरूरत पड़ने पर पीडियाट्रिक विभाग का विस्तार किया जाएगा। इसलिए गायनी विभाग को भी चिन्हित कर रखा गया है। मल्टी लेवल पार्किंग में कई बेड सुरक्षित रखे गए हैं। बाकी जो जरूरत है उसे पूरा कर लिया जाएगा।
शिशु रोग विभाग : एक नजर
पीडियाट्रिक वार्ड में 18 डाक्टर और 45 नर्सें हैं
एनआइसीयू में 8 डाक्टर हैं। इनमें एक प्रोफेसर, तीन एसोसिएट प्रोफेसर, तीन सीनियर रेजिडेंट और एक मेडिकल ऑफिसर हैं। सामान्य शिशु रोग वार्ड में 10 डाक्टर हैं
-चार टेक्निशियन, तीन वार्ड अटेंडेंट समेत अन्य कर्मचारी हैं।
रिम्स के पीडियाट्रिक वार्ड में कुल बेड 90 है
-एनआइसीयू बेड 31 है
-पीआइसीयू बेड 10 हैं
-बेबी वॉर्मर 32 हैं। 20 और लगना है। नियोनेटल केयर आइसीयू में पांच वेटिलेटर हैं
-एनआइसीयू व पीआइसीयू में मिलाकर 40 ऑक्सीजन मॉनिटर हैं।