PM Awas Yojana: झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में बन रहे पीएम आवास सवालों के घेरे में, जानिए इसका बड़ा कारण

PM Awas Yojana Jharkhand News Hindi Samachar झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में आवास बन रहे हैं लेकिन सुविधाएं नदारद हैं। पीएम आवास से बने आवासों में बिजली पानी शौचालय का अभाव है। ग्रामीण विकास विभाग ने 31 तक सही आंकड़े अपलोड करने का निर्देश दिया है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Sun, 15 Aug 2021 05:37 PM (IST) Updated:Mon, 16 Aug 2021 08:38 AM (IST)
PM Awas Yojana: झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में बन रहे पीएम आवास सवालों के घेरे में, जानिए इसका बड़ा कारण
PM Awas Yojana, Jharkhand News झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में आवास बन रहे हैं, लेकिन सुविधाएं नदारद हैं।

रांची, राज्य ब्यूरो। ग्रामीण क्षेत्रों में हर वंचित को आवास मुहैया कराने की कोशिशें धीरे-धीरे ही सही, परवान चढ़ रही हैं। वंचितों को घर भी मुहैया कराना और बिजली, पानी, शौचालय और एलपीजी जैसी मूलभूत सुविधाएं भी। लेकिन झारखंड में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) व अन्य मदों में बनाए गए आवासों और उन आवासों को उपलब्ध कराई जाने वाली मूलभूत सुविधाओं के बीच खासा अंतर है। सरकारी आंकड़े कुछ ऐसी ही पुष्टि कर रहे हैं। हालांकि आंकड़ों को लेकर कुछ जिच की स्थिति है, जिसे ग्रामीण विकास विभाग ने 31 अगस्‍त तक दूर करने का निर्देश दिया है।

बता दें कि भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी योजना के अंतर्गत निर्मित होने वाले सभी आवासों में बिजली, पानी, शौचालय और एलपीजी की सुविधा ग्रामीणों को मुहैया कराने का निर्देश दिया है। सरकारी भाषा में इसे कन्वर्जंस (अभिसरण) कहा जाता है। इन सुविधाओं को मुहैया कराए जाने के बाद इसे सरकारी वेबसाइट आवाससॉफ्ट में उपलब्ध लिंक के माध्यम से प्रखंड स्तर पर अपलोड किया जाना है। मौजूदा स्थिति की बात करें तो राज्य भर में अब तक 9.23 लाख से अधिक आवास पूर्ण किए जा चुके हैं। इनमें 1.10 लाख घरों में शौचालय की सुविधा मुहैया कराई गई है, जो कि निर्मित आवासों के सापेक्ष 12.30 प्रतिशत ही है।

इसी प्रकरण 1.11 लाख बिजली के कनेक्शन (12.39 प्रतिशत) दिए गए हैं। एलपीजी कनेक्शन 1.02 लाख (11.40 प्रतिशत) और पानी का कनेक्शन तो महज 29,439 आवासों (3.26 प्रतिशत) आवासों को ही मुहैया कराया गया है। सरकारी सिस्टम इस खामी स्वीकारने की जगह आंकड़े अपलोड न होने की बात कह रहा है। संभव हो, कुछ हद तक यह सही भी हो, लेकिन 90 प्रतिशत से अधिक अंतर तो कतई नहीं हो सकता। अब राज्य के ग्रामीण विकास विभाग ने इसकी वास्तविक हकीकत को जानने के लिए आंकड़े अपडेट करने का निर्देश दिया है और इसके लिए 31 अगस्त तक की मियाद भी तय कर दी है। जाहिर है, सिस्टम सच बोल रहा है या नहीं, यह अगले 15 दिनों में सामने आ जाएगा।

chat bot
आपका साथी