मनोचिकित्सक डॉ सिद्धार्थ बोले- कोरोना के भय से बढ़ रहे लोगों में अवसाद के मामले

कोरोना के भय से लोगों में मानसिक तनाव देखा जा रहा है । खास करके पोस्ट कोविड मरीजों में कई तरह की दिक्कतें आ रही है जिससे तनाव बढ़ रहा है। टेडेक्स कांके की ओर से आयोजित वेबिनार में कोविड-19 में मेन्टल हेल्थ को लेकर मनोचिकित्सक से बातचीत की गई।

By Vikram GiriEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 10:56 AM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 10:56 AM (IST)
मनोचिकित्सक डॉ सिद्धार्थ बोले- कोरोना के भय से बढ़ रहे लोगों में अवसाद के मामले
मनोचिकित्सक डॉ सिद्धार्थ बोले- कोरोना के भय से बढ़ रहे लोगों में अवसाद के मामले। जागरण

रांची, जासं। कोरोना के भय से लोगों में मानसिक तनाव देखा जा रहा है । खास करके पोस्ट कोविड मरीजों में कई तरह की दिक्कतें आ रही है जिससे तनाव बढ़ रहा है। टेडेक्स कांके की ओर से आयोजित वेबिनार में कोविड-19 में मेन्टल हेल्थ को लेकर शहर के मनोचिकित्सक से बातचीत की गई। संस्थान के क्यूरेटर राजीव गुप्ता ने रिनपास के वरिष्ठ सलाहकार न्यूरोसाइकियाट्रिस्ट डॉ सिद्धार्थ सिन्हा बातें की।

डॉ सिद्धार्थ ने कहा कि भारत में कोरोना की पहली और दूसरी लहर ने सभी वर्गों को प्रभावित किया है। कोरोना के कारण लोगों ने लंबे समय तक पूर्ण लॉकडाउन का सामना किया। तरह-तरह की पाबंदियों को झेला। रोजगार के साधन छिन गए। व्यापार में घाटा हुआ। कइयों ने अपने परिवार के सदस्यों को खो दिया। इन सभी स्थितियों का लोगों के मन-मस्तिष्क पर गहरा और बुरा असर पड़ा है। कुछ मामलों में तो लोग डिप्रेशन में भी चले गए। सोशल मीडिया व अन्य सूचना तंत्रों से फोटो, वीडियो, मौत से संबंधित खबरें, ऑक्सीजन की कमी, बिस्तरों की कमी, दवाओं की कमी आदि के मामलों ने लोगों के मन में नकारात्मक विचारों को जन्म दिया। स्कूल की बंदी, परीक्षाओं का रद्द होना आदि ने भी बच्चों और इससे जुड़े लोगों को अकेलेपन का शिकार बनाया है।

डॉ सिद्धार्थ ने कहा कि प्रत्येक मानव मस्तिष्क अलग-अलग तरीके से प्रतिक्रिया करता है। जहां कुछ लोग लचीला होते हैं। वहीं कुछ लोग कठिन परिस्थितियों से जल्दी ठीक होने के लिए पर्याप्त रूप से मजबूत नहीं होते हैं। उन्होंने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा की कोरोना की दूसरी लहर में छात्र ज्यादा प्रभावित रहे हैं। नियमित गतिविधियों के बजाय ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेने, ऑनलाइन परीक्षा, सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों से जुड़ाव आदि के कारण उनमें कई प्रकार के विकार ने जन्म लिया है। मनोरंजन का साधन भी बंद रहा। इससे वे चिंता, अवसाद, भय जैसे विकार से घिर गए हैं। कोरोना से ठीक होंगे या नहीं,होम आइसोलेशन में रहते हुए मरने का डर, ठीक न होने का डर, परिवार के अन्य सदस्यों को संक्रमित करने का डर आदि ने भी अवसाद के मामलों में वृद्धि की है।

डॉ सिद्धार्थ ने लोगों को मानसिक स्वास्थ्य क्या है, इसकी जानकारी दी। साथ ही जीवन को सामान्य बनाने, चिंता और अवसाद से निपटने के तरीके बताए। डॉ सिद्धार्थ ने किशोरों से संबंधित मुद्दों को प्राथमिकता देने, विश्लेषण करने जैसी कुछ गतिविधियों का सुझाव दिया।  व्यवहार परिवर्तन और आवश्यकता पर चिकित्सक, मनोचिकित्सक से संपर्क करने की सलाह दी। योग, व्यायाम, बंद जगहों की बजाय खुले स्थान पर भ्रमण करने की बात कही। उन्होंने भारत सरकार और झारखंड सरकार के जागरूकता कार्यक्रमों की भी सराहना की। वेबिनार को सफल बनाने में कनिष्क पोद्दार, कैलाश मांझी, बिजेंद्र शर्मा, शुभम शर्मा, शिवांगी चौधरी, चंद्र मोहन चुग, युवराज आनंद और प्रवीण राजगढ़िया का योगदान रहा।

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