फीस को लेकर स्कूल दे रहे नोटिस पर नोटिस, अभी विधि से ही परामर्श ले रहा विभाग

कोरोना काल में भी निजी स्कूलों ने जहां फीस बढ़ा दी है वहीं कई अन्य प्रकार के शुल्क ले रहे हैं। अभिभावकों द्वारा शुल्क जमा नहीं करने पर बार-बार स्कूलों से नोटिस मिल रहे हैं। अभिभावक पशोपेश में हैं कि बढ़ा हुआ शुल्क स्कूलों को देना है या नहीं।

By Vikram GiriEdited By: Publish:Tue, 20 Jul 2021 11:32 AM (IST) Updated:Tue, 20 Jul 2021 11:32 AM (IST)
फीस को लेकर स्कूल दे रहे नोटिस पर नोटिस, अभी विधि से ही परामर्श ले रहा विभाग
फीस को लेकर स्कूल दे रहे नोटिस पर नोटिस, अभी विधि से ही परामर्श ले रहा विभाग। जागरण

रांची, राज्य ब्यूरो। कोरोना काल में भी निजी स्कूलों ने जहां फीस बढ़ा दी है, वहीं कई अन्य प्रकार के शुल्क ले रहे हैं। अभिभावकों द्वारा शुल्क जमा नहीं करने पर बार-बार स्कूलों से नोटिस मिल रहे हैं। अभिभावक इसे लेकर भी पशोपेश में हैं कि बढ़ा हुआ शुल्क स्कूलों को देना है या नहीं। इधर, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग इसपर अभी तक विधि विभाग से परामर्श ही ले रहा है।

स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने इसपर विधि विभाग से परामर्श मांगा है कि निजी स्कूलों द्वारा सिर्फ ट्यूशन शुल्क लेने को लेकर पिछले वर्ष जारी आदेश इस वर्ष भी लागू हो पाएगा या नहीं। साथ ही इसपर भी परामर्श मांगा गया है कि फीस को लेकर सर्वोच्च न्यायालय तथा झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा जारी विभिन्न आदेशों की यह अवमानना तो नहीं होगी। हालांकि विभाग ने पिछले माह ही इसपर विधि विभाग से परामर्श मांगा था, लेकिन अभी तक इसपर परामर्श नहीं मिला सका है। सर्वोच्च न्यायालय ने इसी साल मई माह में एक आदेश में कहा है कि सरकार निजी स्कूलों द्वारा लिए जानेवाले शुल्क में कटौती नहीं कर सकती। हालांकि अभिभावक छह किस्तों में शुल्क दे सकते हैं तथा स्कूल चाहें तो शुल्क में रियायत भी दे सकते हैं। आदेश में यह भी कहा गया है कि शुल्क नहीं देने पर स्कूल बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा से वंचित नहीं कर सकते।

बता दें कि रांची के उपायुक्त के निर्देश पर जिला शिक्षा पदाधिकारी ने भी इसपर स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग से दिशा-निर्देश मांगा है। इससे पहले, उपायुक्त ने पिछले वर्ष जारी आदेश के आलोक में ट्यूशन फीस के अलावा अन्य शुल्क तथा शुल्क वृद्धि पर रोक लगा दी थी। बाद में स्कूलों के विरोध के बाद उन्होंने इसपर विभाग से दिशा-निर्देश लेने को कहा।

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