आजीवन कारावास की सजा काट रहे 129 कैदियों को भी छोड़ने पर बनी सहमति

अब राज्य की जेलों में बंद उम्रकैद के 129 कैदियों को भी छोड़ने पर सहमति बन गई है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 26 Sep 2018 08:35 AM (IST) Updated:Wed, 26 Sep 2018 08:35 AM (IST)
आजीवन कारावास की सजा काट रहे 129 कैदियों को भी छोड़ने पर बनी सहमति
आजीवन कारावास की सजा काट रहे 129 कैदियों को भी छोड़ने पर बनी सहमति

रांची : अब राज्य की जेलों में बंद उम्रकैद के 129 कैदियों को भी छोड़ने पर सहमति बन गई है। मंगलवार को राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की बैठक में इसपर सहमति बनी। जेल से रिहा होने वाले 129 कैदियों में 65 कैदी अनुसूचित जनजाति के, 13 कैदी 60 वर्ष से अधिक उम्र के और दो महिला कैदी शामिल हैं। इन्हें महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर दो से पांच अक्टूबर के बीच जेलों से रिहा किया जाएगा।

पर्षद की बैठक में कारा प्रबंधन ने आजीवन कारावास के कुल 137 कैदियों की सूची रखी थी। ये वैसे बंदी हैं, जो हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं और कम से कम 14 साल की सजा पूरी कर चुके हैं तथा जिनका सजा की अवधि में जेल के भीतर बेहतर चरित्र रहा है। इन 137 कैदियों में केवल 129 कैदियों को ही छोड़ने पर सहमति बनी है। पांच कैदियों के नाम को पर्षद ने अस्वीकृत कर दिया। तीन कैदियों के मामले लंबित रखे गए हैं। इस वित्तीय वर्ष में राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की यह दूसरी बैठक थी। अप्रैल में हुई पहली बैठक में 221 कैदियों को रिहा करने की मंजूरी दी गई थी।

पूर्व में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर केंद्रीय गृह मंत्रालय से विशेष कोटा के छोटे-मोटे जुर्म वाले बूढ़े-असहाय कैदियों को छोड़ने का आदेश हुआ था। इस विशेष मामले में पूर्व में कुल 15 कैदियों को ही छोड़ने पर सहमति बन चुकी है। इन 15 कैदियों में छह हजारीबाग, तीन रांची, तीन सिमडेगा, एक दुमका व दो चाईबासा के हैं। वहीं, 129 आजीवन कारावास वाले कैदियों को भी इसमें जोड़ दिया जाए तो राज्य की जेलों से छूटने वाले कैदियों की संख्या 144 हो गई है। ये कैदी दो अक्टूबर से पांच अक्टूबर के बीच राज्य की जेलों से छोड़ दिए जाएंगे।

राष्ट्रपिता के आदर्शो के अनुरूप होगा नए भारत का निर्माण : मुख्यमंत्री

राज्य सजा पुनरीक्षण पर्षद की बैठक में अध्यक्ष मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि महात्मा गांधी के आदर्शो के अनुरूप आचरण व शुचिता से नए भारत का निर्माण होगा। मानवता के नाते जेलों में बंद वैसे कैदी जिनका आचरण अच्छा है या उम्र ज्यादा हो गई है, उन्हें छोड़ा जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जेल में सुचिता पूर्ण जीवन जी रहे कैदियों को छोड़ने का आह्वान किया है। जिन कैदियों को छोड़ने पर फैसला किया गया है, उन्हें अच्छा और नया जीवन शुरू करने के लिए प्रेरित किया जाए, उन्हें सुधरने का मौका दिया जाए। कई बार आवेश में आकर कोई किसी घटना को अंजाम दे देता है, यदि जेल में सजा के दौरान उसे अपने अपराध का बोध है तथा उनका आचरण व्यवहार अच्छा हो गया है तो सजा का मूल उद्देश्य भी पूरा हो जाता है। ऐसे आचरण वाले 14 साल से ज्यादा समय तक जेलों में बंद कैदियों को छोड़ने के लिए प्राथमिकता दें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की जेलों में बंद ज्यादातर लोग गरीब व अशिक्षित हैं, जिन्हें जमानत लेने या मुकदमा करने का पूरा ज्ञान नहीं है। झारखंड में आदिवासी, अनुसूचित जाति समाज के लोग अशिक्षा के कारण सजा पूरी होने के बाद भी जेलों में ही बंद है।

वरीय अधिकारी रहे मौजूद

गृह विभाग के प्रधान सचिव एसकेजी रहाटे, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डा. सुनील कुमार वर्णवाल, डीजीपी डीके पाडेय, कारा महानिरीक्षक वीरेंद्र भूषण, सहायक कारा महानिरीक्षक दीपक कुमार विद्यार्थी व अन्य सदस्य बैठक में मौजूद थे।

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