Sarana Religion Code: आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड पर दबाव तेज होगा, दो दिसंबर को नई दिल्ली में देशभर के कई आदिवासी संगठन करेंगे सत्याग्रह

Sarana Religion Code आदिवासियों के लिए जनगणना-2021 में अलग धर्म कोड पर दबाव तेज होगा। दो दिसंबर को नई दिल्ली में देशभर के विभिन्न आदिवासी संगठनों ने सत्याग्रह करने का निर्णय किया है। राष्ट्रीय आदिवासी समाज सरना धर्म रक्षा अभियान के राष्ट्रीय प्रतिनिधि सभा की नई दिल्ली में बैठक होगी।

By Kanchan SinghEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 12:07 AM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 12:07 AM (IST)
Sarana Religion Code: आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड पर दबाव तेज होगा, दो दिसंबर को नई दिल्ली में देशभर के कई आदिवासी संगठन करेंगे सत्याग्रह
आदिवासियों के लिए जनगणना-2021 में अलग धर्म कोड पर दबाव तेज होगा।

रांची, राब्यू । आदिवासियों के लिए जनगणना-2021 में अलग धर्म कोड पर दबाव तेज होगा। दो दिसंबर को नई दिल्ली स्थित जंतर मंतर पर देशभर के विभिन्न आदिवासी संगठनों ने सत्याग्रह करने और धरना देने का निर्णय किया है। इससे पहले राष्ट्रीय आदिवासी समाज सरना धर्म रक्षा अभियान के राष्ट्रीय प्रतिनिधि सभा की नई दिल्ली में बैठक होगी। संगठन ने हाल ही में यहां संपन्न हुई भाजपा एसटी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में सरना और सनातन धर्म को एक बताने पर आपत्ति जताई है।

मंगलवार को राष्ट्रीय आदिवासी समाज सरना धर्म रक्षा अभियान के तत्वावधान में देशवाली सरना स्थल, हरमू में विशेष बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता डा. करमा उरांव ने की। बैठक में निर्णय किया गया कि 11 नवंबर को झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र में सरना धर्म कोड पारित होने के उपलक्ष्य में समारोह का आयोजन प्रखंड से लेकर राज्य स्तर पर किया जाएगा। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान एक एवं दो दिसंबर को प्रतिनिधि सभा की बैठक होगी, जिसमें देश के विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि भाग लेंगे।

जंतर मंतर में सत्याग्रह कार्यक्रम और धरना का आयोजन किया गया है। इसके जरिए केंद्र सरकार से सरना धर्म कोड के संबंध में मांग रखी जाएगी और देश स्तर पर सरना धर्म कोड आंदोलन को तेज किया जाएगा। संगठनों ने चेतावनी दी है कि सरना धर्म कोड को लेकर झारखंड में विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच प्रतिस्पर्धा हो रही है और यह अच्छी बात नहीं है। सरना धर्म सर्वमान्य हो चुका है और इसे लेकर कोई टीका टिप्पणी नहीं होनी चाहिए अन्यथा सरना धर्मावलंबी इस पर अपनी नजर रखेंगे और वैसे दलों के राजनीतिक लाभ हानि को प्रभावित करेंगे।

बैठक में विद्यासागर केरकेट्टा, पाड़हा राजा सोमा मुंडा, रंथू उरांव, सुशील उरांव, रवि तिग्गा, नारायण उरांव, शिव प्रसाद भगत, मथुरा कंड़ीर, शिवा कच्छप, रेणु तिर्की, माधो कच्छप, प्रदीप तिर्की, चम्पा कुजूर, संजय कुजूर, कुईली उरांव, अनीता टोप्पो, फूलमनी उरांव, भीम तिर्की, नान्हे कच्छप, चामू बेक, बंधना टोप्पो, तानसेन गाड़ी, अर्जुन गाड़ी, बिरसा उरांव आदि उपस्थित थे।

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