President Kovind in Gumla: ठेठ आदिवासियों से मिले राष्ट्रपति कोविंद, अशोक भगत को सराहा
महामहिम रामनाथ कोविंद ने कहा कि त्याग बलिदान संघर्ष स्वाभिमान मानव श्रेणी के उच्चतर गुण हैं। ये सभी गुण अशोक भगत में भी देखे जा सकते हैं। राष्ट्रपति शनिवार को विकास भारती पहुंचे।
रांची, जेएनएन। President Kovind in Jharkhand तीन दिवसीय दौरे पर झारखंड पहुंचे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शनिवार को गुमला पहुंचे। उन्होंने यहां विशुनपुर में विकास भारती के कार्यों को परखा। राष्ट्रपति ने विशुनपुरप में कहा कि पिछले 4 वर्षों से मैं यहां आना चाह रहा था। लेकिन मौसम प्रतिकूल होने से और समय नहीं मिलने से यहां नहीं आ पाया। मैं ठेठ आदिवासियों से मिलना चाहता हूं। उनकी दशा देखना चाहता हूं। अशोक भगत संपन्न घर के हैं। लेकिन सेवा के लिए घर का त्याग कर दिए हैं। विशुनपुर त्याग बलिदान सम्मान और सेवा की भूमि है। सम्मान और सेवा की भूमि है। शिक्षा से ज्ञान को बढ़ावा मिलना चाहिए, जिससे आदर्श नागरिक बनाया जा सके। सेवा के भाव के कारण अशोक भगत को पद्मश्री पुरस्कार मिला है। इन्होंने अपने जीवन में आदिवासियों के बीच रमना पसंद किया है। रच बस गए हैं।
महामहिम रामनाथ कोविंद ने कहा कि त्याग बलिदान संघर्ष स्वाभिमान मानव श्रेणी के उच्चतर गुण हैं। ये सभी गुण अशोक भगत में भी देखे जा सकते हैं। जतरा टाना भगत और फूलों जानू ने भी इन गुणों के बदौलत मानव श्रेणी के उच्चतम स्तर को हासिल किया था, वे सभी शहीद हमारे लिए प्रेरणा के स्रोत हैं जिनसे हम सीख सकते हैं। हमें उनसे सीखना चाहिए। उन्होंने वर्तमान समाज का उल्लेख करते हुए कहा कि हमें सीखने की कोशिश करनी चाहिए जो सीखना नहीं चाहते हैं, उन्हें सिखाया भी नहीं जा सकता।
महामहिम गुमला से सीधे देवघर जाएंगे, जहां वे बाबा बैद्यनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन करेंगे। बीते दिन राजधानी रांची में सेंट्रल यूनिवर्सिटी के दीक्षा समारोह में राष्ट्रपति ने इस बारे में विस्तार से बताया। राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने विशनुपुर में विकास भारती द्वारा जनजाति समाज के विकास के लिए किए गए कार्यों के बारे में सुना है। पिछले दो वर्ष से वहां जाकर संस्था के कार्यों को देखने की इच्छा थी। पिछले दौरे में मौसम अनुकूल नहीं होने से मुझे वहां जाने से मना कर दिया गया था। उन्होंने उस समय ही वादा किया था कि वे इसके लिए शीघ्र झारखंड दोबारा आएंगे।
एक बार फिर रांची में बादल देखकर वे थोड़ा घबरा गए। उन्होंने आसमान में बादल देखकर राजभवन में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से पूछा, राज्यपाल मैडम! कहीं फिर रांची में बारिश तो नहीं होगी? राज्यपाल इसपर हंसने लगीं। दरअसल, राष्ट्रपति पिछले वर्ष सितंबर माह में तीन दिवसीय झारखंड दौरे पर आए थे, तो उस समय रांची सहित पूरे झारखंड में काफी बारिश हुई थी। इस कारण उन्हें गुमला के विशुनपुर तथा देवघर भ्रमण का कार्यक्रम टालना पड़ा था। उन्हें पूरे दो दिन राजभवन में ही गुजारना पड़ा था। तब वे सिर्फ रांची विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल हो सके थे।
राष्ट्रपति का इस बार भी शनिवार को विशुनपुर तथा देवघर भ्रमण का कार्यक्रम है। पहले वे विशनुपुर जाएंगे। वहीं से देवघर चले जाएंगे। उनके साथ राज्यपाल भी जाएंगी। इधर, राष्ट्रपति ने दीक्षांत समारोह में भी रांची में इस बार भी बादल होने का जिक्र करते हुए कहा कि शनिवार को उनका विशुनपुर जाने का कार्यक्रम है। यह भी कहा कि यदि इस बार भी वर्षा के कारण जा नहीं पाए तो वे फिर इस कार्यक्रम के लिए झारखंड आएंगे। राष्ट्रपति ने दीक्षांत समारोह में रांची के रामकृष्ण मिशन तथा गुमला के विशुनपुर में काम कर रहे विकास भारती के कार्यों की सराहना की।
गुमला में जनजातीय परंपरा से राष्ट्रपति का स्वागत
29 फरवरी के पूर्वाह्न राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के आगमन पर उनका स्वागत विकास भारती के प्रशासनिक भवन तक्षशिला आश्रम के प्रवेश द्वार पर जनजातीय परंपरा से किया गया। सरहुल और करमा जैसे पर्वों में होने वाले नृत्य और गीत से राष्ट्रपति का स्वागत महिलाओं के समूह ने किया। हाथ धुलाई कर महिलाओं ने राष्ट्रपति को जनजातीय परंपरा से अवगत कराया। टाना भगत समुदाय के लोगों ने शंख और घंटा बजाकर राष्ट्रपति को स्थानीय परंपरा एवं रीति रिवाज से अवगत कराया। विकास भारती के प्रणेता पद्मश्री अशोक भगत के साथ सबसे पहले राष्ट्रपति ने भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। विकास भारती पहुंचने से पहले जतरा टाना भगत विद्यामंदिर के समीप राष्ट्रपति के उतरने पर गुलदस्ता देकर अशोक भगत और जिला प्रशासन के अधिकारी ने उनकी अगवानी की। रास्ते में सड़क के दाेनों किनारे श्रृंखला बनाकर खड़े लोगों ने राष्ट्रपति का अभिनंदन किया।
अनाथ और दिव्यांग बच्चों से मिले राष्ट्रपति
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ज्ञान निकेतन परिसर में पढ़ रहे अनाथ बच्चे-बच्चियों से भी मिले। असुर और बिरिजिया समाज भी राष्ट्रपति के स्वागत में जमा हुआ। उन्होंने बच्चों की समस्याएं सुनीं। फूलों झानों की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। बच्चियाें ने लोक गीत से राष्ट्रपति का स्वागत किया। राष्ट्रपति ने स्मृति चिह्न के रूप में यहां पौधरोपण किया।
संघर्ष की धरती गुमला ने खींचा राष्ट्रपति का ध्यान
गुमला का बिशुनपुर संघर्ष, स्वाभिमान और देश प्रेम की भूमि है जहां जतरा टाना भगत ने अंग्रेजों के खिलाफ अपने संघर्ष से स्वाभिमान का प्रदर्शन करते हुए मां भारती के सम्मान की खातिर अपने जीवन का बलिदान कर दिया। जतरा टाना भगत ने अङ्क्षहसक और सात्विक विचारधारा आज भी प्रवाहित हो रही है। उसी संघर्ष की भूमि पुत्रों के विकास और कल्याण की कल्पना का मूर्त देने के लिए पद्मश्री अशोक भगत ने सत्ता का मोह छोड़कर सेवा को प्राथमिकता दी। उनकी सेवा भावना ही राष्ट्रपति रामनाथ कोङ्क्षवद को बिशुनपुर आने के लिए प्रेरित किया है।
शनिवार को राष्ट्रपति का आगमन न सिर्फ बिशुनपुर के लिए बल्कि जनजातीय बहुल गुमला जिला के लिए गौरव और ऐतिहासिक पल होगा। राष्ट्रपति के आगमन को लेकर बिशुनपुर में उत्सव का माहौल है और इस उत्सव का माहौल बनाने का श्रेय निश्चित रूप से जनजातीय समाज को उनका अधिकार दिलाने, उनकी भूखमरी और बेबसी मिटाने, गरीबी और कुपोषण के खिलाफ साढ़े तीन दशक तक संघर्ष करने वाले उस अशोक भगत के संघर्ष को जाता है जिन्होंने कल्पना को हकीकत में बदलने का काम किया है। राष्ट्रपति यहां जनजातीय संस्कृति कीखासियतों से भी अवगत होंगे।
बाबा मंदिर सजधज कर तैयार
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के देवघर आगमन पर बाबा मंदिर सजधज कर तैयार है। बाबा मंदिर को फूलों से सजाया गया है। मंदिर परिसर में कारपेट बिछाया गया है। सुरक्षा की चाक चौबंद व्यवस्था बहाल की गई है। राष्ट्रपति के आगमन को देखते हुए श्रद्धालुओं के लिए सुबह 10 बजे से तीन बजे शाम तक प्रवेश पर रोक रहेगी। राष्ट्रपति का आगमन एक बजकर पांच मिनट पर कुंडा एयरपोर्ट पर होगा और वे एक बजकर 35 मिनट पर बाबा मंदिर आएंगे। उनके मंदिर आगमन पर 11 वैदिक पुरोहित शंखनाद से उनका स्वागत करेंगे। राष्ट्रपति को स्टेट तीर्थ पुरोहित श्रीनाथ महाराज की अगुवाई में षोडशोपचार विधि से पूजा कराया जाएगा। इसके उपरांत राष्ट्रपति देवघर परिसदन जाएंगे और लंच करेंगे। राष्ट्रपति परिसदन से शाम 3.50 बजे कुंडा एयरपोर्ट के लिए रवाना होंगे।