असमय बारिश से फसल पर बढ़ा कीड़ों का प्रकोप, कृषि वैज्ञानिकों ने दी सलाह

गांवों में बढ़ते कोरोना संक्रमण और लाकडाउन के कारण खेती पर पहले ही बड़ा विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 08:00 AM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 08:00 AM (IST)
असमय बारिश से फसल पर बढ़ा कीड़ों का प्रकोप, कृषि वैज्ञानिकों ने दी सलाह
असमय बारिश से फसल पर बढ़ा कीड़ों का प्रकोप, कृषि वैज्ञानिकों ने दी सलाह

जासं, रांची : गांवों में बढ़ते कोरोना संक्रमण और लाकडाउन के कारण खेती पर पहले ही बड़ी मार पड़ी है। ऊपर से बारिश से गरमा फसलों एवं लत्तीदार सब्जियों में हानिकारक कीटों का प्रकोप बढ़ गया है। अभी खेतों में गरमा फसलों में मूंग व मकई, सब्जियों में नेनुआ, खीरा, लौकी, करैला, भिंडी, टमाटर, शिमला मिर्च आदि लगी हुईं हैं। बीएयू के कीट विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डा. पीके सिंह ने किसानों के लिए परामर्श जारी किया है।

उन्होंने बताया कि मौसम में बदलाव के कारण मूंग की फसल में थ्रिप्स कीड़ा का प्रकोप देखा जा रहा है जो मूंग की फली को नुकसान पहुंचाता है। सफेद मक्खी का प्रकोप भी खेतों में देखा जा रहा है। यह आकार में काफी छोटी होती है और इसे सुबह के समय पत्तियों के नीचे देखा जा सकता है। यह कीट पत्तियों का रस चूसकर नुकसान पहुंचाता है तथा पौधे पर पीला मौ•ोक बीमारी फैलाता है। जब यह बीमार पौधे को खाकर स्वस्थ्य पौधे को खाती है तब पीला मो•ोक बीमारी का फैलाव होता है। इन दोनों कीटों के बचाव में विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है।

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पीला मोजेक बीमारी दिखे तो रहे सावधान

डा. पीके सिंह ने बताया कि सबसे पहले खेतों में पीला मो•ोक रोग से ग्रसित पौधे को उखाड़कर दूसरी जगह गाड़ कर नष्ट कर दें। फसल पर एक ग्राम थाईमेथाक्सम को तीन लीटर पानी में घोल कर या एक मिली इमिडाक्लोराइड को दो लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। वहीं मूंग में यदि फली आ गई हो तथा कीट फली में छेदकर खाकर नुकसान कर रहा हो तो, इंडोएस्कार्ब 14.5 एससी या स्पाइनोसाइड 45 एससी नामक दवा का एक मिली को 2 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव लाभप्रद होगा। मकई के तने को खा रहे कीट:

खेत में तीन से सात सप्ताह के गरमा मकई फसल में तना छेदक कीट का आक्रमण देखा जा रहा है। इस कीट का पिल्लू मकई पौधे के तने में छेदकर आतंरिक भागों को खा जाते हैं। इससे बचाव के लिए दानेदार कीटनाशी दवा फिप्रानिल 0.3 जी या कारबोफ्युरान 3 जी का 8 -10 दाना का व्यवहार पत्तियों के उपरी चक्र में करना लाभप्रद होगा। पत्तियों पर भूरे रंग के छोटे गोल व अंडाकार धब्बे व अनियमित आकार सबंधी पत्र लक्षण प्रकट होते ही मैनकोजैब 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। पत्तियों एवं तनों पर भूरे व काले रंग के धब्बे वाली हरदा रोग का मैनकोजैब से ही उपचार किया जा सकता है। राख में किरासन तेल मिला कर सकते हैं प्रयोग:

डा. पीके सिंह ने बताया कि खेत में खड़ी फसल में बाली निकलने की अवस्था में गंधी बग कीट के प्रकोप से बचाव के लिए कीटनाशी दवा क्लोरपाइरीफोस या क्वीनांल्फोस या मिथाइल पराथियोन का छिड़काव 10 किलो प्रति एकड़ की दर से शाम के समय मौसम साफ रहने पर करें। छिड़काव के बाद कीड़े बगल के खेतों में चले जाते है। इसलिए अलग - अलग खेतों में छिड़काव करना उत्तम होगा। कीटनाशी दवा नहीं रहने पर राख में मिट्टी या किरासन तेल मिलाकर खड़ी फसल पर छिड़काव किया जा सकता है। सब्जियों के फूल को खा रहे कीट:

सब्जियों के समय पर बोया गया फसल यदि पुष्पावस्था में हो और फूल मुरझा कर गिर रहा हो तो संभावित थ्रिप्स (चुरदे) कीट से बचाव के लिए कीटनाशी दवा ट्राइजोफोस या प्रोफेन्फोस का छिड़काव एक मिली को प्रति लीटर पानी की दर से मिलाकर शाम के समय मौसम साफ रहने पर छिड़काव करें। लत्तरदार सब्जियों जैसे नेनुआ, खीरा, लौकी, करैला तथा अन्य सब्जियों में भिंडी, टमाटर, शिमला मिर्च आदि में लाल भृंग, फल मक्खी या लाल मकड़ी का प्रकोप देखने को मिल रहा है। यदि पौधों में फल लगना शुरू हो गया हो तो, नीम से बना कीटनाशी जैसे अचुक, नीमेरीन, नीमेसिडीन में से किसी एक दवा पांच मिली को प्रति लीटर पानी में मिलाकर मौसम साफ रहने पर छिड़काव करना चाहिए।

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