खतरे में शहर की पहचान पहाड़ी मंदिर

इस बार आप सावन में पहाड़ी मंदिर जा रहे हैं तो थोड़ा सावधान होकर जाइए, जीर्णोद्धार काम बीच में रुक जाने के कारण फिलहाल अव्यवस्था फैल चुकी है। मुख्यमंदिर की दीवरें चिटकी हुई हैं, सीढि़यां टूट चुकी हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 17 Jul 2018 08:47 AM (IST) Updated:Tue, 17 Jul 2018 08:47 AM (IST)
खतरे में शहर की पहचान पहाड़ी मंदिर
खतरे में शहर की पहचान पहाड़ी मंदिर

रांची : इस बार अगर आप सावन में बाबा पहाड़ी के दर्शन को जा रहे हैं तो थोड़ा सावधान होकर जाइए। अपने कदम रास्तों में संभाल कर रखिए, कहीं किसी दुर्घटना के शिकार न हो जाएं। 28 जुलाई से सावन शुरू हो रहा है, लेकिन अभी बदइंतजामी है। पहाड़ी मंदिर का अस्तित्व खतरे में है। जर्जर हो चुके पहाड़ी मंदिर का जीर्णोद्धार कराया जा रहा था, लेकिन काफी सुस्त गति से। फिलहाल मंदिर के जीर्णोद्धार का काम आठ महीने से बंद है। जीर्णोद्धार के दौरान की गई तोड़-फोड़ से मुख्य मंदिर की दीवारें भी कहीं-कहीं से दरक चुकी हैं। इस सावन में लाखों श्रद्धालु भगवान के दर्शन को जाएंगे। कायदे से सावन के पूर्व ही जीर्णोद्धार का लक्ष्य पूरा कर लेना चाहिए था, जो कि संभव नहीं हो पाया। बारिश के इस मौसम में जर्जर पहाड़ी से मिट्टी का कटान भी शुरू हो गया है। जीर्णोद्धार के नाम पर मुख्य मंदिर के बगल का धर्मशाला पहले से ही तोड़ दी गई है। वहां पानी भरने से मुख्य मंदिर को भी खतरा उत्पन्न हो गया है। पहाड़ी के साथ मंदिर के अस्तित्व पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। समिति सुस्त हो चुकी है। कोषाध्यक्ष हरि जालान दिसंबर में ही अस्वस्थता का हवाला देकर इस्तीफा दे किनारे हो चुके हैं। अब तक कोषाध्यक्ष का चुनाव नहीं हो सका है। मंदिर के पदेन अध्यक्ष डीसी और सचिव एसडीओ होते हैं। कुछ दिन पहले बैठक कर केला की गाछ लगाकर मिट्टी कटान को रोकने की सलाह दी थी, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है। पूरब व पश्चिम दिशा में लगे पेड़ को काट दिया गया है। कुछ पेड़ जर्जर हो चुके हैं।

व्यावसायिक केंद्र बनाने की योजना

यहां मंदिर समिति आस्था के नाम पर पहाड़ी का व्यावसायीकरण करना चाहती है। इसके लिए समिति पूरा जोर लगा रही है। पहाड़ी पर पार्क, रेस्टोरेंट बनाने की योजना भी है। पश्चिम की तरफ से भी पहाड़ी पर उगे पेड़ को काट कर रास्ता बनाया गया है। यह काम भी आधा-अधूरा है। सड़क बनाने के नाम पर पहाड़ी को क्षतिग्रस्त किया और पेड़ काटे गए। अब पहाड़ी नंगी हो चुकी है। वहीं गार्डवाल भी काफी जमीन छोड़ कर बनाया गया है।

मंदिर का निर्माण कार्य बंद

मंदिर के प्रवक्ता मुकेश अग्रवाल बताते हैं कि मंदिर निर्माण का काम महीनों से बंद है। पुराना भवन टूट चुका है। पूरी पहाड़ी संकट में है। इसे देखने वाला कोई नहीं। कोषाध्यक्ष दे चुके हैं इस्तीफा

कोषाध्यक्ष हरि जालान ने अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं। स्वास्थ्य ठीक नहीं रहने के कारण ऐसा कदम उठाया है। 31 दिसंबर के बाद नए कोषाध्यक्ष का चुनाव ही नहीं हुआ। सो, हरि जालान केवल पुजारियों के वेतन संबंधी चेक पर ही हस्ताक्षर कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि मंदिर का काम अब नहीं देख रहे हैं। चूंकि पुजारी का परिवार चलता रहे, इसलिए उनके वेतन संबंधी चेक ही साइन कर रहे हैं।

अरघा से चढ़ेगा जल

प्रवक्ता मुकेश ने बताया कि इस बार भी चार अरघा लगेंगे, जिससे भक्त भगवान का अभिषेक कर सकेंगे। सावन को लेकर काम चल रहा है। बिजली आदि को दुरुस्त किया जा रहा है। फांसी टुंगरी के नाम से जानी जाती थी पहाड़ी

पहाड़ी पहले फासी टुंगरी के नाम से जानी जाती थी। पहाड़ी मंदिर समुद्र तल से 2140 मीटर की ऊंचाई पर है। मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यहां अंग्रेजों के समय स्वतंत्रता सैनानियों को फांसी पर लटकाया जाता था। देश जब आजाद हुआ तो आधी रात को यहां तिरंगा फहराया गया। तब से यहां 15 अगस्त एवं 26 जनवरी को तिरंगा फहराया जाता है। इसकी इस ऐतिहासिकता को देखते हुए देश का सबसे ऊंचा तिरंगा फहराने का संकल्प लिया गया। यह शुरू भी हुआ और पीलर भी लगा। रक्षामंत्री ने इसका विधिवत उद्घाटन किया, लेकिन ऊंचाई पर होने के कारण तिरंगा बार-बार फट जा रहा था, जिसके कारण अब उसे उतार दिया गया है। मुख्य मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 450 सीढि़यां चढ़नी पड़ती है। मंदिर प्रागण से पूरे रांची शहर का खूबसूरत नजारा दिखाई देता है। इस पहाड़ी की दूसरी विशेषता यह है कि यह हिमालय से भी करोड़ों साल पुरानी है।

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