Jagran Impact: गरीबों के लिए बने पीएम आवास को बना दिया था चर्च, जानिए फिर क्या हुआ
झारखंड के खूंटी सिमडेगा गुमला सहित राज्य के कई जिलों में मतांतरण के साथ साथ अवैध रूप से चर्च बनाने का भी काम चल रहा है। झारखंड में लागू सीएनटी (छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट) का उल्लंघन कर गलत तरीके से आदिवासियों की जमीन पर कब्जा कर रहे हैं।
रांची [संजय कुमार] । झारखंड के खूंटी, सिमडेगा, गुमला सहित राज्य के कई जिलों में मतांतरण के साथ साथ अवैध रूप से चर्च बनाने का भी काम चल रहा है। झारखंड में लागू सीएनटी (छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट) का उल्लंघन कर गलत तरीके से आदिवासियों की जमीन पर कब्जा कर चर्च बनाने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। दैनिक जागरण ने लगातार मतांतरण की साजिश पर खबरें प्रकाशित कर शासन-प्रशासन का इस ओर ध्यान आकृष्ट कराया है।
24 जुलाई को दैनिक जागरण ने पीएम आवास योजना से बने खूंटी जिला के तोरपा प्रखंड के पंढरिया गांव में एक ग्रामीण के घर को प्रार्थना स्थल बना लिए जाने की खबर प्रकाशित की थी। इसी प्रखंड के रायसिमला गांव के पाहन टोली में बुधराम मुंडा के घर को विश्ववाणी चर्च में बदल देने का मुद्दा भी जागरण ने उठाया था। जागरण में खबर प्रकाशित होने के बाद पुलिस-प्रशासन ने मामले का संज्ञान लेते हुए संबंधित लोगों को ग्रामीणों के घरों से चर्च व प्रार्थनास्थल हटाने को कहा था।
जागरण में खबर प्रकाशित होने के बाद हेंब्रोन प्रार्थना स्थल को बंद कर दिया गया है। वहां लगाए गए बोर्ड को भी हटा दिया गया है। सामाजिक कार्यकर्ता प्रिया मुंडा ने कहा कि बुधराम मुंडा के घर को भी खाली कराने के लिए खूंटी के उपायुक्त को जल्द आवेदन दूंगी। उन्होंने कहा कि सुदूर ग्रामीण इलाकों में कई चर्च इस तरह से चल रहे हैं। इन सभी को हटाने के लिए व्यापक पैमाने पर अभियान चलाने की जरूरत है। मतांतरण कराने वाले ग्रामीणों को बरगला कर उनके घर में प्रार्थना स्थल और चर्च बना देते हैं।
नामकुम में प्रशासन के आदेश से चर्च को खाली करा बनाया गया सरना स्थल
गलत तरीके से बनाए गए चर्च का मामला सरना समाज के लोग प्रशासन के समक्ष समय-समय पर उठाते रहे हैैं। कई मामलों में.सरना समाज के पक्ष में फैसला भी आ चुका है। ऐसा ही एक मामला नामकुम प्रखंड के ग्राम गढख़टंगा का है। यहां पहनाई जमीन पर चर्च बना दिया गया था। मामला रांची सदर एसडीओ कोर्ट में गया। कागजात देखने के बाद अनुमंडल पदाधिकारी सदर रांची ने सरना समाज के पक्ष में फैसला दिया। उसके बाद चर्च को हटाकर सरना भवन बना दिया गया। पहनाई जमीन उसे कहते हैं जिसे उस गांव के सरना समाज द्वारा पाहन को उनके भरण-पोषण के लिए दिया जाता है।