पीएलएफआइ सुप्रीमो दिनेश गोप की कमजोर पड़ रही ताकत, पैसे की कमी से संगठन में बढ़ा विवाद, गुप्तचरों की सूचना से सुरक्षा बल हुए हावी
उग्रवादी संगठन पीएलएफआइ की पकड़ धीरे-धीरे कमजोर पड़ रही है। हाल के कुछ महीनों में संगठन के प्रमुख दिनेश गोप की ताकत कमजोर पड़ी है। लाकडाउन के बाद लेवी की वसूली में आई कमी के कारण दस्ते के बीच आर्थिक संकट बढ़ा है। आपसी तकरार शुरू हो गया है।
फहीम अख्तर, रांची । भारत की कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी के बाद झारखंड में सबसे ज्यादा मजबूत स्थिति में खड़े उग्रवादी संगठन पीएलएफआइ की पकड़ धीरे-धीरे कमजोर पड़ रही है। हाल के कुछ महीनों में संगठन के प्रमुख दिनेश गोप की ताकत कमजोर पड़ी है। लाकडाउन के बाद लेवी की वसूली में आई कमी के कारण दस्ते के बीच आर्थिक संकट बढ़ा है। लिहाजा आपसी तकरार शुरू हो गया है। पीएलएफआइ की माओवादियों से पहले से विवाद की स्थिति रही है। लेवी वसूली को लेकर यह और बढ़ा है। सुरक्षा बलों के गुप्तचरों की सूचना पर संगठन के सदस्य एक-एक कर पुलिस के हत्थे चढ़ रहे हैं। संगठन अब खुद ही आगे आकर दावा कर रहा है कि उसके लोगों को पुलिस ने हिरासत में ले रखा है। इसका खुलासा नहीं किया जा रहा है। जाहिर है ऐसी स्थिति दस्ते के कमजोर पड़ते प्रभाव की तरफ इशारा कर रहे हैं। हालांकि सुरक्षा बलों के जवान अभी भी पीएलएफआइ को एक मजबूत चुनौती मानकर चल रहे हैं।
संगठन के शीर्ष नेताओं के बारे में पूरी तरह जानकारी नहीं
सुरक्षाबलों के पास पीएलएफआइ के शीर्ष नेताओं के बारे में पूरी तरह जानकारी अब तक नहीं मिल पाई है। संगठन के सुप्रीमो दिनेश गोप सहित कोई महत्वपूर्ण पदाधिकारियों की तस्वीर सुरक्षाबलों के पास नहीं है। लिहाजा इनके ठीक से पहचान करना बेहद मुश्किल है। हाल के दिनों में पीएलएफआइ के नाम पर रंगदारी मांगे जाने के मामले बढ़े हैं। इसमें कई दूसरे अपराधी गिरोहों की भी सांठ-गांठ सामने आ रही है। सुरक्षा बल फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है।
लगातार खुल रहे राज
जैसे जैसे संगठन के लोग पुलिस के हत्थे चढ़ रहे हैं, वैसे वैसे इसके बारे में सुरक्षाबलों की जानकारी भी बढ़ रही हैं। हर दिन इस संगठन के बारे में कुछ नए राज खुल रहे हैं। पुलिस की पूछताछ में संगठन के गिरफ्तार लोगों ने ही दावा किया है कि वर्तमान में आर्थिक संकट सबसे बड़ी चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। कपड़े, दवाइयां, राशन जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए विवाद होने प्रारंभ हो गए हैं। नए हथियारों की खेप भी पैसे के अभाव में संगठन तक नहीं पहुंच पा रही है।
- यह सही है कि पीएलएफआइ के बारे में हमारे पास लगातार नए इनपुट प्राप्त हो रहे हैं। इसके आधार पर रणनीति तैयार कर हम अपनी कार्रवाई कर रहे हैं।
-नौशाद आलम, ग्रामीण एसपी रांची।