झारखंड में मतांतरण करा रहे केरल, हैदराबाद व बेंगलुरू के पादरी

झारखंड में मतांतरण का खेल वर्षों से चल रहा है। रघुवर सरकार ने कानून बनाकर इस पर थोड़ी सख्ती की लेकिन कोरोना काल में इसमें फिर तेजी आ गई है। केरल हैदराबाद बेंगलुरू और चेन्नई सहित दक्षिण भारत के सैकड़ों पादरी फिलहाल यहां सक्रिय हैं।

By Vikram GiriEdited By: Publish:Fri, 16 Jul 2021 12:57 PM (IST) Updated:Fri, 16 Jul 2021 01:05 PM (IST)
झारखंड में मतांतरण करा रहे केरल, हैदराबाद व बेंगलुरू के पादरी
झारखंड में मतांतरण करा रहे केरल, हैदराबाद व बेंगलुरू के पादरी। जागरण

रांची [संजय कुमार] । झारखंड में मतांतरण का खेल वर्षों से चल रहा है। रघुवर सरकार ने कानून बनाकर इस पर थोड़ी सख्ती की, लेकिन कोरोना काल में इसमें फिर तेजी आ गई है। केरल, हैदराबाद, बेंगलुरू और चेन्नई सहित दक्षिण भारत के सैकड़ों पादरी फिलहाल यहां सक्रिय हैं। इन लोगों ने कोरोना काल में सेवा के नाम पर लोगों की मदद कर अवैध मतांतरण के काम में तेजी लाने का काम किया। खूंटी, सिमडेगा, गुमला आदि जिलों के कई गांव ऐसे हैं जहां के अधिकतर परिवार मतांतरित हो चुके हैं।

कई गांवों में भोले-भाले आदिवासियों की जमीन स्कूल खोलने और गोदाम बनाने आदि के नाम पर लेकर चर्च खोल दिए हैं। कई जगहों पर तो इंदिरा आवास को भी चर्च बना दिया है। आदिवासियों को भरमाने के लिए उनके देवता सिंगबोंगा का नाम भी चर्च के बाहर शिलापट्ट पर लिखकर लगा दिया गया है। सुदूर गांवों में भी केरल के विलिवर्स और पेंटेकास्टल चर्च, हैदराबाद के विश्ववानी चर्च बनाए गए हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता प्रिया मुंडा ने कहा कि झारखंड में 2017 में कानून बनने के बाद भी अवैध मतांतरण का खेल चल रहा है। इस काम में लगे पादरियों से जब बपतिस्मा का प्रमाणपत्र मांगा जाता है तो नहीं दिखाते हैं क्योंकि उस प्रमाणपत्र में लिखा रहता है कि आपको किस पादरी ने किस तिथि को किस चर्च में ईसाई बनाया है। उसे दिखाने के बाद पता चल जाएगा कि कब उसने अपना धर्म बदला है।

मतांतरण के बाद भी हिंदू नाम नाम रख रहे

राष्ट्रीय आदिवासी मंच के झारखंड प्रांत के कार्यकारी अध्यक्ष सन्नी टोप्पो ने कहा कि मिशनरी के लोग मतांतरण कराने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाते रहते हैं। पादरी बनने के बाद नाम भी हिंदू रख रहे हैं। रांची के पिस्कानगड़ी के गोसाई टोली गांव के गंदरू टोप्पो ने पादरी बनने के बाद अपना नाम भी बदलकर पिंकू रख लिया है। सन्नी ने कहा कि मतांतरण को बढ़ावा देने में कई गांव के जनप्रतिनिधि भी लगे हैं। पिछले दिनों रांची जिला में लदा गांव के 15 से 20 लोहरा परिवार के लोग ईसाई बन चुके हैं। कर्रा प्रखंड के कनसिल्ली गांव में तो तीन परिवार ऐसे हैं जिनकी जमीन लेकर चर्च बना दिया गया है। परिवार झोपड़ी में रहता है।

बच्चों की बदल रहे मानसिकता

सन्नी ने कहा कि पादरी गांवों में जाकर खेल सामग्री बांटने के नाम पर लोगों को एकत्र करते करते हैं। फिर बच्चों के बीच टाफी व बाइबिल बांटते हैं। फिर 'ईशु ने जन्म लियाÓ का गीत गाते हैं। वही गीत बच्चे अपने घरों में गाते रहते हैं। गांवों में जाकर राशन बांटने के दौरान भी सभी लोगों से पादरी प्रार्थना करवाते हैं।

पंडरिया गांव में 50 परिवार मतांतरित

खूंटी जिला के तोरपा प्रखंड अंतर्गत पंडरिया नवाटोली गांव के 50 परिवार मतांतरित हो चुके हैं। अब महज 12 सरना परिवार ही बचे हैं। सभी मुंडा समाज के हैं। इसी तरह राय सिमला के पाहन टोली में 16 परिवार मतांतरित हो चुके हैं। इस गांव में पांच किमी के दायरे में आठ चर्च हैं। भोले-भाले आदिवासियों से जमीन लेकर चर्च बनाए गए हैं।

chat bot
आपका साथी