स्ट्रोक दिवस पर जानें, पांच घंटे के अंदर ठीक किए जा सकते हैं लकवा के मरीज

विश्व स्ट्रोक (लकवा) दिवस पर इस बार का थीम है मिनट कैन सेव लाइफ है। न्यूरोलॉजिस्ट डा उज्जवल राय बताते हैं कि स्ट्रोक के बाद समय से अस्पताल पहुंचा जाए तो पांच घंटे के अंदर ठीक भी किया जा सकता है।

By Sanjay Kumar SinhaEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 10:17 PM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 10:17 PM (IST)
स्ट्रोक दिवस पर जानें, पांच घंटे के अंदर ठीक किए जा सकते हैं लकवा के मरीज
विश्व स्ट्रोक (लकवा) दिवस पर इस बार का थीम है मिनट कैन सेव लाइफ

रांची (जासं) :विश्व स्ट्रोक (लकवा) दिवस पर इस बार का थीम है मिनट कैन सेव लाइफ है। जिसके माध्यम से यह बताने का प्रयास किया गया है कि किसी भी होने वाले लकवे के लिए एक मिनट भी मायने रखता है। राजधानी के न्यूरोलॉजिस्ट डा उज्जवल राय बताते हैं कि स्ट्रोक जिसे हिन्दी में लकवा या पक्षाघात भी कहते वो आज पूरे भारत में मौत का तीसरे सबसे बड़ा कारण बन चुका है। स्ट्रोक के बाद अगर समय से अस्पताल पहुंचा जाए तो पांच घंटे के अंदर ठीक भी किया जा सकता है।

वे बताते हैं कि स्ट्रोक दो तरह के होते हैं, इसमें पहला लकवा मस्तिष्क में रक्त की कमी के कारण होता है जिसे इश्चिमिक स्ट्रोक कहते हैं एवं दूसरे प्रकार का लकवा अत्यधिक रक्त प्रवाह होने के कारण होता है जिसे हैमेरेजिक स्ट्रोक कहते हैं। उन्होंने इसके लक्षण के बारे में बताया कि स्ट्रोक आने पर अचानक एक तरफ हाथ या पैर का काम न करना , चलने में परेशानी होना , अचानक चेहरे पर टेड़ापन आ जाना , बोली समझने या खाने में कठिनाई होना , एक का दो दिखाई देना , अत्यधिक चक्कर आना , अचानक सिर दर्द या बेहोश हो जाना स्ट्रोक के मुख्य लक्षण हैं।

डा उज्जवल राय ने समझाया कि मधुमेह , रक्तचाप , मोटापा , धूम्रपान , मदिरा का सेवन , दिल की बीमारी रक्त में होमोसिष्टन या हीमोग्लोबिन की अत्यधिक मात्रा होना , गर्दन पर चोट लगना , शरीर में पानी की कमी होना हृदय के वॉल बदलना , गर्दन की नशों मे कोलेस्ट्रॉल का अधिक होना एवं आनुवंशिक स्ट्रोक के मुख्य कारण है । उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि स्ट्रोक एक मेडिकल इमरजेंसी है। स्ट्रोक के लक्षण होने पर तुरंत रोगी को निकटतम चिकित्सालय मे ले जाना चाहिए एवं वहां पर मस्तिष्क का सीटी स्कैन या एमआरआई कराकर स्ट्रोक के प्रकार को सुनिश्चित करना चाहिए , क्योंकि इश्चिमिक स्ट्रोक एवं हैमेरेजिक स्ट्रोक का ईलाज पूर्णत भिन्न है । यदि रोगी का स्ट्रोक इश्चिमिक प्रकार का है तो इस प्रकार के रोगी में थ्रोम्बोलाईसिस विधि के द्वारा मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को फिर से चालू किया जा सकता है ।

रिम्स के न्यूरोसर्जन डा अनिल बताते हैं कि स्ट्रोक में सबसे पहले मरीज को अस्पताल लेकर आना चाहिए। इसमें थोड़ी देर काफी खतरनाक हो सकता है। डा राय ने थ्रोम्बोलाईसिस विधि पर भी प्रकाश डाला और बताया कि इस विधि के द्वारा मरीज की नशों में रक्त के थक्के को इंजक्शन के द्वारा खत्म किया जा सकता है । इस इंजेक्शन का उपयोग केवल रोग शुरू होने के 4.30 घण्टे तक ही किया जा सकता है । इसलिए रोगी को अतिशीघ्र अस्पताल में ले जाना चाहिए । थ्रोम्बोलाईसिस प्रक्रिया में एलटीप्लेश नामक दवा का उपयोग किया जाता है , जो कि सरकारी अस्पतालों में सरकार के आदेशानुसार मुफ्त में उपलब्ध जाती है । डाराय ने बताया कि मरीज के रक्तचाप व मधुमेह को नियंत्रित रखने और धूम्रपान छोड़ने से लकवा का खतरा कम हो जाता है।

chat bot
आपका साथी