Palamu News: झोलाछाप चिकित्सकों की चंगुल में फंसा पलामू, लोगों की जिंदगी से हो रहा खिलवाड़

Palamu News पलामू में शहर हो या ग्रामीण क्षेत्र हर तरफ मौत की दुकानें संचालित हो रही है। नीम हकीम से लेकर तमाम झोला छाप डाक्टर मरीजों की जान से खेल रहे हैं। घरों में अवैध रूप से क्लीनिक चल रहे हैं।

By Madhukar KumarEdited By: Publish:Sun, 28 Nov 2021 10:10 AM (IST) Updated:Sun, 28 Nov 2021 10:10 AM (IST)
Palamu News: झोलाछाप चिकित्सकों की चंगुल में फंसा पलामू, लोगों की जिंदगी से हो रहा खिलवाड़
Palamu News: झोलाछाप चिकित्सकों की चंगुल में फंसा पलामू, लोगों की जिंदगी से हो रहा खिलवाड़

रांची, जासं: पलामू में शहर हो या ग्रामीण क्षेत्र हर तरफ मौत की दुकानें संचालित हो रही है। नीम हकीम से लेकर तमाम झोला छाप डाक्टर मरीजों की जान से खेल रहे हैं। घरों में अवैध रूप से क्लीनिक चल रहे हैं। कहीं बोर्ड नहीं है तो कहीं फर्जी डिग्री आदि लिखकर लोगों को गुमराह किया जा रहा है। बड़े अस्पतालों का भी हाल बुरा है। यहां कौन ऑपरेशन के लिए चीर-फाड़ कर दे और कौन बेहोशी का इंजेक्शन दे दे, कुछ पता नहीं चलता है।

जिले में अस्पताल, नर्सिग होम, क्लीनिक, लैब 256 पंजीकृत है। बावजूद बिना पंजीयन के धरातल पर इससे ज्यादा निजी नर्सिंग होम क्लीनिक व अस्पताल है। जब कोई मामला सामने आता है तो महकमा संबंधित के खिलाफ कार्रवाई कर इतिश्री कर लेता है। खास प्रयास के बावजूद पलामू में झोला छाप चिकित्सक व अवैध क्लिनिकों की दुकानदारी बंद नहीं हो रही है। इलाज में लापरवाही के कारण मौत घटनाएं हमेशा सामने आती रहती है।

पलामू के पांकी प्रखंड में मां नर्सिंग होम नामक निजी अस्पताल की लापरवाही के कारण 27 सितंबर को एक गर्भवती महिला की मौत हो गई थी। इसके बाद संबंधित नर्सिंग होम को सील कर दिया गया था। मृतका पांकी थाना क्षेत्र अंतर्गत पकरिया पंचायत के बसरिया निवासी अजय कुमार राम की पत्नी सुशीला देवी थी। प्रसव के लिए सुशीला को वहां भर्ती कराया गया था। अक्टूबर माह में पांकी प्रखंड के थाना रोड स्थित संचालित जीवन रक्षा नामक नर्सिंग होम में प्रसव के दौरान लापरवाही बरतने के कारण यशवंत भुईया की गर्भवती पत्नी सोनिया देवी की मौत हो गई थी।

यह तो एक बानगी है। इसी तरह की घाटनाएं आए दिन सामने आती रहती हैं। घटना के बाद चंद घंटों के लिए स्वास्थ्य विभाग सक्रिय होता है। फिर मामला ठंडे बस्ते में रख दिया जाता है। ठोस कार्रवाई के लिए ईमानदारपूर्वक ठोस कार्रवाई तक नहीं होती।

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