सूख गया नावबाजार तालाब, बढ़ी परेशानी

बाटम सहेज लोग बूंद आसपास के क्षेत्रों में पानी को लेकर हो रही है परेशानी माइंस के कारण

By JagranEdited By: Publish:Wed, 12 May 2021 07:08 PM (IST) Updated:Wed, 12 May 2021 07:08 PM (IST)
सूख गया नावबाजार तालाब, बढ़ी परेशानी
सूख गया नावबाजार तालाब, बढ़ी परेशानी

बाटम

सहेज लोग बूंद

आसपास के क्षेत्रों में पानी को लेकर हो रही है परेशानी, माइंस के कारण ड्राइजोन की स्थिति फोटो: 11 डीजीजे 12 कैप्शन:नावबाजार मुख्यालय का सूखा पड़ा तालाब संवाद सूत्र, नावाबाजार (पलामू): नावाबाजार प्रखंड मुख्यालय के अंतर्गत सियाचरण सिंह नामक तालाब सूख गया है। बढ़ती आबादी व घटते भूगर्भ जल स्त्रोत के कारण समय से पहले ही सुखकर तालाब मैदान में तब्दील हो गया है। इसमें लोगों की परेशानी बढ़ रही है। दो दशक पहले तक तालाब नहीं सुखता था इधर बढ़ती आबादी व प्रदूषण के कारण ब्रह्मांड पर संकट मंडरा रहा है। क्षेत्र में बड़े-बड़े माइंस के कारण ड्राई जोन की स्थिति बनी हुई है। माइंस में पत्थर तोड़ने के क्रम में 700 से 800 फीट नीचे से पत्थर निकाला जा रहा है। इस कारण जल स्त्रोत प्रतिदिन नीचे जा रहा है। क्षेत्रफल का विस्तार होने के साथ ही तालाबों में भी पानी सूखने लगा।

तालाब के आसपास कृषि का कार्य होता है। खेतों में फसल लहलहा थी। आज पूरी तरह बरसात के पानी पर निर्भर हो गए हैं। गांव में लोग प्रत्येक घर में चापाकल व कुआं बन गए हैं। पानी की जरूरत पूरी करने के लिए बोरिग हो गए हैं । वहीं कई सक्षम लोगों की ओर से डीप बोरिग भी कराया गया है। इसकी वजह से भी भूगर्भ जल स्तर काफी नीचे चल गया है। जरूरत है तालाब,आहर ,पोखर समेत जलस्त्रोतों को बचाने की। बाक्स: फोटो: 12 डीजीजे 13

कैप्शन: शेख सादिर अहमद

कृषि कार्य के लिए तालाब जनोउपयोगी है। किसान कृषि कार्य के अलावा मत्स्य पालन का भी फायदा उठाते हैं। बावजूद तालाब को संरक्षण देने का काम नहीं हो रहा है। इससे समय से पहले ही तालाब सूख कर मैदान में तब्दील होने लगे हैं। नतीजतन पूरे क्षेत्र का जल स्तर गिर रहा है।

शेख सादिर अहमद,नाबवाजार। बाक्स: फोटो: 12 डीजीजे 14 कैप्शन: पंकज कुमार प्रजापति भारत में जल के लिए विश्व युद्ध के लिए तैयार रहना होगा। ब्रह्मांड में नियमित रूप से घटना चक्र संतुलन खराब हो गया है। नावाबाजार के किसानों को बरसात पर निर्भर रहना पड़ रहा है। कारण है कि समय से पहले आहार, तालाब, नदी, नाले सूखकर मैदान में तब्दील हो रहे हैं। आज की स्थिति में जल संरक्षण की बहुत बड़ी भूमिका होगी ।

पंकज प्रजापति, नावाबाजार।

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