लॉकडाउन में महिलाओं की हमदर्द बनीं पैड वीमेन

राची आज 28 मई है और इस दिन को विश्व माहवारी दिवस के रूप में मनाया जाता है

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 May 2020 09:45 PM (IST) Updated:Wed, 27 May 2020 09:45 PM (IST)
लॉकडाउन में महिलाओं की हमदर्द बनीं पैड वीमेन
लॉकडाउन में महिलाओं की हमदर्द बनीं पैड वीमेन

जागरण संवाददाता, राची : आज 28 मई है और इस दिन को विश्व माहवारी दिवस के रूप में मनाया जाता है। दो वर्ष पहले आई अक्षय कुमार की फिल्म पैडमैन आई थी। इसमें माहवारी के दौरान महिलाओं को होनेवाली दिक्कतों को बहुत ही संवेदशील ढंग से दिखाया गया था। इसमें नायक उनकी मदद के लिए हर तरह की मुसीबत झेलने के बाद भी सैनिटरी नैपकिन बना कर बांटता है। इस वजह से ही उसका नाम पैडमैन हो जाता है। कुछ इसी तरह का मामला हमारे शहर रांची का भी है। यहां वंदना उपाध्याय लॉकडाउन में महिलाओं की मदद के लिए आगे आई हैं। उन्हें आप रीयल लाइफ पैड विमेन कह सकते हैं। वे 25 मार्च से ही लगातार जरूरतमंद महिलाओं और छात्राओं के बीच जाकर निश्शुल्क सैनिटरी नैपकिन बाट रही हैं। अब तक वह करीब 2000 से अधिक महिलाओं के बीच पैड बाट चुकी हैं।

वंदना ने समाजसेवा को अपने जीवन का मूलमंत्र बनाया है और महिलाओं के स्वास्थ्य पर वह लगातार काम कर रही हैं। अब उनकी पहचान पैड वीमेन के रूप में बनती जा रही है। वे कहती हैं, जब स्कूलों में पढ़ाती थीं तब भी विभिन्न माध्यमों से लोगों की सेवा करती रहती थीं। लेकिन कुछ बड़ा करने की इच्छा से माही केयर फाउंडेशन से जुड़ीं। यह संस्था प्लास्टिकमुक्त सैनिटरी नैपकिन पर कार्य करती है और महिलाओं को रोजगार भी देती है। गावों में जाकर महिलाओं को सैनिटरी पैड के बारे में जानकारी देना, उन्हें माहवारी के दौरान साफ -सफाई पर ध्यान देने के लिए प्रोत्साहित करना आदि तो होता ही है। इसके साथ ही उन्हें रोजगार से भी जोड़ने का काम किया जाता है। राची में ही इस संस्था से करीब 6000 से अधिक महिलाएं जुड़ चुकी हैं। लोग साथ आते गए कारवां बनता गया वंदना के लिए यह काम इतना आसान नहीं था। रोज घर की जिम्मेदारियों के साथ-साथ लोगों के बीच जाना, परिवार के लोगों का विरोध सहना, एक महिला के लिए यह सब आसान नहीं होता। पर, कहा गया है जहा चाह वहा राह। मुझे साथ और हिम्मत मिली मेरी सखी पूजा बेदिया से, जिन्होंने मुझे हर कदम पर प्रोत्साहन दिया। मेरी दूसरी सहेली राधा वल्लभ ने भी कदम से कदम मिलाया। फिर कुसुम देवी, निशि देवी, स्वीटी कुमारी, अलका, ममता, पूनम महली, सावित्री, मंजूला खलखो, रीता नायक, सुजाता आदि-आदि। पूरे देश में 37000 महिलाएं इससे जुड़ गई हैं।

वंदना बताती हैं कि हमारा लक्ष्य एक लाख महिलाओं को रोजगार देने का है। आज माही केयर फाउंडेशन से जुड़कर महिलाएं 2000 से 10000 या उससे अधिक महीने में कमा रही हैं।

सितंबर 2019 से यह संस्था लगातार कार्य कर रही है। आज जब, रोजगार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं,वंदना महिलाओं को रोजगार से जोड़ रही है। संस्था बड़े स्तर पर पैड का निर्माण करती है और महिलाएं ही इसे बनाती और बेचती हैं। हर पैड पर महिलाओं को तीन से सात रुपये की बचत होती है। अभी लॉकडाउन में वे निश्शुल्क बाट रही है, जिनको जरूरत है। यही नहीं, संस्था की ओर से जरूरतमंदों के बीच भोजन का भी वितरण किया जा रहा है।

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