किसी लैब में तैयार नहीं होती ऑक्सीजन, आइए जानें इसकी प्रक्रिया और लें यह संकल्‍प...

Plant A Tree for Oxygen Jharkhand News पूर्व मुख्य वन प्राणी प्रतिपालक डा. लाल रत्नाकर सिंह ने कहा कि कोविड-19 ने हमें बता दिया कि अब हमारी प्राथमिकता क्या होनी चाहिए। एक व्यक्ति को आजीवन ऑक्सीजन के लिए महज दो स्वस्थ्य पेड़ ही चाहिए।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Sat, 12 Jun 2021 01:08 PM (IST) Updated:Sat, 12 Jun 2021 01:27 PM (IST)
किसी लैब में तैयार नहीं होती ऑक्सीजन, आइए जानें इसकी प्रक्रिया और लें यह संकल्‍प...
Plant A Tree for Oxygen, Jharkhand News एक व्यक्ति को आजीवन ऑक्सीजन के लिए महज दो स्वस्थ्य पेड़ ही चाहिए।

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड राज्य जैव विविधता बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्य वन प्राणी प्रतिपालक डाॅ. लाल रत्नाकर सिंह ने कहा कि कृत्रिम ऑक्सीजन का स्रोत भी प्राकृतिक ऑक्सीजन ही है। पृथ्वी पर जितनी भी ऑक्सीजन है, उनका स्रोत समुद्रीय वनस्पतियां, थलीय वृक्ष और अन्य वनस्पतियां ही हैं। इसलिए किसी को इस भ्रम में कतई नहीं रहना चाहिए कि टैंकरों, सिलेंडरों में भरी जाने वाली कृत्रिम ऑक्सीजन लैब में तैयार होती है। इस ऑक्सीजन को भी हम हवा से ही लेते हैं।

उन्होंने ऑक्सीजन के महत्व को और अधिक स्पष्ट करते हुए कहा कि एक व्यक्ति एक मिनट में सात से आठ लीटर हवा लेता है, जिसमें करीब 20 फीसद ऑक्सीजन होती है। जब हम सांस छोड़ते हैं तो 15 फीसद ऑक्सीजन ही वायुमंडल में वापस आती है, पांच प्रतिशत शरीर में ही समा जाती है। इस लिहाज से देखें तो 11000 लीटर हवा ग्रहण की जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि एक व्यक्ति को आजीवन ऑक्सीजन के लिए महज दो स्वस्थ्य पेड़ ही चाहिए। इसलिए पेड़ जरूर लगाएं।

उन्होंने एक स्टडी का हवाला देते हुए बताया कि हमारे देश में प्रति व्यक्ति औसत पेड़ों की संख्या काफी कम है। महज 28 वृक्ष प्रति व्यक्ति उपलब्ध हैं। हमसे बेहतर स्थिति नेपाल की है। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन और उसकी महत्ता के बारे में जानते बहुत से लोग हैं लेकिन कोविड-19 ने हमें बता दिया कि अब हमारी प्राथमिकता क्या होनी चाहिए। 

पौधा लगाकर करूंगा कोई भी शिलान्यास व उद्घाटन : विरंची नारायण

बोकारो के विधायक विरंची नारायण ने दैनिक जागरण के वेबिनार में यह संकल्प लिया है कि अब वे जो भी शिलान्यास या उद्घाटन करेंगे, वह फीता काटकर नहीं, पौधा लगाकर करेंगे। कोरोना संक्रमण काल ने जीवन की दशा व दिशा बदली है। आज पौधों की महता समझ में आ रही है। विधायक विरंची नारायण ने अपने लद्दाख दौरे का भी जिक्र किया कि किस तरह वहां पर सांसें फूल रही थी, क्योंकि वहां पेड़-पौधे नहीं थे। सांसें थमे नहीं, इसलिए वृक्ष जरूरी है।

एक वृक्ष दस पुत्र समान केवल पढ़ा है, उसे अपनाने की जरूरत है। जन्मदिन, सालगिरह की शुरुआत भी पौधा लगाकर कर सकते हैं। विधायक ने कहा कि जब वे कोरोना वायरस से संक्रमित थे, तब उन्हें समझ में आया कि ऑक्सीजन कितना आवश्यक है। कोरोना काल में सबने झेला है, आगे न झेलना पड़े, इसे सोचने की जरूरत है। सड़क, तालाब, पुल-पुलिया के निर्माण के लिए टेंडर में पौधरोपण को भी शामिल किया जाए। वे अपने विधानसभा क्षेत्र में पौधरोपण कार्यक्रम में पूरा सहयोग करेंगे।

ये भी जानें

- कृत्रिम ऑक्सीजन का स्रोत भी हमारे पेड़-पौधे व वनस्पति। इस भ्रम से निकलें कि कृत्रिम ऑक्सीजन लैब में तैयार होती है।

- 11000 लीटर हवा रोज ग्रहण करते हैं हम, इसमें 20 प्रतिशत ऑक्सीजन (550 लीटर) ।

- एक स्वस्थ इंसान को जीवित रहने के लिए हर दिन 550 लीटर ऑक्सीजन की होती है जरूरत।

- हर सांस के साथ पांच प्रतिशत ऑक्सीजन पचा जाते हैं हम।

- प्रत्येक सांस के साथ करीब 20 प्रतिशत ऑक्सीजन शरीर के भीतर जाती है, 15 प्रतिशत ही वापस लौटती है।

- वैंटीलेटर पर भर्ती एक कोरोना मरीज को औसतन प्रति मिनट पड़ रही थी 90 लीटर ऑक्सीजन की जरूरत।

- हर व्यक्ति को आजीवन ऑक्सीजन मुहैया कराने के लिए सिर्फ दो ही वृक्ष काफी।

- हमारे देश में महज 28 वृक्ष प्रति व्यक्ति का औसत, कनाडा में आठ हजार, रूस में 4000, आस्ट्रेलिया-ब्राजील में 1000 से अधिक। नेपाल और श्रीलंका का औसत है हमसे बेहतर।

- हरियाली में अन्य राज्यों की राजधानी से पिछड़ी है हमारी रांची

- राज्य की 22 लाख हेक्टेयर भूमि बैरंग-बंजर। ये न तो वन क्षेत्र न ही यहां होती है खेती।

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