पहली बार रिम्स में घुटने के ट्यूमर का हुआ ऑपरेशन, युवती का पैर कटने से बचा Ranchi News
Jharkhand Samachar RIMS Ranchi News डाॅ. मांझी ने बताया कि यह राज्य का पहला मामला हो सकता है जिसमें घुटने का इतना जटिल ऑपरेशन किया गया। इससे पहले कई अस्पतालों ने युवती का पैर काटने की सलाह दी थी।
रांची, जासं। रिम्स में पहली बार घुटने के ट्यूमर का ऑपरेशन कर एक युवती को नया जीवनदान दिया गया है। पैर के घुटने में ट्यूमर होने जैसे मामले अपने आप में चौंकाने वाले होते हैं। राज्य के सबसे बड़े अस्पताल में इस तरह का ऑपरेशन पहली बार सफलता के साथ किया गया है। डाॅक्टरों के अथक प्रयास के बाद लातेहार की 23 वर्षीय मंजूषा का पैर कटने से बचा लिया गया। मंजूषा पिछले कुछ दिनों से रिम्स के ऑर्थो वार्ड में डाॅ. एलबी मांझी के यूनिट में भर्ती थी।
डाॅ. मांझी ने बताया कि यह राज्य का भी पहला मामला हो सकता है, जिसमें घुटने का इतना जटिल ऑपरेशन किया गया। कई अस्पतालों ने युवती का पैर काटने की सलाह दी थी। यहां तक की रिम्स में भी अंतिम विकल्प पैर काटना ही बचा था, लेकिन डाॅक्टरों की टीम ने टोटल नी मेगा प्रोस्थेटिक रिप्लेसमेंट कर उसकी जान बचाई। यह काफी एडवांस ट्रीटमेंट की प्रक्रिया है। इसके लिए जो इम्प्लांट लगाए गए हैं, उसे कोलकाता से खरीदा गया है। इसकी कीमत करीब 1.50 लाख रुपये है। मरीज मंजूषा ने बताया कि उसके ऑपरेशन में लातेहार के विधायक ने मदद की है।
ट्यूमर की वजह से टूट गई थी हड्डी
घुटने के नीचे ट्यूमर होने के कारण उस जगह की हड्डी अपने आप टूट गई थी। उनका ऑपरेशन करने वाले डाॅ. शोभिक दास बताते हैं कि यह काफी जटिल ऑपरेशन था। इसके लिए दूसरे विभाग के डाॅक्टरों का भी सहारा लेना पड़ा। इसमें ऑनकोलॉजी के डाॅ. रोहित की मदद ली गई। साथ ही जूनियर डाॅक्टरों में डाॅ. राजकुमार, डाॅ. विवेक, डाॅ. राजेश और डाॅ. चक्रवर्ती शामिल थे। सभी के प्रयास से मंजूषा का पैर कटने से बच गया और अब वे चल सकती है, बैठ सकती है, अपना सारा काम कर सकती है। यहां तक की वह अब साइकिल भी चला सकती है।
10 वर्ष से था ट्यूमर
पैर में ट्यूमर होने जैसे मामले बहुत कम सामने आते हैं। मंजूषा को पिछले दस वर्षों से पैर में ट्यूमर था। पैर में घुटने के ठीक नीचे ट्यूमर होने से वह कोई भी काम नहीं कर पा रही थी। इस कारण वह हमेशा बेड पर अपना समय गुजारती थी। शुरुआत में उसे पता नहीं चल पाया और ढ़ाई माह पहले उसके ट्यूमर वाली जगह की हड्डी खुद टूट गई। इसके बाद उसे कई अस्पतालों में दिखाया गया और बाद में रिम्स लाया गया। यहां 22 जुलाई को उसका ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन के छह दिन बाद मरीज चल सकी और अब उसे तीन-चार दिन में अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।