6th JPSC MAINS: सिर्फ 6103 अभ्‍यर्थियों को माना पीटी पास, पढ़ें हाई कोर्ट के फैसले की 10 खास बातें

6th JPSC MAINS मामले में जेपीएससी को करारा झटका लगा है। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में सरकारी संकल्‍प को खारिज कर दिया। यहां जानें छठी जेपीएससी से जुड़ी अब तक की तमाम बातें...

By Alok ShahiEdited By: Publish:Tue, 22 Oct 2019 09:27 AM (IST) Updated:Tue, 22 Oct 2019 09:27 AM (IST)
6th JPSC MAINS: सिर्फ 6103 अभ्‍यर्थियों को माना पीटी पास, पढ़ें हाई कोर्ट के फैसले की 10 खास बातें
6th JPSC MAINS: सिर्फ 6103 अभ्‍यर्थियों को माना पीटी पास, पढ़ें हाई कोर्ट के फैसले की 10 खास बातें

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट ने छठी जेपीएससी मुख्य परीक्षा को लेकर सोमवार को अहम फैसला सुनाया है। जिसके बाद उन तमाम अभ्‍यर्थियों के भविष्‍य पर संकट पैदा हो गया है, जो पीटी के संशोधित रिजल्‍ट में पास घोषित किए गए थे। कोर्ट ने 6,103 अभ्यर्थियों को ही प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण मानते हुए मुख्य परीक्षा में इनका परिणाम जारी करने का आदेश दिया है। ये वैसे अभ्यर्थी हैं जो जेपीएससी द्वारा प्रारंभिक परीक्षा के दूसरी बार जारी संशोधित परिणाम में सफल घोषित हुए थे। हाई कोर्ट ने उन 28,531 अभ्यर्थियों के मुख्य परीक्षा के परिणाम जारी करने पर रोक लगा दी जो तीसरी बार जारी संशोधित परिणाम में अतिरिक्त अभ्यर्थी के रूप में सफल घोषित किए गए थे। 

हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एचसी मिश्र व जस्टिस दीपक रोशन की अदालत ने सोमवार को यह फैसला सुनाया। इसमें कोर्ट ने 12 फरवरी 2018 को जारी राज्य सरकार के उस संकल्प को निरस्त कर दिया, जिसमें न्यूनतम कट ऑफ मार्क्‍स तय करते हुए प्रारंभिक परीक्षा का संशोधित (तीसरी बार) परिणाम जारी करने का आदेश दिया गया था। इसी संकल्प के आधार पर प्रारंभिक परीक्षा का तीसरी बार परिणाम जारी हुआ था, जिसमें 34,634 अभ्यर्थी सफल घोषित किए गए थे और मुख्य परीक्षा में शामिल हुए थे।

यहां आसान शब्‍दों में समझें हाई कोर्ट के इस बड़े फैसले के मायने : 10 खास बातें जस्टिस एचसी मिश्र ने कहा, छठी जेपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में संशोधन के लिए सरकार को संकल्प जारी करने का कोई औचित्य नहीं था। क्योंकि नियमानुसार रिक्त पद के पंद्रह गुणा ही अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया जा सकता है। जस्टिस दीपक रोशन ने कहा, कानूनी अपेक्षाओं के सिद्धांत के फार्मूले पर सरकार का संशोधन खरा नहीं उतरता है। इसलिए सरकार के संकल्प को खारिज किया जाता है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि मुख्य परीक्षा होने की वजह से अब जेपीएससी उन्हीं 6,103 अभ्यर्थियों के परिणाम घोषित करेगी, जो पहले संशोधन के तहत जारी परिणाम में सफल हुए थे। कोर्ट ने एकल पीठ के उस आदेश को भी निरस्त कर दिया, जिसमें पंकज कुमार पांडेय की अपील को खारिज कर दिया गया था। महाधिवक्ता अजीत कुमार ने कहा, छठी जेपीएससी मुख्य परीक्षा में अधिक से अधिक अभ्यर्थियों को शामिल करने की राज्य सरकार की योजना थी। सभी योग्य अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा में शामिल हुए। अब कोर्ट के आदेश की प्रति मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल करने के विषय पर सरकार से परामर्श लिया जाएगा। जेपीएससी ने पहली बार प्रत्येक श्रेणी में कुल पदों के विरुद्ध 15 गुना अभ्यर्थियों का चयन मुख्य परीक्षा के लिए किया था। इसके तहत पीटी में 5,138 अभ्यर्थी सफल हुए थे। बाद में झारखंड हाई कोर्ट के आदेश तथा राज्य सरकार की स्वीकृति के बाद उन अभ्यर्थियों का भी चयन किया गया जिन्होंने सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों के कट ऑफ मार्क्‍स के बराबर या इससे अधिक अंक लाए थे। दूसरी बार जारी संशोधित परिणाम में 6,103 अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा के लिए सफल घोषित किए गए। बाद में विधानसभा में मामला उठने के बाद राज्य सरकार ने एक बार फिर से संशोधित परिणाम जारी करने का निर्णय लिया। इसके तहत 12 फरवरी 2018 को संकल्प जारी कर प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए न्यूनतम कट ऑफ माक्र्स श्रेणीवार तय कर दिया गया। इससे कुल सफल अभ्यर्थियों की संख्या 34,634 हो गई। इस परिणाम के आधार पर ही मुख्य परीक्षा हुई। कोर्ट में इस संशोधित परिणाम को चुनौती दी गई थी। पंकज कुमार पांडेय ने एकल पीठ के आदेश और सरकार के संकल्प को खंडपीठ में चुनौती दी थी। अधिवक्ता शुभाशीष रसिक सोरेन ने अदालत को बताया कि एक बार विज्ञापन जारी होने के बाद उसकी शर्तों में बदलाव नहीं किया जा सकता। नियमानुसार प्रारंभिक परीक्षा में पद के पंद्रह गुणा ही अभ्यर्थी सफल हो सकते हैैं, जैसा कि प्रथम परिणाम में हुआ था। लेकिन इसके बाद सरकार के आदेश पर संशोधित परिणाम जारी किया गया, जो कि असंवैधानिक है। इसलिए एकल पीठ के आदेश और सरकार के संकल्प को निरस्त किया जाए। इस दौरान सरकार की ओर कहा गया कि छात्र हित को ध्यान में रखकर यह संकल्प जारी किया गया ताकि अधिक से अधिक अभ्यर्थियों को मौका मिल सके। राज्य सरकार यदि हाई कोर्ट के आदेश को मानती है तो जेपीएससी मुख्य परीक्षा का परिणाम जारी करेगा। इसमें 6,103 अभ्यर्थियों का ही परिणाम निकलेगा। राज्य सरकार यदि कोर्ट के आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देती है तो मुख्य परीक्षा का परिणाम लटक जाएगा। हालांकि इसकी संभावना कम ही है।  छठी सिविल सेवा परीक्षा कुल 326 पदों के लिए हुई है। इनमें प्रशासनिक सेवा के 143, वित्त सेवा के 104, शिक्षा सेवा के 36, सहकारिता सेवा के नौ, सामाजिक सुरक्षा के तीन, सूचना सेवा के सात, पुलिस सेवा के छह, योजना सेवा के 18 पद शामिल हैं। अब हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक 34,634 अभ्यर्थियों में से 6,103 का ही मुख्य परीक्षा का परिणाम निकलेगा। परीक्षा में शामिल होने पर भी 28,531 अभ्‍यर्थियों का अब रिजल्‍ट नहीं निकलेगा दूसरी बार पीटी के जारी परिणाम को ही आधार बनाने के आदेश दिए गए हैं। 

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