Online Lecture Series : CUJ में आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में ऑनलाइन लेक्चर सीरीज का आयोजन
Online Lecture Series झारखण्ड केंद्रीय विश्वविद्यालय का राजनीति एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में ऑनलाइन लेक्चर सीरीज अयोजित करा रही है। उसी लेक्चर सीरीज के क्रम में आज कौटिल्य का राजकौशल और उसकी प्रासंगिकता विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया।
रांची जासं। झारखण्ड केंद्रीय विश्वविद्यालय(Central University Of Jharkhand) का राजनीति एवं अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में ऑनलाइन लेक्चर सीरीज अयोजित करा रही है। उसी लेक्चर सीरीज के क्रम में आज "कौटिल्य का राजकौशल और उसकी प्रासंगिकता(Kautilya's royalty and its relevance)" विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया। जिसमें विशिष्ट अथिति के रूप में मनोहर पर्रिकर इंस्टिट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज एन्ड एनालिसिस(Manohar Parrikar Institute of Defense Studies and Analysis) के सीनियर रिसर्च एसोसिएट डॉक्टर राजीव नयन, मौजूद रहे।
डॉ आलोक कुमार गुप्ता ने लेक्चर का किया उद्घाटन:
विभागाध्यक्ष तथा डीन डॉ आलोक कुमार गुप्ता ने लेक्चर का उद्घाटन किया। डॉ नयन ने अपने लेक्चर की शुरुआत डॉक्टर आलोक गुप्ता के शब्दों को आगे बढ़ाते हुए कहा कि कौटिल्य वास्तव में मैकियावेली के अग्रदूत थे। मैकियावेली 'द प्रिंस' में जो बातें करते हैं, कौटिल्य ने उन्हें सदियों पूर्व ज्यादा उत्कृष्ट रूप में लिखा है।
लोक-कल्याणकारी राज्य कैसे बनाया जाए, सदियों पहले चाणक्य ने दिए हैं अपने सुझाव : डॉ नयन
डॉ नयन ने कौटिल्य की पुस्तक अर्थशास्त्र(Kautilya's book Arthashastra) एवं उसमें वर्णित राज कौशल के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वह आज भी अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रासंगिक हैं। राजा के राज चलाने से लेकर, सप्तांग सिद्धान्त, मण्डल सिद्धान्त, राजा के प्रशिक्षण तथा उसके उत्तराधिकारी चुनने के बारे में बताया। आगे उन्होंने राजा के गुण-अवगुण, राजा के मंत्रिपरिषद, गुप्तचर व्यवस्था, कर वसूलना, खजाना को संरक्षित रखना इत्यादि के बारे में विस्तार से बताया।
कौटिल्य की सोच "अखिल भारतीय" (Pan Indian) थी :
उन्होंने कहा कि वर्तमान राज्य व्यवस्था को लोक-कल्याणकारी राज्य कैसे बनाया जाए इस पर भी सदियों पहले चाणक्य(Chanakya) ने अपने सुझाव दिए हैं। कौटिल्य(Kautilya) का राजा चिंतन, मनन और पठन आधारित नैतिक नियमों पर राज्य व्यवस्था का संचालन करता है। एक मजबूत राज्य व्यवस्था को बनाये रखने के लिए शासक को कभी कभी सख़्त निर्णय भी लेने होते हैं। अंत में उन्होंने कहा की कौटिल्य की सोच "अखिल भारतीय" (Pan Indian) थी और वर्तमान में कौटिल्य द्वारा वर्णित राज्य कौशल के कई सारे पहलुओं पर शोध किये जाने की जरूरत है।
विभाग के एमए छात्र एवं अलग-अलग विभागों के भी जुड़े रहे छात्र:
लेक्चर के अंत में धन्यवाद ज्ञापन, लेक्चर सीरीज की संयोजिका डॉ. अपर्णा ने दिया। विभाग के शिक्षक डॉ विभूति भूषण विश्वास, डॉ राज श्री पाढ़ी, डॉ प्रिया मधुलिका, डॉ मुबारक अली, शोधार्थी रवि कुमार, गीतेश कुमार, अमित सिंह, गोड़गु अंजनेयुलु मुदिराज के अलावा विभाग के एमए के छात्र एवं अलग-अलग विभागों के छात्र भी जुड़े रहे।