कभी यहां बाघ, हिरन और मोर की होती थी चहलकदमी Lohardaga News
अगर आप से कहें की बाघ हिरण और मोर किसी जंगल चिड़ियाघर में नहीं बल्कि फुलवारी में रहते थे तो आप कहेंगे कि ऐसा भला कहीं होता है। जंगली जीव तो जंगल और जू में ही पाए जाते हैं। आपकी बात में कुछ सच्चाई और कुछ गलती भी है।
लोहरदगा (राकेश कुमार सिन्हा) । अगर आप से कहें की बाघ, हिरण और मोर किसी जंगल, चिड़ियाघर में नहीं, बल्कि फुलवारी में रहते थे, तो आप कहेंगे कि ऐसा भला कहीं होता है। जंगली जीव तो जंगल और जू में ही पाए जाते हैं। आपकी बात में कुछ सच्चाई और कुछ गलती भी है। लोहरदगा में जंगली जीव फुलवारी में ही रहते थे। हां, बात थोड़ी पुरानी है, पर दिलचस्प इतनी कि आज भी चर्चा की जा सकती है।
80 से 90 के दशक के बीच यहां पर छोटे-छोटे पिंजड़ों में जंगली जीव रहते थे। उनकी पूरी नियम से खातिरदारी की जाती थी। समय पर खाना उनकी देखभाल के लिए विशेष तौर पर आदमी रखे गए थे। भले ही यह कोई सरकारी चिड़ियाघर नहीं था, यह किसी की प्राइवेट प्रॉपर्टी है, परंतु थी इतने दिलचस्प जगह की यहां पर लोगों के घूमने के लिए इससे बेहतर जगह नहीं हो सकती थी।
जंगली जीव और मन को मोह लेने वाली फुलवारी करती थी आकर्षित
लोहरदगा शहर के महात्मा गांधी पथ में श्रीराम मंदिर फुलवारी का नाम लेते ही हर किसी को वह दृश्य याद आ जाता है, जिसने 80 से 90 के दशक के बीच यहां पर कुछ वक्त गुजारे हों। यह एक प्राइवेट प्रॉपर्टी थी, परंतु यहां का नजारा ऐसा था कि घूमने के लिए इससे अच्छी जगह नहीं थी। फुलवारी के अंदर तरह-तरह की फूल लगे थे। तालाब में रंगीन मछलियां लोगों को आकर्षित करती थी।
शांत वातावरण और सबसे बड़ी बात कि पिंजरे में बाघ, हिरण, बंदर मोर आदि जीव देखने के लिए मिलते थे। यह स्थान बच्चों के लिए विशेष तौर पर आकर्षण का केंद्र था। समय बदला इन जीवों को ऐसे रखना गलत माना जाने लगा, तब इन जीवों को वापस प्रावधान के अनुसार सुपुर्द कर दिया गया, लेकिन आज भी लोगों को यहां की कमी खलती है।
दिनभर सैकड़ों लोगों की होती थी भीड़
फुलवारी में बाघ की चहलकदमी, मोर की आवाज बंदरों की खिलखिलाहट किसी को भी अपनी और आकर्षित कर लेती थी। फुलवारी का मनोरम दृश्य वह व्यक्ति शायद ही भूल पाएगा। जिसने यहां पर कुछ समय गुजारे हों। आज भी फुलवारी की सुंदरता हर किसी को मोहित करती है। समय के साथ यहां पर काफी कुछ बदल गया, परंतु लोहरदगा को आज भी वह दिन याद आते हैं। जब यहां पर जंगली जीवों और प्राकृतिक वातावरण का आनंद उन्हें एक साथ मिल जाता था।
लोहरदगा के लोगों की टीस उन्हें ऐसे पल में वापस लौटने के लिए मजबूर करती है। लोग अपने बच्चों को यहां की कहानियां सुनाते हैं। बच्चे भी काफी रोचकता के साथ यहां की कहानियां सुनते हैं। श्री राम मंदिर फुलवारी मिनी चिड़ियाघर के रूप में स्थापित थी। यहां पर हर दिन सैकड़ों लोग घूमने आते थे। अलग-अलग खास तरफ के फूल को देखने के लिए भी लोग यहां पहुंचते थे।