सबसे कम दर पर बिजली खरीदता है ओडिशा, झारखंड के मुकाबले बिहार-यूपी चुका रहे ज्यादा
Electricity Rate Jharkhand News विभिन्न राज्यों में प्रति यूनिट बिजली की औसत क्रय दर अलग-अलग है। सरकारें बिजली क्रय समझौता करती हैं। ओडिशा को प्रति यूनिट बिजली 2.46 रुपये मिलती है। इसमें ट्रांसमिशन शुल्क अलग से लगता है।
रांची, राज्य ब्यूरो। देश के अलग-अलग राज्यों में प्रति यूनिट बिजली की औसत दर भी अलग-अलग है। झारखंड जहां पड़ोसी राज्यों बिहार और उत्तर प्रदेश के मुकाबले बिजली की खरीद पर प्रति यूनिट कम राशि चुकाता है, वहीं तेजी से बड़े उद्योगों को स्थापित करने की दिशा में अन्य राज्यों को पछाड़ रहा ओडिशा देश में सबसे कम दर पर बिजली खरीदता है। बिजली खरीदने के लिए संबंधित राज्यों की विद्युत कंपनियां ऊर्जा उत्पादक संयंत्रों से बिजली खरीद समझौता (पावर पर्चेज एग्रीमेंट) करती हैं।
इसे संबंधित राज्यों की विद्युत नियामक संस्थाओं के साथ-साथ केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग की स्वीकृति लेनी पड़ती है। नियामक आयोग संबंधित विद्युत उत्पादक संयंत्र की मांग और खर्च के अनुपात में उनके द्वारा दिए गए दर की स्वीकृति प्रदान करती है। निर्णय के बिंदुओं पर पहुंचने के पहले तकनीकी मुद्दों पर नियामक आयोग सुनवाई करती है, जिसमें संबंधित राज्य सरकारें और विद्युत उत्पादक संयंत्र अपनी-अपनी दलीलें पेश करते हैं।
केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग द्वारा दी गई रिपोर्ट के मुताबिक 31 मार्च 2021 तक ओडिशा सबसे कम दर पर प्रति यूनिट बिजली की खरीद करने वाले राज्यों में है। ओडिशा को प्रति यूनिट बिजली 2.46 रुपये मिलती है, जबकि झारखंड को 4.04 रुपये, बिहार को 4.26 रुपये और उत्तर प्रदेश को 4.45 रुपये प्रति यूनिट बिजली मिलती है।
आंध्र प्रदेश को बिजली इन राज्यों के मुकाबले और ज्यादा दर पर मिलती है। आंध्र प्रदेश का प्रति यूनिट बिजली क्रय दर 4.71 रुपये है, जबकि महाराष्ट्र चार रुपये प्रति यूनिट, गुजरात 3.67 रुपये प्रति यूनिट और बंगाल 3.55 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदता है। इसमें ट्रांसमिशन शुल्क अलग से लगता है।
अलग-अलग कंपनियों से समझौते
झारखंड ने विभिन्न उर्जा उत्पादक कंपनियों से अलग-अलग अवधि के लिए पावर पर्चेज एग्रीमेंट किए हैं। एनटीपीसी की फरक्का-तीन, तालचर, कहलगांव और बाढ़ यूनिट से क्रमश: वर्ष 2037, 2022, 2035 और 2041 तक का समझौता हो चुका है। इसके अलावा एपीआरएनएल से 2037, पीटीसी से 2044, इनलैंड पावर से 2023 तक का करार है।
फिलहाल राज्य की औसत बिजली डिमांड 2050 मेगावाट है। अगले पांच वर्ष में अनुमानित मांग 2900 मेगावाट और 10 वर्षों में 3400 मेगावाट की मांग होगी। झारखंड हर महीने विभिन्न बिजली उत्पादक संयंत्रों से 505.21 करोड़ रुपये की बिजली खरीदता है। झारखंड की निर्भरता राज्य के विद्युत उत्पादक संयंत्र के साथ-साथ केंद्रीय ऊर्जा उत्पादक इकाइयों व निजी कंपनियों पर है।