आंदोलन ने एनटीपीसी नाॅर्थ कर्णपुरा पावर प्लांट का निर्माण रोका, हर दिन ढाई करोड़ का नुकसान

Chatra Jharkhand News चतरा में पावर प्‍लांट में पांच हजार मजदूर वापस लौटे। बैलून-2 का निर्माण कार्य अब तक शुरू नहीं हुआ है। जुलाई तक बिजली उत्पादन में संशय है। 24 लाख रुपये प्रति एकड़ मुआवजे की मांग पर रैयत अड़े।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 12:36 PM (IST) Updated:Tue, 02 Mar 2021 04:41 PM (IST)
आंदोलन ने एनटीपीसी नाॅर्थ कर्णपुरा पावर प्लांट का निर्माण रोका, हर दिन ढाई करोड़ का नुकसान
Jharkhand News एनटीपीसी का निर्माणाधीन कर्णपुरा ताप परियोजना। जागरण

चतरा, [जुलकर नैन]। Chatra Jharkhand News मुआवजा बढ़ाने को लेकर पिछले 50 दिनों से आंदोलनरत रैयतों ने एनटीपीसी के नार्थ कर्णपुरा पावर प्लांट प्रोजेक्ट में पिछले सात दिनों से प्लांट का निर्माण कार्य ठप कर रखा है। इससे एनटीपीसी को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है। परियोजना में दिनरात काम करने वाले लगभग पांच हजार कामगार वापस घरों को लौट गए हैं। बैलून-2 का काम अब तक प्रारंभ नहीं हुआ है। बिना इसके निर्माण के बिजली उत्पादन संभव नहीं है।

रैयतों के तेवर को देखते हुए यह अंदाजा लगाना मुश्किल है कि आंदोलन कब तक चलेगा। ऐसे में अब यह तय माना जा रहा है कि इस जुलाई तक उत्तरी कर्णपुरा मेगा विद्युत ताप परियोजना से बिजली का उत्पादन संभव नहीं है। बताते चलें कि परियोजना के लिए करीब 22 सौ एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया है। इसमें 15 सौ एकड़ रैयती तथा करीब सात सौ एकड़ गैरमजरूआ है। करीब 2800 रैयत इससे प्रभावित हुए हैं।

रैयतों के बीच मुआवजे का भुगतान तीन अलग-अलग दर से किया गया है। परियोजना की अधिसूचना 2006-07 में जारी हुई थी। तब 4.35 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से कुछ रैयतों को भुगतान किया गया था। इसके बाद परियोजना का निर्माण कार्य ऊर्जा व कोयला मंत्रालय के बीच उत्पन्न विवाद के कारण रुक गया। 2013 में आपसी सहमति के बाद जब परियोजना पर काम शुरू हुआ, मुआवजे की नई दर से 15 लाख रुपये प्रति एकड़ कर दी गई।

और तो और इस कड़ी में 13 रैयतों को 24 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा का भुगतान किया गया है। अब बहुसंख्यक रैयत इसी को मुद्दा बनाकर इसी दर पर मुआवजा के लिए आंदोलन कर रहे हैं। रैयतों के आंदोलन की अगुवाई कर रहे मनोज चंद्रा का आरोप है कि उत्तरी कर्णपुरा में भू-अर्जन से होने वाले विस्थापन और उसके पुनर्वास और व्यवस्थापन की नीति पर भी अमल नहीं किया गया है।

इसका लाभ भी अब तक रैयतों को नहीं दिया गया है। गौरतलब है कि एनटीपीसी की यह परियोजना करीब 24 हजार करोड़ रुपये की है। परियोजना निर्माण के लिए एनटीपीसी ने राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय वित्तीय कंपनियों से यह राशि ऋण के रूप में ली है। इसका सिर्फ ब्याज के रूप में डेढ़ करोड़ रुपये हर दिन देना पड़ रहा है।

'प्लांट का निर्माण कार्य ठप रहने से प्रतिदिन ढाई करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। दिनरात पांच हजार मजदूर प्लांट के अंदर काम कर रहे थे। ये सारे मजदूर वापस लौट गए हैं। मार्च में सिंक्रोनाइजेशन एवं जुलाई से बिजली उत्पादन का लक्ष्य था, परंतु परियोजना का काम ठप होने से अब बिजली उत्पादन का लक्ष्य कम से कम तीन महीने और पीछे चला गया है।' -असीम कुमार गोस्वामी, कार्यकारी निदेशक, एनटपीसी कर्णपुरा, चतरा। 

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