कुख्यात नक्सली मोहन यादव की गोली मारकर हत्या, उग्रवादी संगठन टीएसपीसी ने ली जिम्मेदारी Ranchi News

Jharkhand Hindi Samachar. बताया जा रहा है कि वर्चस्व की लड़ाई में टीपीसी उग्रवादियों द्वारा इसकी हत्या की गई है। शव के पास हथियार और गोलियां बरामद की गई हैं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Mon, 06 Jul 2020 09:22 AM (IST) Updated:Mon, 06 Jul 2020 02:57 PM (IST)
कुख्यात नक्सली मोहन यादव की गोली मारकर हत्या, उग्रवादी संगठन टीएसपीसी ने ली जिम्मेदारी Ranchi News
कुख्यात नक्सली मोहन यादव की गोली मारकर हत्या, उग्रवादी संगठन टीएसपीसी ने ली जिम्मेदारी Ranchi News

रांची, जासं। कुख्यात नक्सली मोहन यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई है। रविवार की देर रात बुढ़मू थाना क्षेत्र के जंगली इलाका एरुद गांव के उत्तर और उमेडण्डा के पूरब क्षेत्र में मोहन यादव की लाश बरामद की गई है। बताया जा रहा है कि वर्चस्व की लड़ाई में टीपीसी उग्रवादियों द्वारा इसकी हत्या की गई है। शव के पास एसएलआर का मैगज़ीन, गोलियां, पाउच, नक्सल साहित्य बरामद किया गया है। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए रिम्स भेज दिया है।

वर्चस्व की लड़ाई में मारा गया कुख्यात नक्सली मोहन यादव

बुढ़मू, खलारी, पिपरवार और चतरा के सीमाना इलाके में सक्रिय कुख्यात नक्सली मोहन यादव वर्चस्व की लड़ाई में मारा गया। रविवार की देर रात टीएसपीसी उग्रवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में  मोहन यादव को गोली लगी। इससे उसकी मौत हो गई। रविवार की देर रात बुढ़मू थाना क्षेत्र के जंगली इलाका एरुद गांव के उत्तर और उमेडण्डा के पूरब क्षेत्र में मोहन यादव की लाश बरामद की गई।

बताया जा रहा है कि वर्चस्व की लड़ाई में टीपीसी उग्रवादियों द्वारा इसकी हत्या की गई है। टीएसपीसी उग्रवादी संगठन ने मोहन यादव की हत्या की जिम्मेदारी ली है। पुलिस इसकी जांच में जुट गई है। रविवार की देर रात मोहन यादव की लाश बरामद की गई। शव के पास एसएलआर का मैगज़ीन, गोलियां, पाउच, नक्सल साहित्य  बरामद की गई है।

माओवादी संगठन छोड़ बना लिया था अपना दस्ता

माओवादी संगठन के लिए काम करने वाले मोहन यादव ने संगठन छोड़कर अपना दस्ता बना लिया था। दस्ता का मुख्य मुख्य पेशा सिर्फ लेवी वसूलना रहा है। रांची के बुढ़मू, ओरमांझी, पिठौरिया और खलारी थाना क्षेत्र में मोहन यादव का दस्ता लेवी के लिए वाहनों में आगजनी भी करता रहा है। इसके अलावा फायरिंग की घटनाओं को भी अंजाम दिया करता था। उसके साथ कृष्णा यादव भी शामिल था। मोहन यादव ने लंबे समय तक भाकपा माओवादी में रहने के बाद खुद का गिरोह बना लिया। वहीं कभी पीएलएफआइ संगठन के लिए काम करने वाले कृष्णा यादव भी उसके गिरोह में शामिल हो गया था।

ठेकेदारों और कोयला कारोबारियों से वसूलता था लेवी

मोहन यादव का दस्ता ठेकेदारों, कोयला व्यापारियों और कारोबारियों से लेवी वसूलता था। लेवी नहीं देने पर वाहनों में आगजनी और फायरिंग की घटनाओं को अंजाम देकर दहशत फैलाने का काम करता रहा। गिरोह का काम विकास कार्यों में लगे वाहनों में आग लगाकर लेवी वसूलना रहा है। कृष्णा यादव और मोहन यादव के दस्ता का मुख्य पेशा लेवी वसूलना ही रहा है।

मुठभेड़ में बच निकला था मोहन यादव और कृष्णा यादव

बुढ़मू व खलारी इलाके में सक्रिय मोहन यादव और कृष्णा यादव दस्ता से 15 जुलाई 2019 की रात पुलिस की मुठभेड़ हुई थी। इस मुठभेड़ में मोहन यादव और कृष्णा यादव पुलिस की गोलियों से बचकर भाग निकला था। गौरतलब है कि पुलिस को बुढ़मू के कोयजाम जंगल में मोहन यादव दस्ता के उग्रवादियों के जुटने की सूचना मिली थी। मोहन यादव का दस्ता एक व्यवसायी से लेवी लेने के लिए पहुंचा था। इसी दौरान पुलिस और मोहन यादव के दस्ते के बीच मुठभेड़ हो गई थी।

chat bot
आपका साथी