बांसुरी की सुरीली आवाज से मदहोश कर देने वाले गोपीचंद प्रमाणिक नहीं रहे

Jharkhand News. काफी दिनों से रिम्स में उनका इलाज चल रहा था। वे मधुमेह से ग्रसित थे। उनके निधन पर झारखंड लोक कलाकार संघ झारखंड की ओर से शोक संवेदना जताई गई।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Mon, 25 May 2020 11:15 AM (IST) Updated:Mon, 25 May 2020 11:21 AM (IST)
बांसुरी की सुरीली आवाज से मदहोश कर देने वाले गोपीचंद प्रमाणिक नहीं रहे
बांसुरी की सुरीली आवाज से मदहोश कर देने वाले गोपीचंद प्रमाणिक नहीं रहे

रांची, जासं। अपनी बांसुरी की सुरीली आवाज से सबको मदहोश कर देने वाले बांसुरी वादक गोपीचंद प्रमाणिक की लंबी बीमारी के बाद 44 साल की उम्र में निधन हो गया। काफी दिनों से रिम्स में उनका इलाज चल रहा था। वे मधुमेह से ग्रसित थे। उनके निधन पर झारखंड लोक कलाकार संघ, झारखंड की ओर से शोक संवेदना जताई गई। उनका अंतिम संस्कार रविवार की दोपहर दो बजे उनके पैतृक गांव नयासराय नदी घाट पर किया गया। उन्होंने 2005 में पहली बार एक बांसुरी वादक के रूप में सुर सिंगार म्यूजिकल ग्रुप के साथ स्टेज के कार्यक्रम में शिरकत की थी।

इससे पहले वे आजाद अंसारी के साथ बैंजो वादक के रूप में संगत करते थे। झारखंड कल्चरल आर्टिस्ट एसोसिएशन के सचिव डॉ. जयकांत इंदवार ने उनके निधन पर शोक जताया है। उनके अंतिम संस्कार में पद्मश्री मुकुंद नायक व मधु मंसूरी हंसमुख के अलावा सुनील कुमार महतो, देवदास विश्वकर्मा, आनन्द राम महली, अर्जुन बैठा, मनीष बरवार, राजकुमार नागवंशी आदि शामिल हुए।

गोपीचंद का शनिवार को रात में डायलिसिस हुआ था। उनकी दोनों आंखों की रोशनी चली गई थी। वे पिछले 10 वर्षों से खेलगांव स्थित झारखंड कला मंदिर में बांसुरी शिक्षक के रूप में योगदान दे रहे थे। उन्‍हें सप्‍ताह में तीन दिन प्रशिक्षण देना होता था। इस तरह उन्‍हें महीने में 12 हजार रुपये की राशि मिलती थी। यह संयोग है कि वे मई में ही जन्‍मे और मई में उनका निधन हो गया।

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