Cancer Awareness: महिलाओं के स्तन में हर गांठ कैंसर नहीं होती, जानें पहचानने के उपाय

Cancer Awareness महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर को लेकर कई भ्रांतियां देखी जा रही हैं। स्तन की हर गांठ कैंसर नहीं होती जिस गांठ में दर्द हो उसमें कैंसर के लक्षण नहीं होते। जबकि जिस गांठ में दर्द नहीं होता है और वो बढ़ता जाता है उसमें कैंसर के लक्षण हैं।

By Kanchan SinghEdited By: Publish:Sat, 25 Sep 2021 10:48 AM (IST) Updated:Sat, 25 Sep 2021 10:48 AM (IST)
Cancer Awareness: महिलाओं के स्तन में हर गांठ कैंसर नहीं होती, जानें पहचानने के उपाय
ब्रेस्ट कैंसर के इलाज व जागरूकता बढ़ाने को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया है।

रांची,जासं। आइएमए और रिंची ट्रस्ट अस्पताल की ओर से ब्रेस्ट कैंसर के इलाज व जागरूकता बढ़ाने को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया है। शनिवार को आइएमए भवन में होने वाली इस कार्यशाला में टाटा कैंसर अस्पताल कोलकाता के कैंसर विशेषज्ञ डा संजीत अग्रवाल, डा दीपक दत्तकारा, रिम्स से डा अनूप, डा रोहित, डा अभिषेक वर्मा, स्त्री रोग विशेषज्ञ डा उषा नाथ, डा आलाम अंसारी, डा स्वेताम कुमार सहित अन्य राज्यों के डाक्टर मौजूद रहेंगे। मालूम हो कि झारखंड में 70 प्रतिशत मरीज अस्पताल में इस बीमारी के तीसरे या चौथे स्टेज में पहुंचते हैं । 

कैंसर के प्रति जागरूकता को समर्पित है अक्टूबर माह

डा महनसरिया ने बताया कि अक्तूबर कैंसर जागरूकता का माह है और दुनिया भर में इस बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाई जाती है। उन्होंने बताया कि कैंसर की जंग जीत चुके लोगों के लिए जीविशा ग्रुप बनाया जा रहा है। इसमें झारखंड की महिलाएं जो ब्रेस्ट कैंसर से लड़ रही हैं या जिसने बीमारी से जीत हासिल की है उसे शामिल किया जाएगा।

स्तन की हर गांठ कैंसर नहीं होती

महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर को लेकर कई भ्रांतियां देखी जा रही हैं। स्तन की हर गांठ कैंसर नहीं होती, जिस गांठ में दर्द हो उसमें कैंसर के लक्षण नहीं होते। जबकि जिस गांठ में दर्द नहीं होता है और वो बढ़ता जाता है उसमें कैंसर के लक्षण हैं। ये बातें स्तन कैंसर विशेषज्ञ डा नम्रता महनसरिया ने बताई। उन्होंने बताया कि राजधानी में हर विशेषज्ञ डाक्टरों के पास हर माह करीब 25 से 30 महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की शिकायत को लेकर आ रही हैं। इसके अनुसार, 300 से 350 महिलाएं हर माह ब्रेस्ट कैंसर की जांच कराने पहुंच रहीं हैं। इनमें विवाहित महिलाओं के साथ-साथ अविवाहित महिलाएं भी शामिल हैं। अविवाहित महिलाओं का प्रतिशत काफी कम है, लेकिन इस ग्रुप की महिलाओं में कैंसर को लेकर जागरूकता बढ़ी है।

ब्रेस्ट कैंसर को आसानी से पहचाना जा सकता है

ब्रेस्ट कैंसर ऐसी बीमारी है जिसे आसानी से पहचाना जा सकता है। इसका इलाज अगर शुरुआती दौर में किया जाए तो इससे बचना आसान हो जाता है। डा नम्रता बताती हैं कि स्तन में जब गांठ का पता महिलाओं को चलता है तो वे इसे नजरअंदाज कर देती हैं। उन्हें लगता है कि इसमें दर्द नहीं है तो कोई समस्या नहीं होगी। कुछ महिलाएं मानती हैं कि जब वे अपने बच्चे को फीडिंग नहीं करातीं तो इससे भी गांठ होता है, जबकि यह मानना गलत है। ऐसी स्थिति में डाक्टर से संपर्क जरूर करना चाहिए ताकि वक्त रहते इसका इलाज किया जा सके। इन सबमें एक बड़ा सामाजिक कारण भी है, जिसमें महिला परिवार के साथ इस पर चर्चा करने में भी असहज महसूस करती हैं। 

एडवांस स्टेज में इलाज करवाने वालों की संख्या झारखंड से अधिक

झारखंड में स्तन कैंसर के एडवांस स्टेज में इलाज करवाने वालों की संख्या सबसे अधिक है। आइएमए के अध्यक्ष डा शंभू ने बताया कि राज्य में स्तन कैंसर का इलाज तीसरे स्टेज या एडवांस स्टेज में करवाने वालों की सबसे अधिक है। उन्होंने बताया महिलाओं में जागरूकता लाने के लिए इस तरह का आयोजन किया जाना जरूरी है, जिससे डाक्टर भी अपने आप को अपडेट कर सकें और लोगों के बीच भी जागरूकता बढ़े।

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