मतांतरण की साजिश में गैर आदिवासी भी निशाने पर, झारखंड में ग्रामीण महिलाओं से दुख दूर हो जाने का करते हैं वादा

झारखंड का शायद ही कोई ऐसा जिला बचा है जहां ईसाई मिशनरियों ने लोगों का मतांतरण न कराया हो। आदिवासियों के साथ बड़ी संख्या में इन मिशनरियों ने गैर आदिवासियों का भी मतांतरण करवाया है। लालच देने बड़े-बड़े सपने दिखाने से लेकर दुख-दर्द दूर होने का भरोसा दिलाया जाता है।

By Vikram GiriEdited By: Publish:Sun, 18 Jul 2021 12:40 PM (IST) Updated:Sun, 18 Jul 2021 12:40 PM (IST)
मतांतरण की साजिश में गैर आदिवासी भी निशाने पर, झारखंड में ग्रामीण महिलाओं से दुख दूर हो जाने का करते हैं वादा
मतांतरण की साजिश में गैर आदिवासी भी निशाने पर। जागरण

रांची [संजय कुमार] । झारखंड का शायद ही कोई ऐसा जिला बचा है, जहां ईसाई मिशनरियों ने लोगों का मतांतरण न कराया हो। आदिवासियों के साथ बड़ी संख्या में इन मिशनरियों ने गैर आदिवासियों का भी मतांतरण करवाया है। लालच देने, बड़े-बड़े सपने दिखाने से लेकर दुख-दर्द दूर होने का भरोसा दिलाया जाता है। अशिक्षा, अंधविश्वास और सुविधाविहीन माहौल में रह रही महिलाएं आसानी से मतांतरण कराने वाले लोगों की बातों में आ जाती हैं। रुपये-पैसे व अन्य प्रलोभन देकर ऐसा ब्रेन वाश किया जाता है कि लोग ईसाई धर्म अपनाने को तैयार हो जाते हैं।

मतांतरण के लिए तैयार करने के क्रम में नियमित तौर पर महिलाओं या सभी गांववालों की सभा बुलाई जाती है। जब परिवार की महिलाएं मतांतरित हो जाती हैं तब दूसरे सदस्यों पर भी धर्म बदल लेने का दबाव बनाती हैं।

कुछ दिनों तक पैसे व अनाज देकर लेते हैं झांसे में

मिशनरियों के लोग महिलाओं को प्रतिदिन के हिसाब से नकद राशि, राशन सामग्री, कपड़े आदि देकर झांसे में लेते हैं। फिर गांव के कुछ लोगों को मतांतरण में मुख्य भूमिका निभाने के लिए तैयार किया जाता है, इनको मतांतरण कराने के बदले मोटी रकम दी जाती है। मतांतरण के कुछ दिनों बाद मदद का सिलसिला बंद कर दिया जाता है, लेकिन तबतक मतांतरित लोग अपने समाज से कट चुके होते हैं। फिर उसी समाज के किसी व्यक्ति को दो से तीन लाख रुपये देकर अपने काम में शामिल कर लेते हैं। उसे पूरी तरह प्रशिक्षित कर व सभी तरह की सुविधाएं देकर मतांतरण के काम में लगा देते हैं।

दो वर्ष पहले कोडरमा जिले के चंदवारा प्रखंड में एक गांव के यादव समाज के सभी लोग मतांतरित हो गए। बाद में घर वापसी की। हाल ही में कोडरमा में मतांतरण के काम में लगे पांच लोगों को पकड़ा गया था।

घरों में सप्ताह में एक दिन करते हैं चर्चा

मतांतरण के काम में लगे लोग गांवों में साप्ताहिक चर्चा करते हैं। कोडरमा जिला के सामाजिक कार्यकर्ता मनोज चंद्रवंशी के अनुसार इसके लिए गुरुवार, शनिवार और रविवार का दिन तय है। किसी एक परिवार में उस गांव की महिलाएं जमा होती हैं। इसमें बताया जाता है कि धर्म बदलने से उनकी गरीबी दूर हो जाएगी। नौकरी, बच्चों को मुफ्त शिक्षा का प्रलोभन दिया जाता है। वर्षों बाद लोगों को पता चलता है कि उन्होंने धर्म भी बदल लिया और कुछ हासिल भी नहीं हुआ।

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