शुभ कार्य आरंभ करने के लिए बचे हैं पांच दिन, 21 जुलाई से चार मास तक मांगलिक कार्य रहेगा वर्जित

कोई मांगलिक कार्य या नया कार्य आरंभ करने की सोच रहे हैं तो पांच दिनों में निपटा लें। 21 जुलाई से चतुर्मास आरंभ हो रहा है। इस दौरान कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होंगे ना ही कोई नया कार्य आरंभ होगा। चतुर्मास के दौरान नए कार्य वर्जित माना जाता है।

By Vikram GiriEdited By: Publish:Thu, 15 Jul 2021 03:39 PM (IST) Updated:Thu, 15 Jul 2021 03:39 PM (IST)
शुभ कार्य आरंभ करने के लिए बचे हैं पांच दिन, 21 जुलाई से चार मास तक मांगलिक कार्य रहेगा वर्जित
शुभ कार्य आरंभ करने के लिए बचे हैं पांच दिन। जागरण

रांची, जासं। कोई मांगलिक कार्य या नया कार्य आरंभ करने की सोच रहे हैं तो पांच दिनों में निपटा लें। 21 जुलाई से चतुर्मास आरंभ हो रहा है। इस दौरान कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होंगे ना ही कोई नया कार्य आरंभ होगा। चतुर्मास के दौरान नए कार्य वर्जित माना जाता है।

13 नवंबर तक रहेगा चतुर्मास, 14 नवंबर देवोत्थान एकादशी से आरंभ होंगे मांगलिक कार्य

चतुर्मास 21 जुलाई से 13 नवंबर तक रहेगा इस दौरान भगवान विष्णु क्षिर सागर में विश्राम करेंगे। जगत के पालन की जिम्मेवारी भगवान महादेव पर होगी। 14 नवंबर को देवोत्थान एकादशी के दिन भगवान विष्णु अपनी निंद्रा त्याग भक्तों के बीच आएंगे।

20 जुलाई को होगी घुरती रथ यात्रा

घुरती रथयात्रा 20 जुलाई को होगी। धुर्वा स्थित जगन्नाथ मंदिर में भी इस अवसर पर विशेष अनुष्ठान होंगे। बता दें कि 12 जुलाई को रथयात्रा के दिन भगवान जगन्नाथ नौ दिनों के प्रवास पर मौसीबाड़ी गए थे।

गौरतलब है कि इससे पहले 12 जुलाई को भगवान जगन्‍नाथ की रथयात्रा के मौके पर रांची के जगन्‍नाथपुर में मंदिर के अंदर पूजा-अर्चना की गई। इस दौरान वहां काफी संख्‍या में श्रद्धालुओं की भीड़ रही। इस मौके पर मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन भी अपनी पत्‍नी के साथ मंदिर पहुंचे थे। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी पत्नी कल्पना सोरेन के साथ मंदिर के बाहर ही पूजा किया था। मंदिर के अंदर पुजारियों ने भगवान जगन्‍नाथ, सुभद्रा और बलराम की पूजा की। इस दौरान मंदिर परिसर में काफी भीड़ रही। हालांकि सरकार ने इस बार रथ यात्रा निकालने की अनुमति नहीं दी थी। साथ ही इस बार मेले का आयोजन भी नहीं किया गया था।

सामाजिक सौहार्द के केंद्र के रूप में की गई थी स्थापना

ऐतिहासिक जगन्नाथ रथ यात्रा पर भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ नौ दिन के लिए मौसी के घर जाते हैं। मौसी गुडिचा देवी के घर नौ दिन आतिथ्य सत्कार स्वीकार करने के बाद प्रभु वापस अपने धाम लौट आते हैं। प्रभु की अनन्य भक्ति के कारण ही जगन्नाथ मंदिर के समीप ही गुडिचा देवी (मौसीबाड़ी) का मंदिर बनवाया गया।

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