सर्व शिक्षा अभियान : नहीं मिली गड़बड़ी, अब सूद सहित करना होगा 16.52 करोड़ का भुगतान

वर्ष 2013-14 में बच्चों को दी गई किताबों के टेंडर में अनियमितता के लगे थे आरोप। हाईकोर्ट के आदेश पर छह प्रतिशत ब्याज के साथ करना होगा प्रकाशकों को भुगतान। केंद्र ने वित्तीय अनियमितता के आरोप के कारण राशि देने से कर दिया है इन्कार।

By M EkhlaqueEdited By: Publish:Tue, 07 Dec 2021 05:00 AM (IST) Updated:Tue, 07 Dec 2021 05:00 AM (IST)
सर्व शिक्षा अभियान : नहीं मिली गड़बड़ी, अब सूद सहित करना होगा 16.52 करोड़ का भुगतान
किताबों की छपाई के लिए प्रकाशकों को अब सूद सह‍ित भुगतान होगा। जागरण

रांची, (नीरज अम्बष्ठ) : वर्ष 2013-14 में सर्व शिक्षा अभियान के तहत कक्षा एक से आठ के बच्चों के बीच वितरित की गई किताबों की छपाई के लिए प्रकाशकों को भुगतान अब होगा। वह भी सूद सहित। राज्य सरकार को 16.52 करोड़ रुपये सिर्फ मूलधन के रूप में राज्यांश मद से भुगतान करना होगा। सूद की गणना अलग से होगी। किताबों के प्रकाशन में अनियमितता के आरोप के कारण प्रकाशकों को राशि का भुगतान अबतक नहीं हुआ था, जबकि जांच में अनियमितता की पुष्टि भी नहीं हुई।

हालिया घटनाक्रम में मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली राज्य कार्यकारिणी समिति ने केंद्रांश व राज्यांश की राशि की गणना अलग-अलग करने तथा राज्यांश मद में भुगतान के लिए कैबिनेट में स्पष्ट प्रस्ताव लाने को कहा है। साथ ही इस मामले में झारखंड हाईकोर्ट में प्रक्रियाधीन सभी वादों को जोड़कर न्याय निर्णय हेतु कार्रवाई करने को कहा है। दरअसल, वर्ष 2013-14 में पुस्तकों के प्रकाशन को लेकर हुए टेंडर में अनियमितता के आरोप लगे थे।अनियमितता के आरोप में ही केंद्र सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान के तहत राशि आवंटित करने से इन्कार कर दिया। इस बीच, राज्य सरकार राशि भुगतान को लेकर लगातार पत्राचार करती रही, लेकिन केंद्र ने राशि देने से इन्कार कर दिया। हालांकि केंद्र ने कहा कि राज्य सरकार चाहे तो अपने स्रोत से प्रकाशकों को भुगतान कर सकती है। इस बीच, कुछ प्रकाशक राशि भुगतान को लेकर झारखंड हाईकोर्ट गए, जहां कोर्ट ने छह प्रतिशत ब्याज के साथ राशि भुगतान करने का आदेश पारित किया। मामला अभी भी कोर्ट में चल रहा है।

विकास आयुक्त की अध्यक्षता वाली कमेटी ने की थी जांच

किताबों के प्रकाशन को लेकर हुए टेंडर में अनियमितता के आरोप की जांच विकास आयुक्त की अध्यक्षता वाली त्रिसदस्यीय कमेटी की थी। इसमें योजना एवं विकास सचिव तथा वित्त सचिव सदस्य थे। वर्ष 2015 में हुई जांच के क्रम में कमेटी ने पूरी प्रक्रिया को मिस प्रोक्योरमेंट नहीं माना। साथ ही अपनी रिपोर्ट में कहा कि स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग प्रकाशकों को भुगतान के लिए केंद्र को तथ्यों से अगवत कराते हुए उससे भुगतान हेतु अनुमति प्राप्त करे।

प्रकाशक ब्याज छोड़ने को नहीं तैयार

राज्य सरकार ने झारखंड हाईकोर्ट के आदेश के आने के बाद प्रकाशकों से मूलधन (राज्यांश में) की राशि लेने का अनुरोध किया। लेकिन प्रकाशकों ने आनलाइन हुई बैठक में मूलधन के साथ-साथ ब्याज की राशि के भी भुगतान की मांग की। बता दें कि किताबों के प्रकाशन के लिए छह प्रकाशकों को कक्षावार किताबें छापने की जिम्मेदारी मिली थी। केंद्रांश मद से 23.68 तथा राज्यांश मद से 16.52 करोड़ रुपये का भुगतान होना है।

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