लरता पंचायत में सड़क और बिजली की सुविधा बढ़ाने की जरुरत
पंचायत चुनाव का बिगुल बजने के साथ ही गांव में भावी उम्मीदवार कर रहे तैयारी
नवीन कुमार, कर्रा (खूंटी) : पंचायत चुनाव का बिगुल बजने के साथ ही गांव में भावी उम्मीदवार हरकत में आ गए हैं। गांव की सरकार कैसी हो इसके लिए चौक-चौराहे और गांव के अखरा में चर्चा होनी शुरू हो गई है। इसी कड़ी में खूंटी जिला के कर्रा प्रखंड अंतर्गत लरता पंचायत में विकास तो हो रहा है, लेकिन अब भी पंचायत के अंदर कई समस्याएं है। इस पंचायत में नौ राजस्व गांव हैं। पंचायत अंतर्गत एक भी हाई स्कूल नहीं है। हाई स्कूल की पढ़ाई के लिए पंचायत के विद्यार्थियों को प्रखंड मुख्यालय जाना पड़ता है। एक उप स्वास्थ्य केंद्र है, जिसकी स्थिति जर्जर है। पेयजल के लिए पंचायत अंतर्गत बुड़का ग्राम में पानी टंकी बनाई जा रही है, जिसका कार्य काफी धीमी गति से चल रहा है। कुछ जगहों में सोलर पंप की व्यवस्था की गई है, लेकिन बोरिग धस जाने के कारण लोग इसका लाभ कुछ जगह में नहीं उठा पा रहे। पंचायत में अधिकतर जगह सड़क तो बनी है, लेकिन कुछ जगहों में राजस्व गांव से टोले जाने के रास्ते सड़क विहीन है। कुछ सड़कें आधी-अधूरी ही है। जिस कारण लोगों को आवागमन में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
मुखिया जागरण उरांव बताते हैं कि पंचायत के हर गांव के विकास के लिए हमने पूरी ईमानदारी के साथ काम किया और हर एक आदमी की समस्या को जानना और उसे समाधान करने का मेरा अथक प्रयास रहा। जागरण उरांव ने बताया कि उन्होंने सरकार की हर विकास योजना की जानकारी पंचायत के हर एक गांव तक पहुंचाकर उसका लाभ दिलाने का प्रयास किया। पेयजल के लिए जगह-जगह सोलर टंकी लगवाई। युवाओं को रोजगार के लिए मनरेगा योजना से जोड़ने और महिलाओं को कौशल विकास से जोड़ कर आत्मनिर्भर बनाने का काम किया। विधवा, वृद्धा और विकलांगों को पेंशन योजना से जोड़कर पेंशन दिलवाने का काम किया।
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पांच साल में पूरा नहीं हो सका पूर्ण विकास का वादा
- लरता गांव : लरता पंचायत का मुख्यालय गांव लरता का चार टोला है। पंचायत मुख्यालय के दो टोली तक जाने के लिए अबतक पहुंच पथ नहीं बन सका है। इन दोनों टोली को जाने के लिए बरसात के दौरान काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। कच्ची पगडंडी पर बरसात के दिनों में पैदल चलना भी मुश्किल होता है। ऐसे में मरीजों को स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। यहां के बच्चे को शीलाफारी गांव के आंगनबाड़ी से जोड़ा गया है। दूर होने के कारण बच्चे आंगनबाड़ी नहीं जा पाते हैं। ऐसे में उन्हें आंगनबाड़ी से मिलने वाले सही से वंचित रहना पड़ता है।
- मधुगमा गांव : लरता पंचायत के मधुगमा गांव के अधिकतर लोग खेती बारी पर ही निर्भर है। गांव में जन वितरण दुकान में मिलने वाले अनाज का बड़ा गोदाम होने के कारण युवाओं को महीने में 15-20 दिन काम मिल जाता है। गांव से आगे जाने वाली सड़क जर्जर है। जिससे ग्रामीणों को आवागमन में दिक्कत होती है।
- बुड़का गांव : पंचायत के बुड़का गांव में पानी सप्लाई के लिए टंकी बनाई जा रही है, जिसके कारण गांव में पेयजल के लिए सोलर टैंक की व्यवस्था नहीं की गई है। टंकी निर्माण का काम धीमी गति से चल रही है। ऐसे में लोगों को पेयजल के लिए घोर परेशानी उठानी पड़ती है।
- मेरले गांव : लरता पंचायत के मेरले गांव में आंगनबाड़ी भवन का निर्माण कराया गया है। इससे बच्चों के साथ गर्भवती व धात्री महिलाओं को लाभ मिल रहा है। यहां शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था का भी लाभ गांव वालों को मिल रहा है। गांव के लोग गांव की सरकार के कार्यो की सराहना कर रहे हैं।
- घोरापडा गांव : कर्रा प्रखंड के लरता पंचायत के घोरापडा गांव जाने के लिए पक्की सड़क नहीं है। पांच सालों में सड़क बनाने की कवायद शुरू भी नहीं की जा सकी है। शिक्षा व स्वास्थ्य की सुविधा लोगों को मिल रही है, लेकिन आंगनबाड़ी दूसरे गांव में होने के कारण यहां के बच्चे आंगनबाड़ी का लाभ नहीं मिल रहा है।
- कांटी गांव : लरता पंचायत के कांटी गांव के चार टोली है। चार में से एक ही टोली सड़क से जुड़ी है। उक्त सड़क की स्थिति भी काफी दयनीय है, जिससे लोगों का आवागमन में काफी परेशानी होती है। सड़क के मामले में ग्रामीण गांव की सरकार से खुश नहीं है। गांव में बाकी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध है।
- सुआरी गांव : लरता पंचायत के सुआरी गांव में आंगनबाड़ी केंद्र नहीं है। आंगनबाड़ी केंद्र दूसरे गांव में होने के कारण बच्चों को काफी परेशानी होती है। शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधा लगभग मिल जाती है। बिजली की अनियमित आपूर्ति व्यवस्था से लोग परेशान हैं।
- शीलाफारी गांव : यहां के लोग बताते हैं शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, सड़क, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं संतोषजनक मिल रही है। पहले गांव में प्राथमिक विद्यालय था, लेकिन बच्चे की संख्या कम होने के कारण उसे दूसरे स्कूल के साथ मर्ज कर दिया गया है।
- जलटांडा गांव : कर्रा प्रखंड के लरता पंचायत के जलटंडा गांव में लोगों को मूलभूत सुविधाएं मिल रही है। पंचायत चुनाव के पूर्व ग्रामीणों ने जो सपने संजोए थे वह सपने गांव की सरकार बनने के बाद धीरे-धीरे पूरे होते दिख रहे हैं। पांच वर्षो में सभी सपने पूरे तो नहीं हुए लेकिन कुछ पर काम दिखाई देने लगा है।
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ग्राउंड रिपोर्ट
पंचायत चुनाव के दौरान ग्रामीणों से मिले विश्वास पर खरा उतरने का भरसक प्रयास किया हूं। सभी वादे पूरे तो नहीं हो सके लेकिन वादे निभाने का प्रयास किया गया है।
- जागरण उरांव, मुखिया
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आंगनबाड़ी भवन नहीं बनने के कारण गांव के बच्चों को काफी सुविधा हो रही है। गांव में लोगों को बाकी सुविधा संतोषजनक मिल रहा है।
- अजय बड़ाईक
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गांव में पानी टंकी का काम चल रहा है, जिस कारण सोलर वाटर टैंक की सुविधा लोगों को नहीं मिली। ऐसे में ग्रामीणों को पेयजल के लिए परेशानी होती है।
- सरूवा उरांव
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गांव पहुंचने के लिए पक्की सड़क बनी है, लेकिन गांव के आगे सड़क का काम आधा-अधुरा ही है। ऐसे में लोगों को आवागमन में परेशानी होती है।
- जोहन होरो
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पांच सालों में गांव तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं बन सका। बगैर सड़क के लोगों को काफी परेशानी होती है। मरीजों को ले जाने के लिए एक किलोमीटर कंधे में ढोकर निकालना पड़ता है।
- जीतू मुंडा
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गांव की सरकार ने गांव में विकास कार्य किया है। मूलभूत सुविधाएं लोगों को मिल रही है। मुखिया ने पांच सालों में वादा निभाने का प्रयास किया है।
- धर्मेंद्र कुमार राय
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गांव में आंगनबाड़ी है, लेकिन आंगनबाड़ी भवन की कमी है। पेयजल की असुविधा है, सोलर टैंक लगाने की आवश्यकता है। बरसात के दौरान पेयजल के लिए खासी परेशानी होती है।
- नसीम मियां
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गांव में आंगनबाड़ी केंद्र नहीं होने के कारण बच्चे इसका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। वहीं पेयजल के लिए सोलर टैंक की आवश्यकता है लेकिन इस पर काम नहीं हो पाया।
- सुनील होरो
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मुख्य सड़क से गांव पहुंचने के लिए कोई पक्की सड़क नहीं है। कच्ची सड़क होने की वजह से बरसात के दिनों में पैदल चलना भी मुश्किल होता है। इस दिशा में काम नहीं हो सका।
- सुखू मुंडा