नवरात्र में आस्था व भक्ति का केंद्र बना चंचला धाम, दुर्गम रास्ते के बाद भी भक्‍त पहुंचते हैं माता के दरबार

Navratri Durga Puja कोडरमा-गिरिडीह मुख्य मार्ग से करीब 8 किलोमीटर दूर चंचिला धाम आस्‍था का केंद्र बना हुआ है। दुर्गम रास्ते और कष्टप्रद चढ़ाई के बाद भी बड़ी संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं। संकीर्ण रास्तों से होते हुए गुफा से बाहर निकलते हैं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Sat, 24 Oct 2020 12:15 PM (IST) Updated:Sat, 24 Oct 2020 04:47 PM (IST)
नवरात्र में आस्था व भक्ति का केंद्र बना चंचला धाम, दुर्गम रास्ते के बाद भी भक्‍त पहुंचते हैं माता के दरबार
चंचला धाम में भक्‍तों की भीड़। जागरण

कोडरमा, जासं। नवरात्र में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है। कोडरमा-गिरिडीह मुख्य मार्ग से तकरीबन 8 किलोमीटर दूर घने जंगल के बीच अवस्थित चंचला पहाड़ी पर बसी मां चंचालिनी के दर्शन के लिए हजारों की संख्या में भक्त प्रतिदिन यहां पहुंच रहे हैं। चंचला धाम इन दिनों आस्था और भक्ति का महत्वपूर्ण केंद्र बना हुआ है। यहां मां भगवती के कुंवारी स्वरूप की पूजा होती है।

इसलिए यहां पूजा में सिंदूर का प्रयोग वर्जित है। बीहड़ जंगलों के बीच पहाड़ के मध्य भाग में मां चंचला देवी की मूर्ति विराजमान है, जबकि यहां से थोड़ी दूर पर एक गुफा भी है जहां श्रद्धालु घी के दीपक जलाते हैं। फिर संकीर्ण रास्तों से होते हुए गुफा से बाहर निकलते हैं। इसके अलावा पहाड़ के सबसे ऊपरी हिस्से में भगवान भोले का शिवलिंग है और यहां पहुंचने के लिए लोगों को लोहे की पाइप का सहारा बगैर सीढ़ी लेकर तकरीबन 500 मीटर का सफर तय करना पड़ता है।

बावजूद इसके बड़ी संख्या में लोग नवरात्र में यहां पहुंच रहे हैं और सुख समृद्धि की कामना कर रहे हैं। खासकर चैत्र नवरात्र और आश्विन नवरात्र में भक्तों का तांता लगा रहता है। हालांकि पहाड़ के निचले छोर से मध्य भाग तक जन सहयोग से सीढ़ी का निर्माण कर दिया गया है, जिससे यहां आने वाले भक्तों को थोड़ी राहत मिल रही है।

सदियों पहले मां भगवती ने देवीपुर के राजा को इसी पहाड़ पर दिया था दर्शन

प्रचलित मान्यता के अनुसार 1648 ई. में देवीपुर के राजा तुलसी नारायण सिंह के पिता जय नारायण सिंह को इस पहाड़ी पर शिकार खेलने के दौरान शेर पर सवार मां भगवती के दर्शन हुए थे। इसके बाद से लगातार यहां पूजा-अर्चना हो रही है। राजा को इस पहाड़ी पर मां भगवती के कन्या स्वरूप के दर्शन होने के बाद राजा पूरे परिवार के साथ यहां पहुंच कर विधिवत रूप से पूजा की शुरुआत की थी।

धाम के पुजारी संघ के अध्यक्ष विजय शंकर पांडे ने बताया कि यहां सालों भर भक्त आते हैं और नवरात्र के समय भीड़ लगी रहती है। उन्होंने बताया कि पूजा पाठ में सिर्फ सिंदूर वर्जित होने के साथ हर तरह के प्रसाद यहां चढ़ाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि यहां लोग मनोकामना पूर्ण होने के बाद बलि के लिए बकरे भी लेकर संकल्प कराने आते हैं। रास्ता दुर्गम होने के बाद भी यहां के प्रति भक्तों की आस्था और श्रद्धा देखते बनती है।

जिले के पर्यटन स्थलों में शुमार होने के बाद भी विकास की बाट जोह रहा है धाम

मरकच्चो प्रखंड की डगरनवा पंचायत के बंदरचकवा गांव की उत्तरी सीमा पर बीहड़ जंगलों के बीच अवस्थित चंचला धाम का नाम जिले के पर्यटन स्थलों की सूची में दर्ज है। बावजूद यह इलाका विकास के लिए बाट जोह रहा है। कोडरमा गिरिडीह मुख्य मार्ग से तकरीबन 8 किलोमीटर का सफर टूटी-फूटी सड़कों से होते हुए यहां तक पहुंचा जाता है।

जन सहयोग से पहाड़ पर चढऩे के लिए आधी दूरी तक सीढ़ी बन गई है, लेकिन मंदिर और इसके आसपास किसी तरह के सरकारी इंतजाम नहीं दिखाई पड़ते हैं। पूजा करने चंचला धाम पहुंचे नवलसाही मंडल भाजपा के उपाध्यक्ष किशोर यादव ने कहा कि यहां कोडरमा के अलावा दूर-दराज से भक्त पहुंचते हैं, लेकिन उन्हें कई मुश्किलों और परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अगर साधन मिलेगा तो और भी ज्यादा संख्या में लोग यहां पहुंचेंगे और पर्यटन को विस्तार मिलेगा।

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