Natural Gift Oxygen: प्रकृति का कर्ज चुकाना संभव नहीं, लेकिन ब्याज तो अदा कीजिए
Natural Gift Oxygen Jharkhand News Oxygen for Covid Patient हम और आप प्रकृति के कर्जदार हैं। इसलिए पौधे जरूर लगाएं। वृक्ष ऑक्सीजन की फैक्ट्री है। इसका भी अपना अर्थशास्त्र है। प्रतिदिन हम 150-250 रुपये की ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं।
रांची, [आनंद मिश्र]। वैश्विक महामारी कोरोना ने हमें उस अनमोल प्राणवायु का महत्व बताया है, जिससे अब तक हम अनजान थे। कोविड की दूसरी लहर के मुश्किल वक्त में अपनों की खातिर ऑक्सीजन के लिए हम कुछ भी कीमत चुकाने को तैयार थे। एक-एक सांस की कीमत अदा करने को तैयार थे। अब हालात सुधर रहे हैं लेकिन हमें इस प्राणवायु की महत्ता को कतई नहीं भूलना चाहिए, जो हमें प्रकृति से मुफ्त मिलती है। प्रकृति का कर्ज चुकाना संभव नहीं है लेकिन प्राणवायु उपजाने वाले कुछ पौधे रोपकर हम ब्याज की अदायगी अवश्य कर सकते हैं।
दुनिया की सबसे अनमोल चीज जिसे प्राणवायु कहते हैं, हमें मुफ्त मिलती है। शायद यही वजह है कि हमें इसकी कीमत का एहसास नहीं है। लेकिन ऑक्सीजन के अर्थशास्त्र के हिसाब से आकलन करें तो पेड़ों से प्रतिदिन हमें मुफ्त मिलने वाले ऑक्सीजन की कीमत भी होती है। पेड़ ऑक्सीजन की फैक्ट्री हैं। एक स्वस्थ पेड़ एक दिन में 200-250 लीटर ऑक्सीजन छोड़ता है, जिससे 7-10 लोगों को प्राणवायु मिलती है। ऑक्सीजन के अर्थशास्त्र को और अधिक स्पष्ट करते हुए वन विभाग के अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (विकास) एनके सिंह कहते हैं कि हम सभी प्रकृति के कर्जदार हैं।
हर व्यक्ति 150-250 रुपये का ऑक्सीजन मुफ्त ले रहा है। वे यह भी कहते हैं कि ऑक्सीजन देने की जिम्मेदारी सिर्फ वन विभाग की नहीं है। जो इसका उपभोक्ता है, उसकी भी जवाबदेही बनती है। कंज्यूमर प्रोडक्ट में क्या होता है, या तो उसे उगाओ या खरीदो। कुछ वैसी ही मनोवृत्ति ऑक्सीजन ग्रहण करने वालों को भी अपनानी होगी। प्रकृति से छीनना ही नहीं, उसे देना भी सीखें।
मानव ने प्रकृति को दिया कम है, छीना अधिक है। विश्व पर्यावरण दिवस पर हम सभी को यह संकल्प लेना होगा। क्योंकि हम सभी इस प्रकृति का अंग हैं, इसके बॉस नहीं। अब समय आ गया है कि हम इसे विषय पर सोचें और अधिक से अधिक पौधे लगाएं। वे कहते हैं कि दैनिक जागरण का अभियान इस दिशा में एक अच्छी पहल है, ज्यादा से ज्यादा लोगाें काे जागरण के इस अभियान से जुड़ना चाहिए।
दो करोड़ पौधे लगाएगा वन विभाग
वन विभाग ने प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी वनों के भीतर और बाहर करीब दो करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य तय किया है। इन पौधों को लगाने का उद्देश्य प्राकृतिक वनों को तैयार करना, उनकी गुणवत्ता में सुधार लाने और भू-क्षरण को रोकना है। एनके सिंह इन आंकड़ों को साझा करते हुए कहते हैं कि पर्यावरण को संतुलित रखने के लिए निजी भूमि पर पौधरोपण के लिए मुख्यमंत्री जन वन योजना भी चलाई जा रही है। लेकिन लोगों को खुद आगे आकर अधिक से अधिक पौधे लगान चाहिए। वन विभाग की नर्सरी में महज पांच रुपये का एक पौधा मिल जाता है।