राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने झारखंड के तीन नए मेडिकल कॉलेजों में नामांकन पर रोक लगाई

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने झारखंड के पलामू दुमका और हजारीबाग में तीन नए स्थापित संस्थानों में एमबीबीएस सीटों पर दाखिले पर रोक लगाने का फैसला किया है। एनएमसी ने दुमका हजारीबाग और पलामू मेडिकल कॉलेज में नियमों के अनुसार संसाधन उपलबध नहीं रहने पर नामांकन पर रोक लगा दी।

By Vikram GiriEdited By: Publish:Thu, 16 Sep 2021 07:50 AM (IST) Updated:Thu, 16 Sep 2021 07:50 AM (IST)
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने झारखंड के तीन नए मेडिकल कॉलेजों में नामांकन पर रोक लगाई
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने झारखंड के तीन नए मेडिकल कॉलेजों में नामांकन पर रोक लगाई। जागरण

रांची, जासं। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने झारखंड के पलामू, दुमका और हजारीबाग में तीन नए स्थापित संस्थानों में एमबीबीएस सीटों पर दाखिले पर रोक लगाने का फैसला किया है। एनएमसी ने दुमका, हजारीबाग और पलामू मेडिकल कॉलेज में नियमों के अनुसार संसाधन उपलबध नहीं रहने पर नामांकन पर रोक लगा दी है। नामांकन पर रोक लगाने से राज्य के मेधावी विद्यार्थी अच्छे अंक प्राप्त कर भी सीट पाने से वंचित रह जायेंगे।

इन प्रतिष्ठानों में आवश्यक संसाधन व सुविधाओं की कमी के कारण इस वर्ष के लिए एमबीबीएस प्रवेश को रोका गया है। एनएमसी ने इन प्रतिष्ठानों में शिक्षकों की कमी, पुस्तकालयों और प्रयोगशाला उपकरणों की व्यवस्था नहीं होने की बात कही है।

हजारीबाग, दुमका एवं पलामू मेडिकल कॉलेजों में 300 एमबीबीएस सीटें हैं , जो राज्य के कुल एमबीबीएस सीटों का पचास फीसदी है।

इस फैसले के बाद इंटरनेट मीडिया पर छात्रों का उबाल देखा गया। राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के मेडिको इस फैसले पर राज्य सरकार को दोषी बता रहे हैं। ट्विटर में छात्र सरकार की नाकामयाबी को मुख्य कारण बता रहे हैं। छात्रों का कहना है सरकार अगर चाहती तो व्यवस्था पहले से ही दुरुस्त कर सकती थी। इससे पहले भी इन तीनों मेडिकल कॉलेज में नामांकन को लेकर रोक लगाई गई थी।

रिम्स के जूनियर डॉक्टर में भी जताया विरोध

आज एनएमसी के निर्णय के बाद रिम्स के जूनियर डॉक्टर में भी रोष देखा जा रहा है। जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ विकास ने बताया कि जो फैसला लिया गया है वह समझ से परे है ऐसे में इसे सरकार की विफलता माना जाए या कुछ और माना जाए। नामांकन बंद होने से छात्र-छात्राओं के भविष्य पर भी सवाल खड़ा हो चुका है। इसके साथ ही ऑल जूनियर डॉक्टर ने भी सरकार के काम पर सवाल उठाया है और सरकार से पूछा है की जो मापदंड था उसे इन कॉलेजों में पूरा क्यों नहीं किया गया, इसके लिए दोषी किसे ठहराया जाए।

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