अधिवक्ता को गोली मारने का आरोपित लंगड़ा दस लाख के इनामी का शागिर्द, पुलिस को चकमा देकर भागा

अधिवक्ता मनोज झा हत्याकांड मामले का रांची पुलिस ने सोमवार को अधिकारिक रूप से पर्दाफाश किया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 08:31 AM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 08:31 AM (IST)
अधिवक्ता को गोली मारने का आरोपित लंगड़ा दस लाख के इनामी का शागिर्द, पुलिस को चकमा देकर भागा
अधिवक्ता को गोली मारने का आरोपित लंगड़ा दस लाख के इनामी का शागिर्द, पुलिस को चकमा देकर भागा

जागरण संवाददाता, रांची : अधिवक्ता मनोज झा हत्याकांड मामले का रांची पुलिस ने सोमवार को अधिकारिक रूप से पर्दाफाश किया। एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा ने बताया कि अधिवक्ता की हत्या संत जेवियर संस्था की 14 एकड़ जमीन की वजह से ही उनकी रेकी के बाद की गई। मामले में दो शूटरों समेत पांच को दबोचा गया है। इनके पास से घटना में इस्तेमाल की गई पिस्टल, तीन गोलियां, बोलेनो कार, बाइक और छह मोबाइल बरामद किया गया है। इस कांड का मुख्य आरोपित कुख्यात अफसर उर्फ लंगड़ा है। वह दस लाख के इनामी माओवादी महाराजा प्रमाणिक का शागिर्द है। वह भी नक्सल संगठन से जुड़ा हुआ था, नक्सल घटनाओं को भी अंजाम दे चुका है। वह पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया है। लंगड़ा के अलावा अबतक पकड़े गए अपराधियों में सोनू और इमदाद ने अधिवक्ता को गोली मारी थी। लंगड़ा ने तबतक गोली चलाई, जबतक अधिवक्ता की मौत न हो गई। रिजवान ने रेकी की थी, अधिवक्ता और पुलिस की गतिविधियों की जानकारी दे रहा था। जबकि संजीत मांझह अपनी बोलेनो कार में बैठाकर तमाड़ से बाघमुंडी ले गया था। वहां से शकील ने लंगड़ा को रसूलडीह शिफ्ट किया था। इसकी जानकारी पुलिस को मिली, पुलिस ने वहां छापेमारी की। लेकिन वहां से लंगड़ा फरार हो गया। उसकी तलाश में पुलिस ने राज्य के अलावा बंगाल और ओड़िशा में भी छापेमारी की। इस दौरान पांच अपराधी दबोचे गए हैं। ये किए गए गिरफ्तार :

तमाड़ के रड़गांव निवासी सोनू अंसारी, इमदाद अंसारी, गांगो निवासी रिजवान अंसारी, सरायकेला खरसांवा जिले के इचागढ़ थाना क्षेत्र के नोयाडीह निवासी संजीत मांझी, पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिला के बलरामपुर थाना क्षेत्र के रसुलडीह निवासी शकील अंसारी शामिल हैं। जेल में रची गई थी अधिवक्ता की हत्या की साजिश :

अधिवक्ता मनोज झा की हत्या की साजिश जेल में रची गई थी। चूंकि जिस समय अधिवक्ता ने संत जेवियर संस्था की जमीन का केस जीता था और पुलिस-प्रशासन की मदद से जमीन पर कब्जा किया था उस समय अपराधी अफसर उर्फ लंगड़ा जेल में था। जेल में रहते हुए उसने गिरोह तैयार किया और अधिवक्ता की हत्या की साजिश रच डाली। इस घटना में पकड़े गए अपराधियों सहित दस लोगों को जोड़कर गिरोह बनाया था। इनमें ज्यादातर लोग जेल में ही बंद थे। सभी को 14 एकड़ जमीन में हिस्सा देने का वादा किया था। हिस्सा तभी मिलता जब अधिवक्ता को रास्ते से हटा दें। लंगड़ा 14 एकड़ जमीन का बना था प्रतिनिधि :

जिस जमीन का विवाद संज जेवियर संस्था से चल रहा था। उस जमीन का दूसरे पक्ष से लंगड़ा प्रतिनिधि बन गया था। वह 14 एकड़ जमीन में से नौ एकड़ पर कब्जा कर ईट भट्ठा चला था। ईट भट्टा में बने ईट तमाड़ और आसपास ही बेचता था। इधर, जमीन का विवाद शुरू होने पर कब्जा कर संत जेवियर संस्था को ही बेचने की फिराक में था। वह हार्डकोर नक्सली महाराजा प्रमाणिक को तमाड़ और आसपास के इलाकों की हर खबरें देता था। खुद को दिव्यांग बता छूटता है जेल से :

लंगडा जन्मजात दिव्यांग था। इसी दिव्यांगता का लाभ लेकर वह जेल से छूटता था। जबकि वह कुख्यात अपराधी था। वह स्कूटी और कार ही चला सकता था। चूंकि दांया पैर खराब है। इसलिए हत्या के बाद उसे भगाने के लिए बोलेनो कार लेकर संजीत पहले से तैयार था। संजीत का लाइन होटल है, जहां घटना से पहले बैठकर पार्टी की गई थी। इससे पहले भी हत्या की प्लानिग उसी होटल में की गई थी। संजती बाघमुंडी तक भगाया, वहां बाद में शकील पहुंचा और वहां से रसुलडीह शिफ्ट किया था। एसआइटी में ये थे शामिल :

इस घटना के खुलासे के लिए एसएसपी ने ग्रामीण एसपी नौशाद आलम के निर्देशन में एसआइटी का गठन किया था। इसमें एसडीपीओ बुंडू अजय कुमार, डीएसपी मुख्यालय वन नीरज कुमार, बुंडू थानेदार रमेश कुमार, पिठोरिया थानेदार रवि शंकर, तमाड़ थानेदार प्रेम प्रकाश, सोनाहातू थानेदार मुकेश हेंब्रम, दशमफॉल थानेदार विष्णु कांत, राहे ओपी प्रभारी सुर्यकांत, सबइंस्पेक्टर मनींद्र शर्मा, दीपक कुमार सिंह, यशवंत कुमार, दीपक कुमार, पवन कुमार, एएसआई शाह फैसल, साजिद खान, रमाशंकर सिंह, बलेंद्र कुमार सहित अन्य शामिल थे।

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