न रंगबिरंगी लाइट और न ही गानों का शोर, बिहार क्लब में सादगी से होगी मां दुर्गा की आराधना

कचहरी स्थित छोटानागपुर बिहार क्लब में इस बार दुर्गा पूजा सादगी से मनाया जाएगा।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 27 Sep 2020 02:12 AM (IST) Updated:Sun, 27 Sep 2020 05:06 AM (IST)
न रंगबिरंगी लाइट और न ही गानों का शोर, बिहार क्लब में सादगी से होगी मां दुर्गा की आराधना
न रंगबिरंगी लाइट और न ही गानों का शोर, बिहार क्लब में सादगी से होगी मां दुर्गा की आराधना

जागरण संवाददाता, रांची : कचहरी स्थित छोटानागपुर बिहार क्लब में इस बार दुर्गा पूजा सादगी की मिसाल बनेगी। कोरोना संक्रमण को देखते हुए पूजा में तो न रंग-बिरंगी लाइट की सजावट देखने को मिलेगी और न ही भक्ति गीतों की गूंज रहेगी। बाहरी साज-सज्जा भी नहीं के बराबर होगी। क्लब के हॉल में तीन-तीन फीट की सात मूर्तियां स्थापित की जाएगी। जिसमें मां दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश, कार्तिक और राक्षस व शेर की मूर्तियां होंगी। मूर्ति का निर्माण कोलकाता के कारीगर कर रहे हैं। इस बार पूजा में दर्शन सर्वसुलभ नहीं होगा। सिर्फ क्लब के सदस्य को ही अंदर प्रवेश मिलेगा। बिहार क्लब दुर्गा समिति के अध्यक्ष डॉ. अजीत सहाय ने कहा कि पूजा में अभी समय है। आने वाले दिनों में अगर सरकार कुछ छूट देती है तो उसी अनुरूप व्यवस्था की जाएगी। फिलहाल आयोजन समिति सादगीपूर्वक पूजा की तैयारी कर रही है। आमलोगों के जीवन से बढ़कर दूसरा कुछ नहीं है। अन्य पूजा पंडालों से भी अपील की कि इस बार किसी प्रकार का आडंबर न करें। सदस्यों के सहयोग से ही होगी पूजा, नहीं लिया जाएगा चंदा

डॉ. अजीत सहाय के अनुसार पिछले साल नवरात्र पूजा में करीब 25 लाख रुपये का खर्च आया था। साज-सज्जा और लाइटिग की भव्यता देखते ही बनी थी। इस बार कोरोना संक्रमण को देखते हुए तीन-चार लाख रुपये में आयोजन संपन्न कराया जाएगा। बाहरी लोगों से चंदा नहीं लिया जाएगा। जो भी खर्च होगा क्लब के सदस्य वहन करेंगे। यही नहीं विसर्जन के दिन जुलूस भी नहीं निकलेगा। क्लब के सदस्य मूर्ति को अपने कंधे पर रखकर जलाशय में विसर्जित करेंगे।

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1915 में आरंभ हुआ था नवरात्र का आयोजन

बिहार क्लब में सौ साल से ज्यादा से समय से पूजा हो रही है। 1915 में शारदीय नवरात्र का आयोजन आरंभ हुआ था। उस समय महज दो सौ से तीन सौ रुपये में पूजा हो जाती थी। समय के साथ भव्यता बढ़ती गई। 1926 में जब क्लब बनकर तैयार हुआ तो तब से क्लब के हॉल में ही माता विराजती हैं। डॉ. अजीत सहाय के अनुसार यहां दुर्गा पूजा की शुरुआत करने वालों में बैरिस्टर राय बहादुर एसके सहाय, अखिलेश्वर प्रसाद सिन्हा, कामेश्वर नाथ उर्फ बच्चा बाबू, कामेश्वर प्रसाद, देवी बाबू, राम कुमार वर्मा का प्रमुख योगदान रहा।

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