मातम में बदली विवाह की खुशी, बेटे की शादी के दिन उठी मां की अर्थी Hazaribagh News

Hazaribagh Corona News Jharkhand Samachar घटना हजारीबाग जिले के टाटीझरिया प्रखंड के टाटी गांव की है। समाज के लोगों ने दाह संस्कार से पहले शादी का निर्णय लिया। मां के शव को ढक कर आनन-फानन में विवाह कराया गया।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 06:43 PM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 12:40 PM (IST)
मातम में बदली विवाह की खुशी, बेटे की शादी के दिन उठी मां की अर्थी Hazaribagh News
Hazaribagh Corona News, Jharkhand Samachar मां के शव को ढक कर आनन फानन में विवाह कराया गया।

टाटीझरिया (हजारीबाग), [मिथिलेश पाठक]। वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण काल में आए दिन एक से बढ़कर एक आश्चर्य में डालने वाली घटनाएं देखने सुनने को मिल रही हैं। ताजा मामला हजारीबाग जिले के टाटीझरिया प्रखंड के टाटी गांव का है। यहां बेटे की शादी के दिन ही मां की अर्थी उठने का मामला सामने आया है। एक ओर घर में दुल्हन की डोली आई तो दूसरी ओर घर से दूल्हे की मां की अर्थी निकली। हुआ यूं कि बेटे की बरात निकलने वाली थी। इसी बीच मां की मौत हो गई। घर में कोहराम मच गया। खुशी का माहौल मातम में बदल गया।

ऐसे में समाज के लोगों ने महिला के दाह संस्कार से पहले बेटे की शादी का निर्णय लिया। तत्काल महिला के शव को ढक कर आनन-फानन में विवाह कराया गया। इधर शादी में शामिल होने आए संबंधी परिजनों को ढाढस बंधाने में जुटे रहे। मामला टाटीझरिया प्रखंड के टाटी गांव का है। जानकारी के अनुसार टाटी निवासी चिटू अगेरिया के लड़के संजय कुमार अगेरिया की शादी 20 मई को होने वाली थी। संजय की शादी खरकी बनासो में होना निश्चित था। संजय और उसकी मां एक दिन पहले ही विष्णुगढ़ से शादी के लिए कपड़े खरीदकर आए थे।

अचानक रविवार शाम को संजय कुमार अगेरिया की मां की तबियत बिगड़ गई। उसे दस्त होने लगा था और बाद में उसकी मौत हो गई। गांव समाज के लोगों ने दाह संस्कार करने से पहले उसके बेटे की शादी कराने का फैसला लिया। क्योंकि इधर लड़का का और उधर लड़की की शादी के लिए लग्न का कार्यक्रम हो चुका था। आनन-फानन में शव को ढककर विवाह संपन्न कराया गया।

सोमवार को दुल्हन खरकी से टाटी आई। इसके बाद यहां से संजय की मां की अर्थी निकली व उसका अंतिम संस्कार किया गया। घर में जहां खुशियां मनाई जा रही थीं, वहां मातम पसरा हुआ है। शुभ कार्य में शामिल होने आए रिश्तेदार-नातेदार अब परिवार के दुख में शामिल होकर ढाढस बंधाने में जुटे हुए हैं।

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