कोरोना महामारी के संकट में मनरेगा ने दूर की ग्रामीणों की बेरोजगारी, 50% महिलाओं को भी मिला रोजगार
Jharkhand Hindi Samachar Koderma News संकट में रोजगार देने में कोडरमा राज्य में अव्वल है। 49.7 फीसद महिलाओं को जिले में रोजगार से जोड़ा गया है। अप्रवासी मजदूरों की भी समस्या कम हुई है। यह योजना हर गांव में चलाई जा रही है।
कोडरमा, [अजीत कुमार]। कोरोना महामारी में लोगों को सुरक्षित रखने के साथ-साथ आर्थिक संकट से उबारने में भी कोडरमा जिला प्रशासन की बेहतर भूमिका रही है। महामारी संकट में जहां स्वास्थ्य समस्या चुनौती बनी थी, वहीं ग्रामीण इलाकों में रोजगार की कमी बड़ी समस्या ना बने, इस पर भी पूरा ध्यान दिया गया। प्रशासन के बेहतर कदम के कारण महामारी पर नियंत्रण के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में मनरेगा के माध्यम से लोगों को रोजगार देने में भी कोडरमा राज्य में अव्वल रहा।
पिछले दो माह में काम देने की स्थिति यही बयां कर रही है। यहां तक कि महामारी के कारण दूसरे शहरों से आने वाले अप्रवासी मजदूरों को भी आर्थिक समस्या से उबारने का प्रयास किया गया। पिछले वर्ष ही 20 हजार से ज्यादा अप्रवासी मजदूर कोडरमा पहुंचे थे। इस वर्ष भी महामारी को लेकर दूसरे राज्यों से बड़ी संख्या में मजदूरों ने घर वापसी की। ऐसे मजदूरों को रोजगार की समस्या ना हो, इस पर विशेष ध्यान दिया गया।
गांवों में ही ऐसे मजदूरों के लिए कई कार्य बहाल किए गए, जिसका फायदा मजदूरों को मिला। इधर, जिला में महिला श्रमिकों ने काम के प्रति खासा रुचि दिखाई। पिछले दो माह में राज्य में सबसे ज्यादा कोडरमा में 49.9 फीसद महिलाओं ने मनरेगा में काम किया है। इन दो माह में करीब 5 लाख मानवदिवस का सृजन किया गया। इसमें 2.49 लाख महिलाओं को काम मिला।
हर गांव में चलाई जा रही योजनाएं
लोगों को रोजगार से जोड़ने के लिए प्रत्येक गांवों में कम से कम 3 से 5 योजनाएं चलाई जा रही है। इन छोटी योजनाओं के माध्यम से रोजगार की मांग करने वाले सभी को जोड़ा जा रहा है। गांवों में आधारभूत संरचना तैयार होने के साथ-साथ लोगों को घर में ही काम मिलने से काफी राहत हो रही है। फिलहाल मनरेगा के तहत गांवों में ढोभा निर्माण, कूप निर्माण, नाला जीर्णोद्धार, फिल्ड बंड, दीदी बाड़ी, टीसीबी, पनसोखा, रेन वाटर हार्वेस्टिंग, बर्मी कंपोस्ट, नाडेफ, आम बागवानी के तहत कार्य किए जा रहे हैं।
इन योजनाओं के माध्यम से प्रति दिन 15 से 20 हजार मजदूर काम कर रहे हैं। काम के दौरान कोरोना नियमों के अनुपालन का भी ध्यान रखा जा रहा है। महामारी के दौरान गांवों में रोजगार का संकट ना हो, इस पर विशेष ध्यान दिया गया। पिछले दो माह में प्रत्येक गांवों में 5-5 योजनाएं संचालित करने का लक्ष्य दिया गया, ताकि सभी मजदूरों को काम से जोड़ा जा सके।
क्या कहते हैं अधिकारी
गांवों में शुरू की गई योजनाएं जल संरक्षण व स्वहित से जुड़ी रहने के कारण लोगों को लाभ भी मिल रहा है। आम बागवानी जैसी योजना किसानों के लिए काफी कारगर है। जिले में बड़ी संख्या में किसानों को योजना से जोड़ा गया है। नियमित रूप से योजनाओं की मॉनिटरिंग की जा रही है, ताकि किसी भी मजदूर को समस्या ना हो। यहां तक की अप्रवासी मजदूरों को भी नया जाॅब कार्ड बनवाकर गांवों में ही काम से जोड़ा गया। -रमेश घोलप, डीसी कोडरमा।