प्रवासी मजदूरों को झारखंड में ही मिलेगा रोजगार, हेमंत सरकार बना रही अधिनियम

Jharkhand News. पलायन रोकने के लिए सरकार पहल कर रही है। प्रवासी मजदूरों का डाटा बनेगा और उनकी योग्यता व क्षमता का आकलन होगा।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Mon, 25 May 2020 04:03 PM (IST) Updated:Mon, 25 May 2020 04:03 PM (IST)
प्रवासी मजदूरों को झारखंड में ही मिलेगा रोजगार, हेमंत सरकार बना रही अधिनियम
प्रवासी मजदूरों को झारखंड में ही मिलेगा रोजगार, हेमंत सरकार बना रही अधिनियम

रांची, राज्य ब्यूरो। राज्य सरकार लॉकडाउन के दौरान विभिन्न राज्यों से लौट रहे प्रवासी मजदूरों के लिए पुख्ता प्लान कर रही है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि स्थानीय रोजगार अधिनियम बनाने की दिशा में काम चल रहा है। इसका उद्देश्य श्रमिकों को स्थायी रोजगार मुहैया कराना है, ताकि झारखंड से पलायन की बीमारी सदा के लिए दूर हो जाए। सीएम रविवार को मीडिया से मुखातिब थे। उन्होंने कहा कि संसाधनों की कोई कमी राज्य में नहीं है और इसी की बदौलत झारखंड दूसरे राज्य के श्रमिकों को रोजगार देने वाला प्रदेश बनेगा। राज्य के मजदूरों का पूरा डाटा तैयार किया जा रहा है।

उनकी योग्यता और क्षमता का आकलन होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें भी इसका अंदाजा नहीं था कि राज्य से इतनी संख्या में लोग रोजगार के लिए पलायन करते हैं। उन्होंने औद्योगिक घरानों से भी अपील की कि वह प्रवासी श्रमिकों के साथ अन्य मजदूरों को रोजगार देने के लिए कार्ययोजना बनाकर सरकार से साझा करें। कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली कंपनियों की तरह ही झारखंड बिजली वितरण निगम के माध्यम से भी राज्य के उद्योगों को सस्ती दर पर बिजली देने की दिशा में काम चल रहा है।

केंद्र सरकार को लिया निशाने पर

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि केंद्र सरकार हर चीज को व्यापार की दृष्टि से देखती है। मजदूरों के नजरिए से देखने पर वास्तविकता का पता चल सकेगा। केंद्र सरकार के नियमों के कारण अराजकता देखने को मिल रही है। केंद्र सरकार आए दिन नया दिशानिर्देश जारी कर रही है। एकाएक भारी संख्या में ट्रेन और हवाई यात्रा शुरू करने से राज्य की चिंता बढ़ी है। झारखंड सरकार केंद्र के इस फैसले का विरोध करती है। केंद्र सरकार को भी राज्य सरकारों की चिंता का ध्यान रखना चाहिए।

केंद्र का पैकेज खोदा पहाड़, निकली चुहिया जैसा

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने लॉकडाउन की वजह से उपजी परिस्थिति से निपटने के लिए केंद्र सरकार के पैकेज की आलोचना की। कहा कि यह खोदा पहाड़, निकली चुहिया को चरितार्थ कर रहा है। बड़ी चतुराई से न तो टैक्स में छूट दी गई न ब्याज में। कर्ज को भी पैकेज बताया जा रहा है। राज्य सरकार को बकाया पैसे देकर अहसास कराया जा रहा है। बोले- क्या देश में दूसरा कोई अर्थशास्त्री नहीं है। अभी मैं लडऩे-झगडऩे के मूड में नहीं हूं। अभी लोगों के प्रति चिंता है। बाद में राजनीतिक मंच से बोलेंगे।

जनता सबसे सवाल करेगी, निर्णय का आकलन होगा। झारखंड का 70-80 हजार करोड़ बकाया है। उन्होंने कहा, भाजपा राजनीति का कोई मौका नहीं छोड़ती। पहले खदानों के निजीकरण का निर्णय हुआ। परमाणु अनुसंधान का निजीकरण करना चाहते हैं। अगर खदानों का निजीकरण करना चाहते हैं तो उनके मालिकों यानी रैयतों को अधिकार दें। इतना बड़ा निर्णय बगैर सदन के सहमति के ले लिया गया। हम इसपर बहस में हिस्सा लेंगे। कहा कि राज्य को विभिन्न तरह के टैक्स लगाने का अधिकार दिए जाने की बात हमने कमाने के लिए नहीं, बल्कि संतुलन बनाने के लिए की है।

हम सूझबूझ से लेते फैसले

हेमंत सोरेन ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान राज्य में कहीं भी अराजकता की स्थिति नहीं बनी। शराब की बिक्री शुरू होने पर भी कहीं से अप्रिय या अव्यवस्था से जुड़ी सूचना नहीं आई। दरअसल सरकार बड़ी सूझबूझ के साथ अध्ययन करने के बाद फैसले ले रही है।

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