MGNREGA SCAM: मनरेगा में नीचे से ऊपर तक खेल ही खेल... ऑडिट करने वाले खुद जांच के दायरे में...

MGNREGA SCAM झारखंड में मनरेगा योजनाओं का बुरा हाल है। इन योजनाओं में घोटला की जांच करने वाली एजेंसी जब खुद ही जांच के दायरे में आ गई है। मनरेगा की सोशल आडिट टीम पर पलामू और गढ़वा से जुड़े मामले में संगीन आरोप लगे हैं।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 12:16 AM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 12:17 AM (IST)
MGNREGA SCAM: मनरेगा में नीचे से ऊपर तक खेल ही खेल... ऑडिट करने वाले खुद जांच के दायरे में...
MGNREGA SCAM: झारखंड में मनरेगा योजनाओं का बड़ा बुरा हाल है।

रांची, राज्य ब्यूरो। MGNREGA SCAM झारखंड में मनरेगा योजनाओं का बड़ा बुरा हाल है। फर्जीवाड़ा, घपला-घोटला व वित्तीय अनियमितता की जांच करने वाली एजेंसी जब खुद ही जांच के दायरे में आ जाए तो सवाल तो उठेंगे ही। सवाल मनरेगा की सोशल आडिट टीम पर उठा है। आरोप पलामू और गढ़वा से जुड़े मामले में लगा है। फिलहाल दो करोड़ की वित्तीय अनियमितता का मामला बताया जा रहा है। ग्रामीण विकास सचिव ने पूरे मामले की जांच का आदेश दिया है। जांच की कमान ग्रामीण विकास विभाग के अपर सचिव स्तर के पदाधिकारी को दी गई है।

बता दें कि झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) के राज्य समन्वयक गुरुजीत सिंह सोशल आडिट टीम की कमान संभालते हैं। मनरेगा से जुड़े आडिट के साथ-साथ वे कुछ अन्य विभागों का भी सोशल आडिट करते रहे हैं। फरवरी-2021 तक की मनरेगा को लेकर दी गई उनकी रिपोर्ट में 50 करोड़ रुपये से अधिक के वित्तीय अनियमितता के मामले उजागर हुए थे। लेकिन अब उनकी पूरी टीम पर को गढ़वा व पलामू से जुड़े मामले पर सवाल उठे हैं।

पलामू व गढ़वा के स्थानीय अधिकारियों की शिकायत पर यह जांच शुरू हुई है। हालांकि जांच के आदेश पत्र को लेकर विभाग के स्तर से पूरी गोपनीयता बरती जा रही है। इसे विभाग की साख से जोड़ा जा रहा है। यहां यह भी स्पष्ट कर दें कि जेएसएलपीएस ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत ही आता है। सोशल आडिट का यह नियम होता है कि विभाग की ही कोई शाखा उस विभाग से जुड़े कामकाज का सोशल आडिट नहीं कर सकती। इस पूरे घटनाक्रम के बाद से यह तय माना जा रहा है कि अब मनरेगा का आगे का सोशल आडिट किसी बाहर की एजेंसी से कराया जाएगा।

गुमला व पलामू के सरकारी खाते से 21.65 करोड़ की अवैध निकासी

गुमला व पलामू के सरकारी खाते से 21 करोड़ 65 लाख 16 हजार 700 रुपये की अवैध निकासी के मामले का अनुसंधान कर रही अपराध अनुसंधान विभाग (सीआइडी) की टीम ने अब तक आठ आरोपितों को दबोचने में सफलता हासिल कर ली है। जिन्हें सलाखों तक पहुंचाया जा चुका है, उनमें बिहार के जमुई थाना क्षेत्र के खैरमा गांव निवासी निर्भय कुमार उर्फ विवेक सिंह के अलावा गणेश लोहरा, पंकज तिग्गा, मनीष जैन, मनीष पांडेय, राजकुमार तिवारी, इकबाल व एक अन्य इकबाल शामिल हैं।

निर्भय पर आरोप है कि उसने अन्य आरोपितों के साथ मिलीभगत कर एसबीआइ गुमला के समेकित जनजाति विकास अभिकरण के सरकारी खाते से 27 सितंबर 2019 को फर्जी आरटीजीएस एप्लिकेशन एवं फर्जी चेक के माध्यम से नौ करोड़ पांच लाख 16 हजार रुपये एवं भू-अर्जन कार्यालय पलामू के डालटनगंज एसबीआइ स्थित खाते से 12 करोड़ 60 लाख रुपये की अवैध निकासी की थी। जिन फर्जी चेक व फर्जी आरटीजीएस के माध्यम से फर्जी निकासी की गई थी, वो निर्भय के माध्यम से लिखा व तैयार किया गया था। निर्भय ने अपने स्वीकारोक्ति बयान में भी इन आरोपों को स्वीकार किया था। उसने स्वेच्छा से अपने हस्ताक्षर व लिखावट का नमूना राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला के विशेषज्ञों को दिया था, जिसकी जांच हो रही है।

क्या है मामला

केस एक : गुमला में फर्जी चेक के माध्यम से की गई थी 9.05 करोड़ की निकासी

समेकित जनजाति विकास अभिकरण गुमला के अपर परियोजना निदेशक ने 01 अक्टूबर 2019 को गुमला थाने में काड संख्या 324 / 19 में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि समेकित जनजाति विकास अभिकरण गुमला के खाते से एसबीआइ गुमला से जारी चेक पर फर्जी तरीके से नौ करोड़, पाच लाख 16 हजार रुपये को ओडिशा में एक्सिस बैंक के कोटपाद शाखा में स्थानातरित कर दिया गया है। एक ही व्यक्ति ने दो फर्जी हस्ताक्षर से इस राशि की निकासी की है। यह गलत ढंग से एक सुनियोजित साजिश के तहत किया गया है। दर्ज प्राथमिकी में एसबीआइ की गुमला शाखा में कार्यरत संबंधित कर्मी-पदाधिकारी को आरोपित किया गया है।

केस दो : पलामू में भू-अर्जन विभाग के 12.60 करोड़ रुपये का हुआ था घोटाला

पलामू के विशेष भू-अर्जन कार्यालय में पिछले साल 12.60 करोड़ का घोटाला हुआ था। इसमें भू अर्जन विभाग का नाजिर जेल भेजा गया था। इस पूरे प्रकरण में नाजिर रमाशकर सिंह उर्फ रविशकर, तत्कालीन विशेष भू अर्जन पदाधिकारी बंका राम, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की कचहरी शाखा के पूर्व मुख्य प्रबंधक, फर्जी संस्थान शीतल कंस्ट्रक्शन व फर्जी निकासी करने वाले चंदूलाल पटेल समेत 7 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया था। पलामू के शहर थाना में 25 अक्टूबर 2019 को काड संख्या 378 / 19 सभी अभियुक्तों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2018 में विशेष भू अर्जन विभाग के नाम से एसबीआई में संचालित खाते के चेक से शीतल कंस्ट्रक्शन ने एक बार में 4 करोड़ 20 लाख की निकासी की थी। दूसरी फर्जी निकासी संबंधित विभाग के खाते के चेक से चंदूलाल पटेल ने 8 करोड़ 40 लाख रुपये की निकासी की। इस तरह एक दिन में कुल 12 करोड़ 60 लाख की अवैध निकासी की गई थी। जाच में पाया गया था कि बैंक के फर्जी चेक पर विशेष भू अर्जन अधिकारी ने राशि निकाली है।

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