MBA पास दो युवा नौकरी छोड़ दूसरों को दे रहे रोजगार, फल-सब्जी की होम डिलीवरी से हर माह 4.50 लाख का कारोबार

Deoghar News. लॉकडाउन में जरूरतमंदों के बीच 50 हजार की सब्जी वितरित की। यह खुद भी सब्जी उगाते हैं और देवघर के अलावा सीमावर्ती बिहार रांची व आसनसोल से भी सब्जी मंगाते हैं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Wed, 08 Jul 2020 03:00 PM (IST) Updated:Wed, 08 Jul 2020 03:09 PM (IST)
MBA पास दो युवा नौकरी छोड़ दूसरों को दे रहे रोजगार, फल-सब्जी की होम डिलीवरी से हर माह 4.50 लाख का कारोबार
MBA पास दो युवा नौकरी छोड़ दूसरों को दे रहे रोजगार, फल-सब्जी की होम डिलीवरी से हर माह 4.50 लाख का कारोबार

देवघर, [प्रदीप सिंह]। कोरोना संक्रमण के इस दौर में जब लोग रोजी-रोजगार छिनने का मलाल मना रहे, ऐसे में नौकरी छोड़कर दो युवा न केवल अपनी आमदनी कर रहे हैं बल्कि कई बेरोजगार युवकों को रोजगार दे रहे हैं। देवघर के भुरभुरा मोड़ के रहने वाले नीरज कुमार व हजारीबाग के रंजीत कुमार ने अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर फल व सब्जी के होम डिलवरी का काम शुरू किया है, जिसमें खुद तो कमाई कर रहे हैं एक दर्जन युवाओं को भी इससे जोड़कर उनके घर-परिवार की गाड़ी खींचने में सहयोग कर रहे हैं।

नीरज व रंजीत ने वर्ष 2012-14 में बीअाइटी मेसरा, कोलकाता से एमबीए किया। इसके बाद 2014 से 2019 तक नामीगिरामी अलग-अलग बैंकों में सेल्स डेवलपमेंट मैनेजर व एसिसटेंट ब्रांच मैनेजर के पद पर काम किया। लेकिन यह नौकरी उन्हें रास नहीं आई और अप्रैल 2019 में भुरभुरा मोड़ पर ग्रीन ग्रोसरी की शुरुआत करते हुए घर-घर सब्जी व फल पहुंचाने का काम शुरू कर दिया।

अब इन्होंने एक दर्जन और युवाओं को इस काम में लगा दिया है। यह खुद भी सब्जी उगाते हैं और देवघर के अलावा सीमावर्ती बिहार, रांची व आसनसोल से भी सब्जी मंगाते हैं। होम डिलीवरी का कोई शुल्क नहीं लेते हैं। जिला प्रशासन ने लॉकडाउन के दौरान लोगों के घरों तक सब्जी व फल पहुंचाने की जिम्मेदारी इन युवाओं को भी दी थी। वहीं इन दोनों में लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों के बीच 50 हजार तक सब्जी व फल का वितरण किया था।

हर दिन मिल रहा 50 आर्डर

नीरज ने बताया कि हर दिन औसतन उन्हें थोक में आर्डर मिलते हैं। इससे महीने में 4.50 लाख का कारोबार हो जाता है। अच्‍छी आमद हो जाती है, कई काे रोजगार देने की खुशी भी है।कहा कि पढ़ाई के बाद नौकरी तो मिल गई, लेकिन नौकरी से संतुष्ट नहीं था। दिमाग में चल रहा था कि अपने साथ औरों के लिए भी कुछ किया जाए। तभी रंजीत का सहयोग मिला, जिससे एमबीए करने के दौरान कोलकाता में मुलाकात हुई थी। फिर ये काम करने की सोची, खुशी है कि कामयाबी मिल रही है। ग्रीन ग्रोसरी की और शाखाएं बढ़ाने की योजना है ताकि और युवाओं को भी रोजगार दिया जा सके।

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