Matkuria Goli Kand: तब पुलिस फायरिंग में हुई थी 4 लोगों की मौत, धनबाद का मटकुरिया गोली कांड फिर से चर्चा में
Matkuria Goli Kand Jharkhand News धनबाद के मटकुरिया गोली कांड में 27 अप्रैल 2011 को अतिक्रमण हटाने के दौरान पुलिस की फायरिंग में चार लोगों की मौत हो गई थी। सरकार ने हजारीबाग कमिश्नर से कहा मंतव्य के साथ रिपोर्ट दें कि गोलीकांड के लिए कौन-कौन अफसर दोषी हैं।
रांची, राज्य ब्यूरो। Matkuria Goli Kand, Jharkhand News धनबाद के बैंक मोड़ मटकुरिया में अतिक्रमण हटाने के दौरान पुलिस की फायरिंग में चार लोगों की मौत के मामले में राज्य सरकार ने हजारीबाग के कमिश्नर से रिपोर्ट मांगी है। सरकार ने कमिश्नर को निर्देश दिया है कि वे मंतव्य के साथ अपनी रिपोर्ट दें, ताकि पता चल सके कि उक्त गोली कांड के लिए कौन-कौन अफसर दोषी हैं।
फायरिंग का यह मामला 27 अप्रैल 2011 का है। इस घटना के बाद हजारीबाग के कमिश्नर के नेतृत्व में एक जांच कमेटी गठित की गई थी। कमिश्नर ने धनबाद के तत्कालीन डीसी, एसपी, एसडीओ व डीएसपी से स्पष्टीकरण मांगा था। उक्त स्पष्टीकरण की समीक्षा के बाद हजारीबाग के कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट सरकार को भेजी थी, लेकिन रिपोर्ट अधूरी थी। रिपोर्ट में कमिश्नर ने सभी अधिकारियों के जवाब से खुद को असंतुष्ट बताया था, लेकिन स्पष्ट मंतव्य नहीं दिया था, जिसके चलते उन्हें फिर से रिपोर्ट देने का आदेश हुआ है।
गौरतलब है कि 2011 में हाइकोर्ट के आदेश पर धनबाद पुलिस अतिक्रमण हटाओ अभियान चला रही थी। पुलिस के साथ-साथ सीआइएसएफ के जवान भी इस अभियान में जुटे थे। 27 अप्रैल 2011 को मटकुरिया स्थित कोल बोर्ड कॉलोनी खाली कराने का एलान था। अतिक्रमण हटाओ अभियान राजनीतिक रंग पकड़ चुकी थी। विपक्ष के नेताओं ने अर्जुन मुंडा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए अतिक्रमण के खिलाफ हल्ला बोल दिया था।
मटकुरिया कोल बोर्ड कॉलोनी प्रशासन और विपक्ष के नेताओं के लिए मूंछ की बात हो गई थी। ऐसे में प्रशासन ने भी जबरदस्त तैयारी की और तमाम विपक्ष के लोग भी एकजुट थे। घटना के दिन सुबह से ही कोलबोर्ड कॉलोनी में नेताओं और कार्यकर्ताओं का जमावड़ा लग गया था। तत्कालीन एसपी रविकांत धान के नेतृत्व में पुलिस व सीआइएसएफ के जवान जब कोल बोर्ड कॉलोनी पहुंचे तो हंगामा खड़ा हो गया।
पुलिस प्रशासन ने लोगों से कॉलोनी खाली करने की बात कही तो हंगामा शुरू हो गया। हंगामा विकराल रूप लेने लगा। पुलिस ने जब बल प्रयोग किया तो उनपर पथराव होने लगे। जवानों और पदाधिकारियों को निशाना बनाया जाने लगा। इसी क्रम में एसपी रविकांत धान के सिर पर पत्थर लगने से वे जख्मी हो गए। एसपी के जख्मी होते ही जवानों ने फायरिंग शुरू कर दी।
पुलिस और पब्लिक के बीच मारपीट हुई। सैकड़ों राउंड गोलियां भी चलीं। इस वारदात में गोली लगने से चार लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद कांग्रेस नेता मन्नान मल्लिक, ओपी लाल, नीरज सिंह, बच्चा सिंह समेत तीन दर्जन लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। बिगड़ते माहौल को देखते हुए तत्काल जिले में कर्फ्यू भी लगाया गया था।
तत्कालीन एसडीओ जार्ज कुमार की लिखित शिकायत पर इनलोगों के खिलाफ मुकदमा कायम किया गया। उपरोक्त नामजद अभियुक्तों के खिलाफ लगभग दस हजार की अज्ञात भीड़ पर मुकदमा दर्ज किया गया था। इनमें 38 के खिलाफ पुलिस ने चार्जशीट की थी।