झारखंड ने मांगी थी मोहलत, 15 राज्यों ने लिए कर्ज

रांची झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) का डीवीसी के बकाए मद में भारी-भरकम राशि होने के बावजूद राज्य सरकार ऋण लेने को तैयार नहीं थी। बकाए के भुगतान के लिए राज्य सरकार ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय से मोहलत मांगी थी।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Oct 2020 01:20 AM (IST) Updated:Wed, 21 Oct 2020 01:20 AM (IST)
झारखंड ने मांगी थी मोहलत, 15 राज्यों ने लिए कर्ज
झारखंड ने मांगी थी मोहलत, 15 राज्यों ने लिए कर्ज

रांची : झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) का डीवीसी के बकाए मद में भारी-भरकम राशि होने के बावजूद राज्य सरकार ऋण लेने को तैयार नहीं थी। बकाए के भुगतान के लिए राज्य सरकार ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय से मोहलत मांगी थी। सरकार का तर्क था कि एक कर्ज चुकाने के लिए दूसरा ऋण लेना व्यावहारिक नहीं है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय संग बैठक में भी राज्य सरकार के अधिकारियों ने इस ओर ध्यान दिलाया था। हालांकि, ऋण लेना एक विकल्प था और इसपर भी चर्चा की गई थी।

उधर, केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने राशि का समायोजन नहीं होते देख आरबीआइ खाते से कटौती कर ली। ऊर्जा विभाग के मुताबिक थोड़ा वक्त मिलने पर बकाए का भुगतान करने की तैयारी थी, लेकिन मोहलत नहीं मिली। इससे इतर, अन्य राज्यों ने बकाए के भुगतान के लिए ऋण लेने पर सहमति दी। झारखंड समेत ज्यादातर राज्यों पर बिजली आपूर्ति मद में केंद्र सरकार का बकाया है, लेकिन 15 राज्यों ने ऋण लेने पर सहमति जताई। इसके तहत आंध्र प्रदेश को 6600 करोड़ रुपये, पंजाब को 4000 करोड़ रुपये, राजस्थान को 4064 करोड़, मणिपुर को 112 करोड़, तेलंगाना को 12652 करोड़, बंगाल को 1020 करोड़, जम्मू-कश्मीर को को 5580 करोड़, कर्नाटक को 7246 करोड़, उत्तर प्रदेश को 20940 करोड़, पुडुचेरी को 150 करोड़, मेघालय को 1346 करोड़, महाराष्ट्र को 5000 करोड़, उत्तराखंड को 800 करोड़, बिहार को 3504 करोड़ और तमिलनाडु को 30230 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। स्वीकृत किए गए ऋण की पूरी राशि 103244 करोड़ रुपये है। इसमें से 27847 करोड़ रुपये का वितरण किया जा चुका है।

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