सदर अस्पताल में पहली बार हुई लेजर सर्जरी, रिम्स में अभी तक व्यवस्था नहीं

राजधानी स्थित सदर अस्पताल में पहली बार लेजर सर्जरी एक महिला को डाक्टरों ने नया जीवन दिया

By JagranEdited By: Publish:Sat, 04 Dec 2021 07:00 AM (IST) Updated:Sat, 04 Dec 2021 07:00 AM (IST)
सदर अस्पताल में पहली बार हुई लेजर सर्जरी, रिम्स में अभी तक व्यवस्था नहीं
सदर अस्पताल में पहली बार हुई लेजर सर्जरी, रिम्स में अभी तक व्यवस्था नहीं

जासं, रांची : राजधानी स्थित सदर अस्पताल में पहली बार लेजर सर्जरी कर एक महिला को डाक्टरों ने नया जीवन दिया। लेजर सर्जरी अभी तक रिम्स में शुरू नहीं हो पायी है, जबकि सदर जैसे छोटे अस्पताल में इस सर्जरी की शुरुआत होना एक बड़ी कामयाबी मानी जा रही है। इस सर्जरी से एक महिला की ऐसी बीमारी का उपचार हुआ जो बीमारी बहुत ही कम लोगों को होती है। चुटिया की 30 वर्षीय सुनीता देवी पिलोनिडल साइनस से पीड़ित थी। इसकी सर्जरी सदर अस्पताल के लोप्रोस्कोपिक सर्जन डा अजीत कुमार ने की।

उन्होंने इस लेजर सर्जरी के लिए निजी व्यवस्था कर उपकरण मंगवाए और महिला की पीड़ा को दूर किया। डा अजीत बताते हैं कि मरीज पिछले कई सालों से रीढ़ की हड्डी के अंतिम छोर के समीप से पानी आने की समस्या से परेशान थी। कोलकाता से लेकर अन्य निजी अस्पतालों में इलाज कराने के बाद भी मरीज को इस समस्या से निजात नही मिला तो महिला सदर अस्पताल पहुंची, अब काफी राहत है। कोलकाता से लेकर कई अस्पतालों में नहीं हो सका उपचार : महिला ने सदर अस्पताल के ओपीडी में लेप्रोस्कोपिक सर्जन डा अजीत कुमार से दिखाया था। उन्होंने जांच के बाद महिला को पिलोनिडल साइनस होने की जानकारी दी। डा अजीत ने बताया कि लेजर आपरेशन में चीरा लगाने की जरूरत नहीं होती है और दाग बनने का भी खतरा नहीं होता है। आपरेशन के बाद उसी दिन मरीज डिस्चार्ज होकर घर लौट सकता है। डा अजीत ने बताया कि लेसोट्रोनिक्स कंपनी से डेमो के तौर पर मशीन मंगवाकर इस खर्चीले ऑपरेशन को सफलतापूर्वक किया। निजी अस्पताल में लेजर सर्जरी के लिए देना पड़ता है 40 हजार रुपए, सदर में है निश्शुल्क : इस लेजर आपरेशन में औसतन 35 से 40 हजार का खर्च पड़ सकता था, जबकि महिला की सर्जरी निश्शुल्क की गई। लेजर द्वारा इलाज करने में महम पांच मिनट का समय लगा और एक बूंद खून भी नही निकला और महिला को समस्या से निजात मिल गई। डा अजीत ने बताया कि लेजर विधि सर्जरी की आधुनिक तकनीक है। इसकी बड़ी खासियत है कि मरीज को ऑपरेशन के दौरान चीरे की निशान से छुटकारा मिल जाता है। सदर अस्पताल में हुए इस सर्जरी में सर्जन डा अजीत, ओटी टेक्निशियन नीरज, नंदिनी और प्रणव शामिल थे।

chat bot
आपका साथी