Lalu Yadav: लालू यादव की बढ़ी परेशानी, मोबाइल प्रकरण में हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल

Lalu Yadav News याचिका में कहा गया है कि लालू प्रसाद यादव जेल में रहते हुए मोबाइल फोन से बिहार के विधायकों को सत्ता का लोभ देते हुए नीतीश सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं जो जेल मैन्युअल का खुला उल्लंघन है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Thu, 26 Nov 2020 10:05 AM (IST) Updated:Thu, 26 Nov 2020 03:38 PM (IST)
Lalu Yadav: लालू यादव की बढ़ी परेशानी, मोबाइल प्रकरण में हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल
लालू प्रसाद यादव चारा घोटाला मामले में सजा काट रहे हैं। फाइल फोटो

रांची, [मनोज कुमार सिंह]। चारा घोटाला मामले में सजा काट रहे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के लिए मुसीबत बढ़ गई है। उन पर जेल में रहते हुए मोबाइल के जरिये बिहार के विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगा है। इसे लेकर झारखंड हाई कोर्ट में आज जनहित याचिका दाखिल की गई है। भाजपा नेता अनुरंजन अशोक ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर दी है। इसमें कहा गया है कि किस नियम के तहत लालू को निदेशक बंगला दिया गया है, जहां पर वे जेल मैन्युअल की धज्जी उड़ा रहे हैं।

इसकी जांच की मांग की गई है। इस संबंध में अधिवक्ता राजीव कुमार ने बताया कि बीजेपी नेता अनुरंजन अशोक की ओर से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की जा रही है। याचिका में कहा गया है कि लालू प्रसाद यादव जेल में रहते हुए मोबाइल फोन से बिहार के विधायकों को सत्ता का लोभ देते हुए नीतीश सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं। यह जेल मैन्युअल का खुला उल्लंघन है।

अधिवक्ता राजीव कुमार ने कहा कि इससे पहले भी हाई कोर्ट के कई आदेश हैं जिनमें रिम्स के कॉटेज को राजनीतिक कैदियों द्वारा ऐशगाह बनाए जाने पर संज्ञान लिया गया था। अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि अगर किसी राजनीतिक कैदी को कई तरह की बीमारियां हैं तो उसके इलाज के लिए जेल में ही अस्थायी व्यवस्था की जा सकती है। उन दिनों रिम्स के कॉटेज में रहने वाले कई राजनीतिक कैदियों को हाई कोर्ट के आदेश पर जेल भेजा गया था।

याचिका में कहा गया है कि लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले मामले में सजायाफ्ता हैं और लगातार दो साल से रिम्स के पेइंग वार्ड और अब रिम्स निदेशक के बंगले में अपना इलाज करा रहे हैं। इस दौरान उन्हें सेवादार सहित अन्य सुविधाएं मिली हैं, जो राज्य सरकार और जेल अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है। ऐसे में हाई कोर्ट को अपने आदेश के आलोक में स्वतः संज्ञान लेना चाहिए।

बता दें कि बिहार के भाजपा नेता सुशील मोदी ने ट्वीट करते हुए आरोप लगाया है कि लालू प्रसाद यादव अपने सेवादार के मोबाइल से एनडीए विधायक को सत्ता का लोभ दे रहे हैं और नीतीश सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं। इसके बाद से बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया है। इसको लेकर बिहार विधानसभा में भी जोरदार हंगामा हुआ है।

लालू की जमानत पर भी पड़ेगा असर

मोबाइल प्रकरण में लालू प्रसाद यादव घिरते नजर आ रहे हैं। इसका असर उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान भी पड़ सकता है। सीबीआइ सूत्रों की मानें तो सीबीआइ की ओर से सुनवाई के दौरान यह मामला हाई कोर्ट में उठाया जाएगा क्योंकि यह जेल मैन्युअल का खुला उल्लंघन है। कानूनी जानकारों की मानें तो, अगर सीबीआइ की ओर से यह मुद्दा उठाया जाता है तो हाई कोर्ट का आदेश प्रभावित हो सकता है। बता दें कि लालू प्रसाद यादव ने दुमका कोषागार में जमानत की मांग की है।

पिछली सुनवाई के दौरान झारखंड हाई कोर्ट ने जेल आइजी से पूछा था कि जेल में रहते हुए लालू प्रसाद यादव से कितने लोग मिले हैं। उसकी एक विस्तृत रिपोर्ट अदालत में दाखिल की जाए। लेकिन पिछली सुनवाई के दौरान यह रिपोर्ट नहीं दाखिल होने पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए जेल आइजी से स्पष्टीकरण भी पूछा है। अब देखना होगा कि 27 नवंबर को लालू की जमानत पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट का क्या रुख होता है।

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