गुड़ खाए तो गुलगुला से परहेज कैसा, शहरनामा में पढ़ें कोडरमा की राजनीतिक गतिविधियां

Koderma News Jharkhand Samachar BJP Politics Hindi News भाजपा के प्रदर्शन में मोहतरमा ने दो-चार फावड़ा भी चला दिया। वह भी जोर-जोर से। बाकी लोग कपड़ा गंदा होने की फिक्र में बाहर ही झंडा थामकर नारेबाजी करते रहे।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 12:37 PM (IST) Updated:Sun, 20 Jun 2021 02:44 PM (IST)
गुड़ खाए तो गुलगुला से परहेज कैसा, शहरनामा में पढ़ें कोडरमा की राजनीतिक गतिविधियां
Koderma News, Jharkhand Samachar, BJP Politics खेत में फावड़ा चलाती नीरा यादव।

कोडरमा, [अनूप कुमार]। यह पार्टी ही ऐसी है जो नेता-कार्यकर्ता को शांत बैठे देखना नहीं चाहती। कोरोना-वोरोना के बीच में रख दिया धरना-प्रदर्शन। वह भी यहां-वहां नहीं, खेत में जाकर। अब इ बरसात के मौसम में मोहतरमा को उतरना पड़ा पानी भरे खेत में। पार्टी के सब मर्द नेता-कार्यकर्ता बाहर खड़े होकर जिंदाबाद नारे लगा रहे थे और मोहतरमा को उतार दिया कादो-पानी भरे खेत में। ऊपर से हाथ में फावड़ा भी थमा दिया। अब गुड़ खाये तो गुलगुला से परहेज कैसा। मोहतरमा दो-चार फावड़ा भी चला दी जोर-जोर से। बाकी लोग कपड़ा गंदा होने की फिक्र में बाहर ही झंडा थाम नारेबाजी करते रहे। यही लोग चुनाव का समय आएगा तो कहेंगे, महिला सब जगह हावी है। अब इन्हें कौन समझाए कि नेतृत्व के लिए आगे बढ़ना पड़ता है। जब महिला को ही आगे करेंगे, तो लीडर आखिर कौन बनेगा? 

साहब पर शनि की महादशा

अपने तिसरी वाले साहब की शनि की महादशा खत्म नहीं हो रही है। चौदह वर्ष के वनवास के बाद घर वापसी तो हो गई, लेकिन ताजपोशी नहीं हो सकी। घरवालों को लगा था कि जनाब के नाम बड़े हैं तो जोड़-तोड़ का कुछ बड़ा खेल दिखाएंगे। लेकिन तीर धनुष वाले युवा तुर्क ने ऐसा पत्ता खेला कि जोड़-तोड़ तो दूर, जनाब विरोधी दल वाला मुकुट भी गंवा बैठे। अब जनाब की चिंता बढ़ी हुई है। ना कुनबे को धार दे पा रहे हैं और ना ही सरकार को घेर पा रहे। कुनबा भी ऐसा है जो हमेशा नए-नए प्रयोग में विश्वास रखती है। ऐसे में जनाब के लिए चिंता का विषय है कि कहीं उनकी स्थिति 'नाम बड़े दर्शन छोटे' वाली ना बन जाए।

फिर गुजलार है सिरसिरवा

तकरीबन एक साल बाद सिरसिरवा फिर से गुलजार हो गया है। यहां रात्रि में रोशनी की चकाचौंध के बीच भारी मशीनों की गड़गड़ाहट जंगल के सन्नाटे को चीरकर पर्यावरण के कत्लेआम की कहानी कह रहा है। एक तरफ पर्यावरण संरक्षण के लिए बड़ी-बड़ी बातें होती है। लेकिन इस जंगल की व्यथा सुनने वाला कोई नहीं। करीब सालभर पूर्व हाकिमों के प्रयास से यहां से जंगल को कोड़ पत्थर निकालने का भयावह दृश्य सबने देखा। करीब तीन करोड़ की मशीनें जब्त की गई थी। लेकिन फिर वही कहानी शुरू हो गई है। इस बार फिर कुछ पुराने और कुछ नए गिरोह तैयार हो गए हैं। सफेदपोश तो इस बार भी मुख्य भूमिका में हैं। काम का दायरा भी पहले की ही तरह। जंगल माफियाओं की कृपा से ही नीरू पहाड़ी के आसपास के इलाके भी गुलजार हैं। मौसम बारिश का है तो यहां जाना-आना शासन प्रशासन के लिए भले ही मुश्किल हो, लेकिन माफिया बिंदास होकर काम कर रहे हैं।

ट्रांसफार्मर वाले नेताजी

जिले के ट्रांसफार्मर वाले नेताजी बीच-बीच में अपने कामों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं। दो दशक से ट्रांसफार्मर वाले विभाग में दबदबा कायम है। इस बीच कई सरकारें बदलीं, लेकिन नेताजी का प्रभाव कभी कम नहीं हुआ। जहां जरूरत पड़ी, लोगों को जैसे-तैसे ट्रांसफार्मर जुटा ही देते हैं। दरअसल कोई दो दशक पूर्व तब के विभागीय मंत्री से इनकी अच्छी यारी थी। उस दौर में इलाके में ट्रांसफार्मर लगवाने और खंबे गड़वाने के खूब काम किए। परिणाम रहा कि उस दौर में हुए विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किए। बाद में मंत्री तो बदल गए लेकिन नेताजी इस विभाग में काम कराने का मंत्र अच्छी तरह जान गए। आज भी इसी मंत्र के बदौलत अपनी नेतागिरी चला रहे हैं। इनकी ख्याति इलाके में ट्रांसफार्मर लगवाने को लेकर खूब है। कहते हैं, जो काम विभाग में एमएलए-एमपी नहीं करा पाते, ये नेताजी बड़ी आसानी से करवा देते हैं।

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