मां दुर्गा की आराधना में नवपत्रिका का है विशेष महत्व, 9 तरह की पत्तियां माता के विभिन्न रूपों का है प्रतीक

Durga Puja 2020 महासप्‍तमी को नवपत्रिका प्रवेश के साथ देवी की आराधना शुरू हुई। भगवान गणेश के दाहिने कोलाबोऊ स्थापित किया जाता है। नवपत्रिका को बांग्ला में कोलाबोऊ भी कहा जाता है। इसे भगवान गणेश की पत्नी माना जाता है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 01:26 PM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 04:28 PM (IST)
मां दुर्गा की आराधना में नवपत्रिका का है विशेष महत्व, 9 तरह की पत्तियां माता के विभिन्न रूपों का है प्रतीक
नौ तरह की पत्तियों को पाट के सुत से बांधकर तैयार किया जाता है।

कोडरमा, जासं। बांग्ला पद्धति से होनवाले दुर्गापूजा में नवपत्रिका का विशेष महत्व है। शुक्रवार को महासप्तमी के दिन नवपत्रिका प्रवेश दुर्गा मंडप में कराने के बाद माता का आह्वान किया गया है। इसके बाद महासप्तमी पूजा शुरु हुई। इससे पूर्व षष्ठी की शाम को इसे तैयार कर बाजे-गाजे के साथ समीप के बेल गाछ के नीचे लाकर रखा गया। इसे बिल्व निमंत्रण कहा जाता है।

वहीं सप्तमी की सुबह इसे नवपत्रिका को स्नान कराकर मंडप में गणेश की प्रतिमा के दाहिने में इसे स्थापित किया गया। इसे नई साड़ी में लपेटा जाता है और सिंदूर का लेप लगाया जाता है। धूप, अगरबत्ती व मंत्रोच्चारण से पूजा की जाती है। नवपत्रिका को बांग्ला में कोलाबोऊ भी कहा जाता है। इसे भगवान गणेश की पत्नी माना जाता है।

क्या है नवपत्रिका

झुमरीतिलैया बेलाटांड़ दुर्गापूजा समिति के पुरोहित दिवाकर भट्टाचार्य कहते हैं दुर्गापूजा की शुरुआत नवपत्रिका पूजन के साथ होती है। इसे केले के गाछ के साथ नौ तरह की पत्तियों को पाट के सूत से बांधकर तैयार किया जाता है। इसमें केला के अलावा बेल, कच्चू, हल्दी, जौ की बाली, धान की बाली, अनार की पत्ती, अशोक व अमरूद की पत्ती शामिल है। इसे दुर्गा के विभिन्न रूपों का प्रतीक माना जाता है। शास्त्र के अनुसार केले की पत्ती को ब्राम्हणी का रूप माना गया है।

बेलपत्र भगवान शिव का प्रतीक है। इसी तरह धान लक्ष्मी, कच्चू काली, हल्दी दुर्गा, जौ कार्तिकी, अनार रक्तदंतिका और अशोक को देवी सोकराहिता और अमरूद के पत्ते को देवी चामुंडा का प्रतीक माना गया है। बताया जाता है कि नवपत्रिका पूजन के बाद देवी नींद से जागती है और चार दिनों तक मनुष्य लोक में रहकर लोगों के कष्ट को हरती है।

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