तब कोचांग के सामूहिक दुष्कर्म कांड से सकते में आ गई थी सरकार Ranchi News
Jharkhand. खूंटी जिले के अड़की प्रखंड में कोचांग में पांच युवतियों से कथित पत्थलगड़ी समर्थकों द्वारा बंदूक की नोंक पर जंगल में ले जाकर सामूहिक दुष्कर्म किया गया था।
रांची, जेएनएन। करीब डेढ़ साल पहले 18 जून 2018 को राजधानी रांची से सटे खूंटी जिले के कोचांग इलाके में एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के पांच सदस्यों के साथ हुई सामूहिक दुष्कर्म की घटना से सरकार सकते में आ गई थी। पुलिस प्रशासन पर सवाल तो उठे ही थे, अपराधियों ने यह भी बता दिया था कि इस इलाके में किसकी हुकूमत चलती है। तब पत्थलगड़ी आंदाेलन भी जोरों पर था।
संविधान की पांचवीं अनुसूची की आड़ में पुलिस-पब्लिक किसी को भी गांव में बिना इजाजत घुसने की अनुमति तक नहीं थी। आदिवासियों को उनके हक-हुकूक इस कदर भड़काया गया था कि शासन प्रशासन को करीब 10 हजार लोगों पर देश द्रोह की धाराओं मेें मुकदमा तक करना पड़ा था। यहां सरकारी योजनाओं से इतर अपना साम्राज्य चलाने और स्कूल-राशन आदि तक पर भ्ाी पाबंदियां लगा दी गई थी।
खूंटी के कोचांग सामूहिक दुष्कर्म की बात करें तो इस मामले के आरोपित आरसी मिशन के फादर अल्फोंस आईंद को गुरुवार को फैसला सुनाते हुए खूंटी की निचली अदालत ने एक मामले में बरी कर दिया है। हालांकि एक अन्य मामले में उन्हें उम्रकैद की सजा मिली है। दरअसल सामूहिक दुष्कर्म की इस घटना में दो मामले दर्ज किए गए थे। एक मामला एनजीओ संचालक संजय शर्मा ने दर्ज कराया था। जबकि दूसरे मामले की प्राथमिकी पीडि़ता ने लिखाई थी।
एनजीओ संचालक ने नहीं दी गवाही
एनजीओ संचालक संजय शर्मा ने घटना के बाद मामला दर्ज कराया था। यहां बता दें कि पहले मामले में निचली अदालत ने 17 मई 2019 को फादर अल्फोंस सहित छह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। आज गुरुवार को दूसरे मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन मामला साबित करने में नाकाम रहा। इस कारण अदालत ने सभी आरोपितों को बरी कर दिया। एनजीओ संचालक संजय शर्मा गवाही देने नहीं पहुंचे। इसी आधार पर कोर्ट ने फादर को बरी कर दिया।
क्या था मामला
राजधानी रांची से सटे खूंटी जिले में एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के सदस्य कोचांग बाजार में लोगों को जागरूक करने के लिए नुक्कड़ नाटक करने गए थे। इसके बाद ये सभी कोचांग में ही एक मिशन स्कूल पहुंचे। यहां पर दो मोटरसाइकिल पर सवार पांच-छह अपराधी पहुंचे और बंदूक के बल पर एनजीओ की पांच महिलाओं को जबरन मिशन के वाहन से लगभग 10 किलोमीटर दूर लोबोदा जंगल ले गए।
यहां पांचों युवतियों के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया गया। इसके बाद उन्हें गंभीर रूप से शारीरिक यातनाएं दी गईं। शरीर के नाजुक अंगों को सिगरेट से दागा गया। पुरुष पीडि़तों के साथ मारपीट की गई। प्यास लगने पर उन्हें पेशाब पीने के लिए विवश किया गया। उन्हें कहा गया कि बगैर ग्रामसभा व पत्थलगड़ी समर्थकों की इजाजत के कार्यक्रम करने के कारण ऐसी सजा दी गई है।