Steel-Saria Price Hike: जानें क्‍यों बाजार से गायब होने लगे बड़े ब्रांड के सरिया-लोहा, ये है बड़ी वजह...

Steel-Saria Price Hike सरिया के बड़े उत्पादक रूंगटा आयरन एंड स्टील प्राइवेट लिमिटेड के प्रतिनिधि बाजार में कमी और महंगाई का ठीकरा लौह अयस्कों की कमी पर फोड़ते हैं। पिछले दो महीनों में सरिया की कीमतों में 15 हजार रुपये प्रति टन के हिसाब से बढ़ोतरी हुई है।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Wed, 23 Dec 2020 07:46 AM (IST) Updated:Wed, 23 Dec 2020 02:21 PM (IST)
Steel-Saria Price Hike: जानें क्‍यों बाजार से गायब होने लगे बड़े ब्रांड के सरिया-लोहा, ये है बड़ी वजह...
Steel-Saria Price Hike: पिछले दो महीनों में लोहा उत्पाद खासकर सरिया की कीमत में 20 फीसद बढ़ोतरी हुई है।

रांची, राज्य ब्यूरो। Steel-Saria Price Hike पिछले दो महीनों में लोहा के उत्पादों खासकर सरिया की कीमत में 20 फीसद से अधिक की बढ़ोतरी और आगे ऐसी ही संभावनाओं के बीच बाजार में कृत्रिम कमी पैदा होने लगी है। बड़े ब्रांड के सरिया बाजार में उतनी मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं जितनी मात्रा में औसतन रहते थे। इतना ही नहीं, व्यवसायी अभी और कीमतें बढऩे की बात करते हैं जबकि वास्तिवकता में ऐसा होना नहीं चाहिए।

झारखंड और ओडिशा में लौह अयस्क के 70 फीसदी खदानों की बंदी के बावजूद कंपनियों के पास स्टॉक कम नहीं है। पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी खदानों से आपूर्ति जारी है। अक्टूबर-नवंबर माह की बात करें तो इस वर्ष 1206 रैक लौह अयस्क चाईबासा के खदानों से निकलकर कंपनियों तक पहुंचे हैं, जो कि पिछले साल लगभग 13 सौ रैक थे। लौह अयस्कों की कमी नहीं होने का महत्वपूर्ण कारण है खदानों के पास पहले से मौजूद स्टॉक और लौह अयस्क के डस्ट की भरपूर मात्रा। इनसे पिलेट बनता है और अन्य उपयोग किए जाते हैं।

झारखंड के स्थानीय बाजार में सरिया के बड़े उत्पादक रूंगटा आयरन एंड स्टील प्राइवेट लिमिटेड के प्रतिनिधि बाजार में कमी और महंगाई का ठीकरा लौह अयस्कों की कमी पर फोड़ते हैं। पिछले दो महीनों में सरिया की कीमतों में 15 हजार रुपये प्रति टन के हिसाब से बढ़ोतरी हुई है। अगस्त-सितंबर में 35 रुपये की दर पर बिकनेवाला सरिया फिलहाल 40-42 रुपये प्रति किलो से अधिक दर पर बिक रहा है। टाटा स्टील, कैप्टन, पैंथर्स और अन्य ब्रांडेड सरिया की कीमतों में भी लगातार बढ़ोतरी हुई है।

सितंबर माह में 25 एमएम के एक सरिया (39 फीट) की कीमत जहां 2289 रुपये थी वहीं यह कीमत अब 3214 रुपये है। हर आकार के सरिया की कीमत इसी रफ्तार से बढ़ रही है और यही कारण है कि सरिया के बाजार में जमाखोरी शुरू हुई है। हालांकि, कीमत अधिक होने के कारण जमाखोरी की संभावनाओं से इस क्षेत्र के विशेषज्ञ इन्कार करते हैं। इसके साथ ही इस बात की संभावना है कि कंपनियां लौह अयस्क के स्टॉक को जमा कर रही हैं ताकि भविष्य में कीमतें बढऩे पर इसका उपयोग किया जा सके। कीमतें बढऩे की संभावना इसलिए भी है कि लोहे के साथ-साथ कोयले के अयस्कों की कीमत भी बढ़ रही है।

भवन निर्माण का खर्च बढ़ा, महंगे होंगे फ्लैट : किसी भी भवन के निर्माण में प्रति वर्ग फीट 4-4.5 किलो सरिया का इस्तेमाल होता है। इस प्रकार एक वर्ग फीट पर करीब 200 रुपये का लोहा लगता है। लोहे की कीमतों में 20 फीसद की बढ़ोतरी से प्रति वर्ग फीट कीमत 40 रुपये तक बढ़ जा रही है। इस तरह एक हजार स्क्वायर फीट के मकान पर सरिया पर चालीस हजार अधिक खर्च हो रहे हैं। भवन निर्माण कारोबार से जुड़े लोगों के सामने इस कारण मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं। अगर यही रफ्तार रही तो निर्माणाधीन फ्लैट की कीमतों में भी बिल्डर्स बढ़ोतरी करेंगे। क्रेडाई के अध्यक्ष विजय अग्रवाल बताते हैं कि रीयल स्टेट उद्योगों पर दोहरी मार पड़ रही है। क्रेडाई की राष्ट्रीय इकाई ने प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप तक की मांग की है। इसके बावजूद कीमतों में बढ़ोतरी रुकी नहीं तो उपभोक्ताओं को ही अधिक पैसे देने होंगे।

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