जानें, क्‍यों लगी लालू से मिलने पर रोक, समझें विधि-व्‍यवस्‍था के मायने

Lalu Prasad Yadav. एक दिन पूर्व पटना में जेल से टिकट-सिंबल बांट रहे लालू प्रसाद यादव को लेकर हंगामा हुआ था। उसके बाद बिरसा केंद्रीय जेल के अधीक्षक ने नोटिस जारी कर मुलाकात रोकी।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Sun, 21 Apr 2019 11:46 AM (IST) Updated:Mon, 22 Apr 2019 10:59 AM (IST)
जानें, क्‍यों लगी लालू से मिलने पर रोक, समझें विधि-व्‍यवस्‍था के मायने
जानें, क्‍यों लगी लालू से मिलने पर रोक, समझें विधि-व्‍यवस्‍था के मायने

रांची, [आलोक]। Lalu Prasad Yadav  लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर एक तरफ बीजेपी-कांग्रेस से लेकर सभी छोटी-बड़ी पार्टियां जहां ताबड़तोड़ चुनाव प्रचार में जुटी हुई हैं, वहीं तेजस्‍वी यादव की अगुआई वाली आरजेडी को अपने सबसे बड़े नेता लालू प्रसाद यादव की कमी शिद्दत से महसूस हाे रही है। चारा घोटाला के सजायाफ्ता बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव रांची के बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं। उनकी गंभीर बीमारियों का इलाज रिम्‍स में हो रहा है। जहां बीते दिन लालू प्रसाद से शनिवार को होने वाली मुलाकात पर रोक लगा दी गई।

बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा होटवार के अधीक्षक अशोक चौधरी ने रिम्स में लालू के वार्ड के सामने एक नोटिस चस्पा कर दिया। नोटिस पर लिखा है कि विधि-व्यवस्था की समस्या को देखते हुए सजावार बंदी लालू प्रसाद यादव का मुलाकात बंद रहेगा। आइए जानते हैं कि आखिर क्‍यों लालू से मिलने पर रोक लगी। समझते हैं कि विधि-व्‍यवस्‍था की समस्‍या के क्‍या मायने हैं?

चुनाव का समय है, अतिरिक्‍त सतकर्ता की दरकार
जेल अधीक्षक अशोक चौधरी ने बताया कि अभी चुनाव का समय है। ऐसे वक्त में विधि-व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है। लालू प्रसाद यादव से प्रत्येक शनिवार को मिलने का वक्त निर्धारित था। अब लालू प्रसाद यादव से कब मुलाकात होगी, इसपर बाद में निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि किसी भी बंदी की कोई चिट्ठी जेल से बाहर जाती है तो उसपर जेल अधीक्षक स्वयं या उनके द्वारा प्रतिनियुक्त अधिकारी के सामने उक्त बंदी का हस्ताक्षर होता है। उस हस्ताक्षर को वे या उनके प्रतिनियुक्त अधिकारी अभिप्रमाणित करते हैं। उन्होंने अब तक जो भी किया, जेल मैनुअल के अनुसार किया।

राबड़ी का आरोप, लालू को जहर देकर मारने की साजिश
इस बीच राष्ट्रीय जनता दल ने आरोप लगाया है कि रांची में उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को जान से मारने की साजिश की जा रही है। लालू प्रसाद की धर्मपत्‍नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने इसके अलावा भी कई संगीन आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि रिम्‍स में लालू से हर शनिवार तीन व्यक्तियों को मिलने की अनुमति दी जाती रही है। लेकिन बीते शनिवार को उनके बेटे तेजस्‍वी यादव को मिलने से रोक दिया गया। अब नोटिस चिपकाकर मुलाकात पर पाबंदी लगा दी गई है।

बकौल राबड़ी लालू से मिलने पर तानाशाही भाजपा सरकार ने रोक लगा दी है। मेरे बेटे को भी नहीं मिलने दिया। ये जहरीले लोग लालू समेत पूरे परिवार के साथ साजिश कर रहे हैं। लालू की जान को खतरा है‬। राबड़ी ने कहा कि अपने नेता लालू के लिए आवाज उठाने गरीब-गुरबा सड़क पर उतर गया तो अंजाम बुरा होगा।

जदयू ने की थी जेल से टिकट-सिंबल बांटने की शिकायत
दरअसल दो दिन पूर्व शुक्रवार को पटना में जदयू ने राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव पर रांची जेल से ही अपने हस्ताक्षर से टिकट-सिंबल बांटने का आरोप लगाया था। बात चुनाव आयोग तक पहुंची। इसके बाद बिरसा मुंडा केंद्रीय जेल प्रशासन हरकत में आया। इसके बाद ही शनिवार को लालू प्रसाद यादव से मुलाकात पर रोक लगा दी गई। पटना में जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता नीरज कुमार ने एक बयान में जेल से जारी राजद उम्‍मीदवारों के सिंबल रद करने की मांग चुनाव आयोग से की थी। इस पर राजद ने कहा था कि यह जनता दल यू का विधवा विलाप है।

राजनीति के जानकार मान रहे, भाजपा-जदयू की रणनीति
कुछ दिन पहले बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से सार्वजनिक रूप से कहा गया था कि लालू प्रसाद यादव जेल से चुनाव प्रभावित कर रहे हैं। तिस पर केंद्रीय जांच एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट में लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका का विरोध करते हुए अस्‍पताल से राजनीति करने संबंधी हलफनामा दायर किया था। ऐसे में राजनीति के जानकार मानते हैं कि लालू प्रसाद यादव से मुलाकात पर रोक लगाने सरीखा बंदिश नीतीश कुमार और भाजपा के संयुक्त रणनीति का हिस्सा हो सकता है। विश्‍लेषकों का कहना है कि लालू प्रसाद यादव को मोबाइल और नजदीकी मुलाकातियों से दूर कर राजद को मिल रहे मार्गदर्शन पर रोक लगाने से संभव है राजद को कुछ नुकसान उठाना पड़े।

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