रिम्स में अब शरीर में बिना चीरा लगाए होगी किडनी स्टोन की सर्जरी
राज्य के सबसे बड़े अस्पताल में किडनी स्टोन की सर्जरी अबतक पुरानी विधि से हो रही है। अब बिना चिरा लगाए ही ऑपरेशन हो सकेगा।
रांची, जासं। राज्य के सबसे बड़े अस्पताल में किडनी स्टोन की सर्जरी अबतक पुरानी तकनीक से ही की जा रही है। रिम्स के मरीजों के लिए एक खुशखबरी है। इसी माह के अंत तक यूरोलॉजी विभाग में परक्यूटेनीयस नैफ्रोलीथोटॉमी (पीएसएनएल) तकनीक से सर्जरी की जाएगी। यह तकनीक अबतक की सबसे आधुनिक तकनीक है। यूरोलॉजी विभाग में सभी जरूरी उपकरण का इंस्टॉलेशन चल रहा है। विभाग में एक सप्ताह पहले ही मशीनें पहुंच चुकी हैं। यह मुख्य रूप से किडनी स्टोन निकालने में कारगार है। रिम्स में रोजाना किडनी स्टोन के 30 से 35 मरीज पहुंचते हैं। ऐसे में सभी मरीजों को लेप्रोस्कोपिक विधि से ऑपरेट करना सही नहीं होता। लेप्रोस्कोपिक स्टोन सर्जरी सिर्फ एक विकल्प है। आमतौर पर लोगों को बाहर पीसीएनएल तकनीक से सर्जरी करने पर 80 हजार से एक लाख तक का खर्च आता है। लेकिन इससे रिम्स के मरीजों का ऑपरेशन फ्री में हो सकेगा। --- मरीजों को दूसरे अस्पताल में किया जाता है रेफर वर्तमान में रिम्स में पीसीएनएल तकनीक का इस्तेमाल नहीं होने से मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। जिन मरीजों को इस अत्याधुनिक तकनीक की पूरी जानकारी है वे दूसरे अस्पताल में रेफर करने का दबाव बनाते हैं। रिम्स में संसाधन नहीं होने के कारण सभी को निजी अस्पताल या एम्स रेफर कर दिया जाता है। ---- पीएसएनएल में चीरा लगाने की जरूरत नहीं पीसीएनएल विधि में दूरबीन के माध्यम से शरीर के पीछे सिर्फ एक छोटा सा छेद कर बहुत ही आसानी से ऑपरेशन संभव है। इसमें डॉक्टरों को चीरा लगाने की कोई जरूरत नहीं होती। दूरबीन की मदद से स्टोन को तोड़ दिया जाता है, जो पेशाब के रास्ते बाहर निकल आता है। इससे रक्तस्त्राव का खतरा कम होता है। साथ ही ऑपरेशन के बाद मरीज को अस्पताल से जल्द छुट्टी भी दी जा सकती है।